एडिटर: कनिष्क दांगी
सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना केस में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण पर 1 रुपये का जुर्माना लगाया है. जुर्माना नहीं भरने पर 3 महीने की जेल और 3 साल के लिए प्रैक्टिस पर रोक लगाई जा सकती है. क्विंट से खास बातचीत में वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि इस फैसले से कोर्ट की छवि में इजाफा नहीं हुआ है.
वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि ऐसा नहीं है कि प्रशांत भूषण के पास एक रुपया नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सिद्धांत का मामला हो गया है. मुझे नहीं पता कि कोर्ट का ये फैसला कानूनी रूप में कितना जायज है. कानून में लिखा है कि अगर कोई जुर्माना नहीं भरता है, तो वो अधिकतम सजा के एक चौथाई सजा का हकदार होता है, तो कंटेप्ट ऑफ कोर्ट की अधिकतम सजा 6 महीने है, तीन महीने तो आधा हो जाता है.
उन्होंने आगे कहा कि प्रैक्टिस से वंचित करना कोर्ट का अधिकार नहीं है, वो बार काउंसिल का काम है. प्रशांत भूषण मामले में रिव्यू पिटीशन दायर कर सकते हैं.
“अवमानना का मामला कोर्ट के इकबाल को बरकरार रखने का जरिया है. दो ट्वीट पर एक्शन लेना, इतनी लंबी सुनवाई, और अंत में एक रुपए जुर्माना लगाना, मुझे नहीं लगता कि इससे कोर्ट की छवि में इजाफा हुआ है.”
संजय हेगड़े कहते हैं कि अब कोर्ट को बहुत कुछ करना पड़ेगा जिससे पुरानी शान वापस आ जाए. जनता को हक है ये पूछने का कि इतने कुछ के बाद आप देश के लिए क्या कर सकते हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को भूषण को 'न्यायापालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट' के लिए उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था. सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को माफी मांगने का सुझाव भी दिया था, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया था. जिसके बाद आज सजा सुनाई गई है.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)