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क्या अब प्यार करने से पहले समाज की इस चेकलिस्ट को भी देखना होगा?

अंकित सक्सेना मर्डर , हादिया जैसे केस बताते हैं कि समाज ने प्रेम करने के लिए एक नई चेकलिस्ट तैयार कर रखी है.

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5 फरवरी, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एक सख्त टिप्पणी की. अगर दो बालिग शादी करने का फैसला करते हैं, तो उसमें कोई भी दखल नहीं दे सकता है. कोई समाज, कोई पंचायत या कोई व्यक्ति उनकी शादी पर सवाल नहीं उठा सकता है.

कोर्ट को ये टिप्पणी इसलिए करनी पड़ी. क्योंकि चाहे वो केरल जैसा सबसे अधिक साक्षरता दर वाला राज्य हो या बिहार का एक छोटा सा गांव, ऐसे कई केस मिल जाएंगे, जो बताते हैं कि समाज ने प्यार को अब भी बेड़ियों में जकड़ के रखा है.

1 फरवरी के दिन अंकित सक्सेना का कत्लेआम किया गया, क्योंकि वो एक दूसरे धर्म की लड़की से शादी करना चाहता था. केरल के हादिया केस को देखें. 2 लोगों की जिंदगी, पसंद के मामले को सार्वजनिक कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया गया है. बिहार, जहां हॉरर किलिंग की पहली वारदात दर्ज की गई. लड़का हिंदू था और लड़की मुस्लिम. दोनों का गला घोंट दिया गया, क्योंकि वो एक-दूसरे को चाहते थे.

इन तमाम केस को देखकर लगता है कि अब भावनाओं के लिए भी शर्त अप्लाई करने की जरूरत है!

नजरिया, पर्सनैलिटी, नेचर, आदतें, इन सबका मिलान करना अब पुरानी बात हो गई. समाज ने प्रेम करने के लिए एक नई चेकलिस्ट तैयार कर रखी है! 

इन केस को देखकर लगता है कि इन शर्तों की लिस्ट में पहली शर्त धर्म का है. धर्म देखें- यानी आपके प्रेम से किसी पंडित या मौलवी को तो कष्ट नहीं होने वाला.

धर्म का ब्रेकर पार हो जाए तो दूसरी शर्त- प्रेमी जोड़े एक दूसरे का सरनेम, देखें यानी आपके इश्क से परिवार के किसी चाचा, मामा या फूफा की शान में तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला!

ये भी देखें कि प्रभावी, पावरफुल ग्रुप से आपके भावी प्रेमी का कनेक्शन कैसा है? यानी कभी डेट पर जाएं, तो एंटी-रोमियो सेल, कोई सेना, कोई दल या फिर शराफत के कोई और स्वयंभू ठेकेदार आकर पिटाई ना कर दें.

तो अगर शर्तों का ये आग का दरिया आपने डूब कर पार कर लिया तो आपका इश्क आसान हो सकता है. और शायद भीड़ के हाथों कत्ल होने से आप बच जाएं.

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कैमरा- शिव कुमार मौर्या

वीडियो एडिटर- मो. इब्राहिम

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