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हुकूमत का हकीकत से सामना: कश्मीर से क्विंट कवरेज को सपोर्ट करें

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वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई

वीडियो प्रोड्यूसर: ज़िजाह शेरवानी

आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से कम्युनिकेशन ब्लैकआउट हो गया, जिसकी वजह से कश्मीर दुनिया के बाकी हिस्सों से कट गया. कम्युनिकेशन ब्लैकआउट, पाबंदी और तमाम कठिनाइयों के बीच, क्विंट ने कश्मीर में ग्राउंड रिपोर्टिंग की जिससे सही आवाज और वहां के हालात को सामने लाया जा सके, जिसे मुख्यधारा का मीडिया नहीं दिखा रहा था.

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एक्सप्लेनर्स, लाइव टेलीकास्ट और ग्राउंड रिपोर्ट के माध्यम से क्विंट ने आपको कश्मीर की विस्तृत कवरेज दिखाने का मकसद रखा है.

कश्मीर में कई लोगों में अविश्वास है, इसलिए लोग मीडिया से बात करने के लिए तैयार नहीं हैं. फिर भी हमारे पत्रकारों ने लोगों का विश्वास हासिल करने और उनकी आवाज को बाहर लाने का प्रयास किया है. वो आवाजें जिन्हें सुने जाने जरूरत है.

वहां जाने के बाद पता चला कि मीडिया से लोग कितने खफा थे, क्योंकि उनको लग रहा था कि मीडिया सच्चाई नहीं दिखा रही है. जब मैं वहां लोगों से बात करने गई तो तीन बार मुझ पर वर्बली अटैक किया गया. एक हादसा पेट्रोल पंप पर, एक लाल चौक पर और एक बार हॉस्पिटल में हुआ. तीनों जगह इसलिए अटैक किया गया क्योंकि मैं इंडियन मीडिया को रिप्रेजेंट करती थी.
पूनम अग्रवाल, स्पेशल कॉरेस्पॉन्डेंट, द क्विंट
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ये सिर्फ उन कठिनाइयों में से एक था जिसका हमने सामना किया. फोन लाइन और इंटरनेट कनेक्शन काम नहीं कर रहे थे. हमारे पत्रकारों को रिपोर्टिंग के दौरान इकट्ठा की गई जानकारी को यहां लाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

शुरू में कोई फोन लाइन नहीं थी. हमने किसी तरह जुगाड़ कर अफसरों वगैरह की मदद से फोन करने की कोशिश की, जिससे कि हम बता सकें कि वहां की स्थिति क्या है. इसके अलावा हम एयरपोर्ट पर लोगों से गुजारिश करते थे कि वो पेन ड्राइव या मेमोरी कार्ड में सेव हमारी स्टोरी को हमारे ऑफिस तक पहुंचा दें.
शादाब मोइजी, रिपोर्टर. क्विंट हिंदी

क्विंट सत्ता के सामने सच बोलता है और सच की रिपोर्ट करना जारी रखेगा. अगर आप चाहते हैं कि हम इस तरह के प्रोजेक्ट्स करें, जो मेनस्ट्रीम मीडिया कवर नहीं करता है, आपकी आवाज सुनी जाए तो आज ही हमें सपोर्ट करें. आपका योगदान स्वतंत्र पत्रकारिता और सशक्तिकरण को सपोर्ट करेगा. हमें सपोर्ट करने के लिए यहां क्लिक करें

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