"सर रात तक कश्मीर छोड़कर जाने को कहा है..."
ये सीन है कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हुई हिंसा और पलायन पर डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स का. फिल्म के इस सीन में एक्टर अनुपम खेर कश्मीरी पंडितों को मिली धमकी का जिक्र कर रहे हैं.
अब करीब 3 दशक बाद भारत के एक और पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में मुसलमानों को उनका घर, कारोबार छोड़कर जाने की धमकी दी जा रही है. उन्हें जिहादी कहकर निशाना बनाया जा रहा है.
आप ये पोस्टर देखिए..
'लव जिहादियों को सूचित किया जाता है, 15 जून 2023 को होने वाली महापंचायत से पहले अपनी दुकानें खाली कर दें, अगर ऐसा नहीं किया जाता तो वह वक्त पर निर्भर करेगा."
कश्मीर में भी आतंकियों ने ऐसे ही कश्मीरी पंडितों को धमकी दी थी. इस जुल्म की कीमत देश आज भी चुका रहा है, फिर वही गलती उत्तराखंड में क्यों? सच तो ये है कि ये सब अचानक नहीं हुआ है. इसके पीछे पूरा एक पैटर्न है. पूरी प्लानिंग है. आगे इस वीडियो में हम आपको बताएंगे कि कौन लोग शामिल हैं, कैसे पूरी प्लानिंग हो रही है. सवाल ये भी है कि किसने ऐसे पोस्टर लगाए? इतनी हिम्मत कहां से आई? क्यों ये सब होने दिया गया? हम ये सब होने देने वाली सरकार, पुलिस और मीडिया से पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
क्या है पूरा मामला?
बात उत्तराखंड के उत्तरकाशी की. दरअसल, आरोप है कि 26 मई 2023 को पुरोला इलाके में दो युवक एक स्थानीय दुकानदार की नाबालिग बेटी को कहीं ले जाते हुए देखे गए थे. आरपो लगा कि ये दोनों लड़की को किडनैप करके ले जा रहे थे. इसी दौरान लोगों ने दोनों युवक को पकड़ा लिया. एक का नाम उबैद खान और दूसरे का नाम जीतेंद्र सैनी बताया गया. बस यहीं से बवाल शुरू हुआ और हिंदुवादी संगठनों ने इस मामले को लव जिहाद का नाम दिया. भले ही आरोपियों में से एक हिंदू है, लेकिन दूसरे के मुस्लिम होने ने कथित 'लव जिहाद' और अफवाहों को जन्म दिया.
पुलिस ने लड़की को घर भेज दिया और दोनों आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 363 (किडनैपिंग), 366-A (नाबालिग लड़की की खरीद-फरोख्त) और POCSO की संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया. दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
लेकिन ये मामला यहां नहीं रुका. 29 मई को दक्षिणपंथी संगठनों ने पुरोला में एक बड़ी रैली निकाली, जिसमें मुसलमानों को शहर छोड़ने की मांग की गई. रैली के वीडियो वायरल हुए. इसमें पुलिस की मौजूदगी के बावजूद भीड़ मुसलमानों की दुकानों पर हमला करती है. इसके अलावा पास के बरकोट शहर में मुस्लिमों की दुकानों के शटर पर काले क्रॉस का निशान लगा गया.
BJP अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के मुस्लिम नेता को पुरोला छोड़कर जाना पड़ा
यही नहीं, उत्तरकाशी में बीजेपी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख मोहम्मद जाहिद को पुरोला छोड़कर जाना पड़ा, जहां वे 25 सालों से अधिक समय से रह रहे थे.
जाहिद कपड़े की दुकान चलाते हैं. उन्होंने 6 जून की शाम को अपनी दुकान बंद कर दी और शहर छोड़ दिया. जाहिद तीन साल पहले बीजेपी में शामिल हुए थे और क्षेत्र में एक लोकप्रिय व्यक्ति रहे हैं. इसके अलावा और भी कुछ दुकानदारों को पुरोला छोड़ना पड़ा.
उत्तराखंड में नफरत की पूरी प्लानिंग चल रही है
अब आते हैं सबसे अहम बात पर. ये सब जो उत्तराखंड में हो रहा है वो नया नहीं है. इसके पीछे पूरा एक पैटर्न है. कई महीनों से सालों से उत्तराखंड में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के लिए लोगों को उकसाया जा रहा है. इसके लिए कथित लव जिहाद, लैंड जिहाद और मुसलमानों को जिहादी कहकर दहशत का माहौल पैदा किया जा रहा है. चलिए आपको बताते हैं कि 26 मई से पहले क्या-क्या, कैसे और कौन लोग उत्तराखंड में नफरत का बीज बो रहे हैं.
दर्शन भारती
26 मई की घटना से पहले 24 मई को ही देवभूमि रक्षा अभियान संगठन के संस्थापक, दर्शन भारती एक कार्यक्रम में छोटे बच्चों से लेकर बड़ों के बीच लव जिहाद के मुद्दे के बहाने मुसलमानों खासकर मजदूर तबके जो रोजी रोटी के लिए एक शहर से दूसरे शहर जाते हैं उनके लिए हिंदुओं के दिल में शक पैदा करा रहे हैं.
एक और घटना देखिए. कैसे कथित लव जिहाद की झूठी कहानी बनाने वाले अपनी मर्जी से शादी करने वालों को भी निशाना बना रहे हैं. उत्तराखंड में बीजेपी नेता और पौड़ी नगर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम की बेटी की शादी मुस्लिम युवक के साथ तय हुई थी. लेकिन हिंदुवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. जिसके बाद यशपाल बेनाम ने शादी स्थगित कर दी.
दर्शन भारती का एक और वीडियो सामने आया है जिसमें वो मुसलमान लड़के के साथ शादी करने की बात पर यशपाल बेनाम का सामाजिक विरोध की बात कह रहे हैं.
प्रबोधानंद गिरि
एक और शख्स से मिलिए और समझिए कि कैसे 26 मई की घटना इन लोगों के लिए नफरत फैलाने का एक और मौका था. हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंडलेश्वर प्रबोधानंद. लव जिहाद के एजेंडे से पेट नहीं भरा तो मुसलमानों के उत्तराखंड में रहने से इन्हें तकलीफ होने लगी.
आपको प्रबोधानंद की एक और तस्वीर दिखाते हैं और बताते हैं कि कैसे बार-बार ये नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं. 2 जून 2022 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक धर्म संसद का आयोजन हुआ. इस दौरान जब क्विंट ने मुसलमानों को जिहादी कहने पर सवाल किया तो प्रबोधानंद ने कहा कि कुरान समझकर पढ़ने वाले जिहादी होते हैं.
ये वही प्रबोधानंद है जिन्होंने 17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में चलने वाले धर्म संसद में हेट स्पीच दिया था. यही नहीं उत्तर प्रदेश के सीएम आदित्यनाथ के अलावा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ भी प्रबोधानंद नजर आए हैं. एक वायरल तस्वीर में सीएम पुष्कर धामी को प्रबोधानंद के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते देखा जा सकता है.
राकेश उत्तराखंडी
26 मई को कथित लव जिहाद की घटना छोड़ भी दें तो पिछले कई महीनों से दर्शन भारती के चेले राकेश उत्तराखंडी लगातार अल्पसंख्यकों को उत्तराखंड से बेदखल करने की धमकियां और कैंपेन चला रहा है.
कभी संविधान के खिलाफ जाकर हिंदू राष्ट्र का अह्वान करना तो कभी बाहरी लोगों को उत्तराखंड में किराए से लेकर मकान जमीन बेचने से रोकने की धमकी देना.
20 मई से एक महीने पहले 20 अप्रैल 2023 को, रुद्र सेना नाम की एक संस्था ने उत्तराखंड के चकराता में एक धर्मसभा का आयोजन किया था. जिसमें अल्पसंख्यकों के आर्थिक बहिष्कार और राज्य में "गैर-सनातनियों" के बसने पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया गया.
लैंड जिहाद?
वहीं दूसरी ओर इसी उत्तराखंड में मजार जिहाद का फेक नैरेटिव एक प्रमुख चैनल के एंकर ने फैलाया. लेकिन हालिया रिपोर्ट देखें तो पता चलता है कि उत्तराखंड में मजार के साथ-साथ अवैध मंदिरों पर भी हथौड़े चले हैं. उत्तराखंड में धार्मिक अतिक्रमण के खिलाफ सरकार ने एक अभियान चला रखा है, जिसमें प्रदेश भर में सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से बनी मजारों और मंदिरों को तोड़ा जा रहा है.
अप्रैल के महीने में टाइम्स ऑफ इंडिया ने राज्य के वन विभाग द्वारा किए गए एक प्रारंभिक सर्वे के आधार पर रिपोर्ट छापी थी. रिपोर्ट के मुताबिक वनों में नियमों का उल्लंघन करके 300 अनधिकृत मंदिर और आश्रम बने हैं वहीं 35 से अधिक अवैध मजार-मस्जिद और दो गुरुद्वारे भी वन क्षेत्र में बने हैं. मई तक के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश भर में सरकारी जमीन पर बने 440 मजार और 45 मंदिर तोड़े जा चुके हैं. लेकिन मंदिरों को लेकर एंकर और कट्टरवादियों ने जिहाद शब्द नहीं गढ़ा. क्यों?
इसके अलावा यति नरसिंहानंद से लेकर आनंद स्वरूप और पूजा शकुन पांडे जैसे कई और नाम हैं जो लागातार नफरत फैलाना, अल्पसंख्यकों के खिलाफ लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट की अवमानना?
दिसंबर 2021, उत्तराखंड के हरिद्वार में हुए धर्म संसद में भड़कऊ बयान देने वालों पर अबतक कुछ ठोस नहीं हुआ. यहां तक कि 2018 और 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे नफरती भाषण देने वालों पर राज्य सरकार को स्वत:संज्ञान लेने का निर्देश दिया था और कहा था कि ऐसे मामलों में एक्शन लेने पर देरी करने को अदालत की अवमानना माना जाएगा. लेकिन मजाल है कि ऐसे नफरती लोगों के खिलाफ कोई UAPA, NSA लगा हो.
इसके अलावा सबका साथ सबका विकास का दावा करने वाली सरकारें एक धर्म के लोगों के खिलाफ चल रहे कैंपेन पर मौन हैं, विपक्षी पार्टियों की मोहब्बत की दुकान का शटर फिलहाल डाउन है, मीडिया लव जिहाद, लैंड जिहाद, फलाना ढिमकाना जिहाद की हेडलाइन बनाकर नंबर और नफरत बढ़ाने में व्यस्त है. इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
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