प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से दिया गया भाषण चुनावी रंग में रंगा नजर आया. उनके भाषण की थीम कुछ ऐसी लगी जैसे
'भारत का विकास तभी से शुरु हुआ जब से मैं प्रधानमंत्री बना'
राजनीति को अगर हम किनारे भी करें तो तीन बड़ी घोषणाएं हुईं. पर उनमें भी बड़ी चूक हो गई प्रधानमंत्री से. जरा ध्यान से देखिए
- पहला, मोदी-केयर- एक महत्वाकांक्षी हेल्थकेयर योजना जिसका उद्देश्य 25 सितंबर से 50 करोड़ भारतीयों को 5 लाख रुपये का कवर देना है.
- दूसरा, प्रधान मंत्री मोदी ने घोषणा की कि एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री 2022 में 'गगनयान' बोर्ड पर एक मानव अंतरिक्ष मिशन शुरू करेगा
- तीसरा, सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए था - जिन्हें अब स्थायी कमीशन दी जाएगी
करीब 80 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कई मुद्दों को उठाया. साफ सफाई, पानी , कश्मीर, सोलर एलायंस, आधार, डिजिटल इंडिया, बिजली, रेप के मामलों में तेजी से सुनवाई, गरीबी, किसान, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन और तीन तलाक. लेकिन, पीएम ने कुछ ऐसे भी ऐलान कर दिए जिसमें तथ्यों को लेकर गड़बड़ी हो गई.
सबसे पहले, स्वच्छता अभियान पर World Health Organisation की रिपोर्ट को लेकर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा...
WHO कह रहा है कि भारत में स्वच्छता अभियान की वजह से तीन लाख बच्चे मरने से बच गए हैंनरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री कहना चाहते हैं कि तीन लाख बच्चे उनकी सरकार के स्वच्छता अभियान की वजह से बचे हैं लेकिन तथ्य ये है कि WHO की रिपोर्ट के मुताबिक
अगर स्वच्छता अभियान को अक्टूबर 2019 तक पूरी तरह से लागू किया जाता है तो तीन लाख मौत होने से रोका जा सकता है. इसका मतलब कतई तीन लाख बच्चों की जान बचाना नहीं है.
दूसरा, मुद्रा लोन स्कीम पर प्रधानमंत्री ने कहा
13 करोड़ मुद्रा लोन बहुत बड़ी बात है, उसमें भी चार करोड़ वो नौजवान हैं जिन्होंने जिंदगी में पहली बार लोन लिया है और अपने पैरों पर खड़े होकर स्वरोजगार पर आगे बढ़ रहे हैंनरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
डेटा को लेकर सवाल नहीं है लेकिन सवाल ये है कि क्या मुद्रा लोन स्कीम सच में इतने रोजगार पैदा कर रही है जितने का दावा पीएम ने किया?
इंडिया टुडे की तरफ से फाइल की गई आरटीआई के मुताबिक 93% लोन जो दिए गए वो 50,000 रुपये के कम के हैं. यानी माइक्रो लोन जो छोटे व्यापारियों जैसे डेयरी किसान या सब्जी बेचने वालों के काम आते हैं. लेकिन ये छोटे बिजनेस रोजगार पैदा नहीं करते हैं.इसलिए लोन देने की बात को मुद्रा स्कीम से जोड़कर रोजगार देने के बात भ्रम पैदा करने वाली है
तीसरा, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर 2013 में यूपीए की तेजी की तरह अगर बिजली पहुंचाई जाती तो 100% बिजली पहुंचाने में दशकों लग जाते
लेकिन फेक्ट चेक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीए सरकार ने सालाना 12,000 गांवों में बिजली पहुंचाई जो एनडीए सरकार के सालाना औसतन 4600 गांवों से कहीं ज्यादा है. इसका मतलब ये है कि पूरे देश में 100% बिजली पहुंचाने में एक दशक से कम समय लेती.
अब इस बात को मानते हुए कि 2019 चुनावों से पहले ये प्रधानमंत्री मोदी की 15 अगस्त पर आखिरी स्पीच है, तो उम्मीदें ज्यादा थीं.
ये भी साफ है कि सभी सुझावों को इसमें नहीं लिया जा सकता था लेकिन ये भी सरप्राइज करने वाला था कि उन्होंने एक बार भी डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी का जिक्र नहीं किया. फिलहाल ये विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा है.
सरकार की काले धन को लेकर लड़ाई की बात तो की गई लेकिन डी-शब्द के बारे में कुछ नहीं कहा गया. चीन और पाकिस्तान के अक्खड़पन पर भी बात नहीं हुई. ये तब है, जब डोकलाम और एलओसी पर बार-बार नियमों का उल्लंघन हो रहा है. और आखिर में लगातार बढ़ रहीं मॉब लिंचिंग की खबरें. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक कम से कम 156 वारदातें हो चुकी हैं जिसमें या तो गोरक्षकों ने या फिर बच्चा चोरी की अफवाहों के बाद भीड़ ने हत्याएं कीं. और हां, इन वारदातों में मारे गए 75 लोगों का भी कहीं जिक्र नहीं हुआ... 2019 चुनावों से पहले पीएम मोदी की इस स्पीच में.
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