वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
रिहाना. ट्विटर पर 101 मिलियन से ज्यादा फॉलोवर वाली इंटरनेशनल पॉप स्टार. भारत में चल रहे किसान प्रदर्शन के सपोर्ट में उनके एक ट्वीट ने तहलका मचा दिया. ट्रोलर्स ने ट्रोल किया, कुछ लोगों ने कहा कि देश का आंतरिक मामला है- हमें निपटाने दो..तुम क्यों बोल रही हो. ग्लोबल विलेज का नारा लगाने वालों ये कैसे भूल जाते हो कि दुनिया सबकी है.
32 साल की ये स्टार उन हस्तियों में से हैं, जो विवादित हो या गैर विवादित, हर मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखने में यकीन रखती हैं. इतनी डायरेक्ट कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के राष्ट्रपति को अपने पोस्ट में टैग कर अपनी राय जाहिर कर देती हैं.
भारत का किसान आंदोलन इकलौता मुद्दा नहीं है, जिसपर वो बोली हैं.
बारबाडोस की रॉबिन रिहाना फेंटी को थोड़ा और जानते हैं. उनकी 'बैड गल रिरि' के साथ वो पर्सनैलिटी जो किसी रोल मॉडल से कम नहीं!
रिहाना की ब्यूटी और स्टाइल के अलावा बहुत कुछ है जो इंस्पायर कर सकता है.
ग्रैमी और बिलबोर्ड अवॉर्ड के अलावा रिहाना नेशनल एसोसिएशन ऑफ द एडवांसमेंट ऑफ कलर्ड पीपल (NAACP) अवॉर्ड हासिल कर चुकी हैं. ये अवॉर्ड- "स्पेशल अचीवमेंट और पब्लिक सर्विस" के लिए मिलता है. संयुक्त राष्ट्र में, ये काफी प्रतिष्ठित उपलब्धि है जो नागरिक अधिकार संगठन द्वारा दिया जाता है.
रिहाना पॉलिटिकल व्यूज को जाहिर करना अपना हक समझती हैं. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों की एक गंभीर आलोचक रही हैं. प्रवासियों को लेकर ट्रंप की पॉलिसी के खिलाफ वो मुखर रहीं. लाउड और क्लियर. नहीं पसंद तो नहीं पसंद!
रिहाना ने इमिग्रेशन के मुद्दे पर एक बार इंटरव्यू में कहा था- “मैं बारबाडोस को छोड़कर जहां भी जाती हूं, एक अप्रवासी हूं. लोग कई बार भूल जाते हैं, वे रिहाना को ब्रांड के तौर पर देखते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि लोगों को ये याद रखना जरूरी है कि अगर आप मुझसे प्यार करते हैं, तो यहां हर कोई मेरी तरह ही है. लाखों रिहाना, जिन्हें गंदगी की तरह ट्रीट किया जाता है.
2018 में रैलियों में अपने गाने "डोन्ट स्टॉप द म्यूजिक" को बजाने के लिए ट्रंप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी. बाद में कहा कि वो कभी भी "उन ट्रैजिक रैलियों" से नहीं जुड़ना चाहतीं.
रिहाना ने हमेशा अपने मेसी, इम्परफेक्ट लाइफ को फ्लॉन्ट किया. उन्होंने उस मांग से लड़ाई कि जो ये कहता है कि महिलाओं को कैसा दिखना चाहिए, कैसे रहना चाहिए. फेमिनिज्म पर बात करना और उसे जीना दो अलग चीजे हैं. रिहाना वो करती दिखती हैं. ‘एक्ट ऑफ फेमिनिस्ट’- जैसी हो वैसी रहो और उसके लिए अफसोस नहीं करना.
चाहे एक गुस्साए किसान के खेत में बिकनी में दौड़ना हो या छाती पर एंजेल विंग टैटू या अपने वीडियो में निप्पल पियर्सिंग दिखाना. एक्शन ब्रेव होते हैं. यथा स्थिति को तोड़ने वाले क्योंकि रिहाना को सोसायटी की ‘आइडिया ऑफ फेमिनिटी’ में नहीं बंधना- जैसे कि सुंदर कपड़े पहनना और तय किए गए ब्यूटी स्टैंडर्ड में फिट होना.
कई बार इसके बुरे परिणाम उन्होंने देखे हैं. 21वीं सदी में भी उन्हें ओवरसेक्सुअलाइजेशन का फेस करार दिया जाता है. लेकिन शरीर दिखाना है या खुद को स्वेट पैंट से ढंकना है- वो अपनी मर्जी के मुताबिक करती हैं.
आइकॉनिक ब्यूटी, स्टाइल की बात करें तो उसमें भी बोल्डनेस और मजबूत संदेश. सितंबर 2017 में उनके ब्यूटी ब्रैंड फेंटी ब्यूटी लॉन्च में फाउंडेशन का 40 शेड वाला रेंज उतारा गया-जिसमें फेयर से लेकर डीप स्किन टोन शामिल था. इसके बाद, ब्रैंड और रंग को लेकर बातचीत शुरू हुई. कंज्यूमर्स ने अपनी मांगों के बारे में मुखर होना शुरू कर दिया, ये कहते हुए कि अगर रिहाना की फेंटी ब्यूटी शुरुआत में असमानता को लेकर मैसेज दे सकती है, तो बड़े-बड़े ब्रैंड्स अबतक क्यों रुके थे?
फेंटी ब्यूटी की वेबसाइट के मुताबिक, रिहाना का इस ब्रैंड को बनाने के पीछे इंस्पिरेशन ये रहा “so that people everywhere would be included” “ताकि हर जगह लोग शामिल हो सकें”.
रिहाना 2007 से HIV/एड्स जागरूकता के लिए काम करती रही हैं और पुलिस बर्बरता और नस्लीय भेदभाव के खिलाफ अपना रुख म्यूजिक वीडियो में दिखाती रही हैं. यूनिसेफ से जुड़ीं, कई चैरिटी वर्क किए, बीलीव फाउंडेशन और क्लारा लियोनेल फाउंडेशन बनाया.
रिहाना के ट्विटर प्रोफाइल पर नजर डालें, तो घरेलू हिंसा के खिलाफ, एलजीबीटीक्यू की प्राउड सपोर्टर के तौर पर, डोनाल्ड ट्रंप से लेकर म्यांमार जैसे विषयों पर ट्वीट मिल जाएंगे.
आवाजें और शब्द तो कोई भी बॉर्डर पार कर सकती हैं. यही तो खासियत है आवाजों की और रिहाना उन्हीं बुलंद आवाजों में से एक जान पड़ती है, खास हैं.
रॉक स्टार अवॉर्ड सेरेमनी के दौरान उन्होंने कहा था "जो चीज मुझे सफलता दिलाती रही है वो ये है कि मैं जैसी हूं वैसी बने रहना. मैं सिर्फ ये करना जानती हूं. और जिस पल आपने खुद से प्यार करना सीख लिया आप कुछ और नहीं बनना चाहते."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)