पीएम नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के बाद 1 दिसंबर को पहला सैलरी डे है. कुछ लोगों की सैलरी 30 नवंबर को आ चुकी है और कुछ की सैलरी आ रही है. इस हफ्ते नौकरीपेशा लोग अपनी सैलरी लेने के लिए बैंक और एटीएम की ओर रुख करेंगे. लेकिन यहां लोगों की लाइनें तो खत्म ही नहीं हो रही हैं.
बैंकों में कैश भी बार-बार खत्म हो जाता है. ऐसे हालात में देखिए प्रदीप सराटे की आपबीती, जो ऐसे तमाम लोगों की कहानी बनी हुई है.
प्रदीप सराटे 25 साल का सिक्योरिटी गार्ड है, जो कि मुंबई मे 18X7 के कमरे में रहता है. उस पर अपने परिवार के तीन और लोगों की जिम्मेदारी है. उसकी मां और बीमार पिता महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले मे रहते हैं. प्रदीप हर महीने उन्हें 8 हजार रुपये कैश में भेजता है. उसको अपनी बहन के परिवार के पास भी 5 हजार रुपये हर महीने भेजने होते हैं.
लेकिन कैश की दिक्कत होने के कारण वह ये पैसे उनके पास नहीं भेज पाया. अब उस पर निर्भर परिवार वाले बार-बार उसको फोन करके पैसे के लिए बोल रहे हैं.
प्रदीप दिन में 12 घंटे काम करता है और उसे हफ्ते में एक भी छुट्टी नहीं मिलती. इसलिए वह एटीएम की लाइन में भी खड़ा नहीं हो पाता. एक बार ही उसे मुश्किल से लाइन में खड़े होने का वक्त मिला था, तब उसे केवल 2000 रुपये का ही नोट मिला था. इस नोट से वह खरीदारी भी नहीं कर पा रहा, क्योंकि छुट्टों की दिक्कत हर जगह है.
अब उसको बस यही चिंता लगी है कि वह घर पर रुपये कैसे भेजेगा.
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