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नोटबंदी के बाद सैलरी डे पर भी हाल बेहाल - अर्चना की कहानी 

नोटबंदी के बाद कैसा रहा सैलरी डे का हाल? अर्चना जो की नोएडा की रहने वाली कुक है उनके साथ हमने किया सैलरी के लिए सफर.

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1 दिसंबर का दिन. सैलरी डे. नोटबंदी के बाद पहली सैलरी डे के दिन लोगों का हाल बेहाल रहा. बैंकों के बाहर भीड़ रही सैलरी हाथ में लेने के लिए.

लेकिन छोटे-मोटे काम कर गुजारा करने वाले लोग, जिनके पास न पैसे हैं न ही बैंक अकाउंट उनके चेहरे पर भी सैलरी डे के दिन खुशी नहीं दिखी. कारण ये कि मालिकों के पास उन्हें पगार देने के लिए कैश नहीं थे.

अर्चना जो नोएडा में रहती है और एक घरेलू कुक है उसके साथ हम भी दिनभर पगार मिलने वाले दिन घूमे पर कहीं से भी उसे पगार नहीं मिल पाई. हर जगह से उसे खाली हाथ लौटना पड़ा.

मालिक पैसे ट्रांसफर करने को तो तैयार हैं पर अर्चना के पास बैंक अकाउंट नहीं है. उसे अपनी बेटी की फीस भी भरनी है और घर का राशन भी लाना है. वो अपनी तकलीफ किसे बताए?

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