भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश का इतिहास सांप्रदायिक हिंसा से भरा रहा है. देश की राजधानी दिल्ली से सटा मुस्लिम और जाट बाहुल्य आबादी वाला पश्चिमी उत्तर प्रदेश लंबे अरसे से संवेदनशील माना जाता है.
उत्तर प्रदेश का यह हिस्सा कई सांप्रदायिक हिंसाओं का गवाह भी रहा है. फिलहाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में तेजी के साथ हिंदू संगठनों की संख्या बढ़ती देखी जा रही है.
इस्लामोफोबिया की भावना से प्रेरित इन संगठनों को विश्वास है कि ‘उग्रवादी इस्लाम के हमले’ से हिंदू धर्म की रक्षा करना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है.
देखिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के स्वयंभू हिंदू रक्षकों पर द क्विंट की खास पेशकश:
हाल ही में इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) की ओर से साल 2020 तक भारत पर कब्जा कर लेने की दी गई धमकी के बाद से इन संगठनों ने हिंदू युवाओं को अपने साथ जोड़कर उन्हें सैन्य प्रशिक्षण देने की कोशिशें तेज कर दी हैं.
द क्विंट ने दिल्ली से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में पहुंचकर इस तरह के संगठन चलाने वालों से मुलाकात की.
द क्विंट की इस पड़ताल में सामने आया है कि धार्मिक उग्रवाद के ब्रांड और उनके समर्थक हिंदू युवाओं को इस्लामिक उग्रवाद के खिलाफ भड़काकर उन्हें प्रशिक्षित भी कर रहे हैं.
इस पड़ताल के दौरान हमने उनके मन को समझते हुए उनके काम करने के ढंग को भी जानने की कोशिश की है.
पेशे से वकील चेतना शर्मा अखण्ड हिंदुस्तान मोर्चा की जोनल कमिश्नर भी हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मोदीनगर से सटे एक गांव रोरी की पड़ताल के दौरान चेतना शर्मा भी हमारे साथ रहीं.
इस गांव में उनके सहयोगी और हिंदू स्वाभिमान संघ के सदस्य परमिंदर आर्य रहते हैं. 15 सालों तक भारतीय सेना की सेवा कर चुके परमिंदर आर्य अब इस गांव के हिंदू नौजवानों को मिलेट्री ट्रेनिंग देते हैं.
इस वक्त उनके घर के आंगन में 9 साल के रितिक और 11 साल की शुभि समेत 9 साल के बच्चों से लेकर 30 साल तक के युवाओं का समूह ट्रेनिंग ले रहा है.
बच्चों और युवाओं का यह समूह हर रोज दो घंटे की ट्रेनिंग लेने परमिंदर आर्य के घर पहुंचता है. आर्य इस समूह को ना केवल परंपरागत युद्ध तकनीक सिखाते हैं बल्कि वह उन्हें चाकू, तलवार और लाठी चलाने की भी ट्रेनिंग देते हैं. इसके साथ ही वह इन्हें इस्लामिक आतंक का खतरा बताते हुए हिंदू धर्म की शिक्षा भी देते हैं.
क्विंट के कैमरे पर बोलने के लिए यहां ट्रेनिंग ले रही शुभि और रितिक को तैयार किया गया. यहां ट्रेनिंग ले रहे हिंदू नौजवानों को लव जिहाद के बारे में भी जानकारी दी गई है.
उन्हें बताया गया है कि लव जिहाद मुस्लिमों की अपनी आबादी बढ़ाने को लेकर रची गई एक साजिश है.
उन्हें बताया गया है कि मुस्लिम हिंदू लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाने के बाद ना केवल उन्हें छोड़ देते हैं बल्कि कई बार उन्हें देह व्यापार में भी धकेल देते हैं.
इस्लामिक स्टेट से हिंदू धर्म को खतरा बताकर लोगों को अपने साथ जोड़ने और संगठन को मजबूत करने के लिए उसमें हिंदू नौजवानों की भर्ती के लिए ये संगठन इंटरनेट का भी पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं.
अपने एजेंडे को लोगों तक पहुंचाने के लिए ये संगठन फेसबुक और व्हाट्सएप का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
चेतना शर्मा का दावा है कि उनके पास 100 से ज्यादा व्हाट्सएप ग्रुप्स हैं, जिनके जरिए उनका एक संदेश करीब ढाई लाख लोगों तक पहुंच जाता है.
इन व्हाट्सएप ग्रुप्स में सबसे ज्यादा प्रसारित होने वाले वीडियो संदेशो में सबसे चर्चित चेहरा स्वामी नरसिम्हानंद सरस्वती का है.
स्वामी गाजियाबाद में स्थित एक मंदिर के महंत हैं. इस मंदिर में मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पनप रहे कई हिंदू संगठनों के स्वामी नरसिम्हानंद वैचारिक गुरू भी हैं. एम.टेक. कर चुके स्वामी नरसिम्हानंद के पास एक टैब भी है. जिसके जरिए वह धार्मिक युद्ध में इंटरनेट के इस्तेमाल एक हथियार के तौर पर कर रहे हैं.
द क्विंट ने गाजियाबाद के गांव बिम्बैटा में चल रहे एक अखाड़े में पहुंचकर ओलंपिक्स में प्रतिभाग करने का सपना संजोए युवा पहलवानों से भी मुलाकात की.
हालांकि उन्हें किसी दूसरे मंसूबे के लिए तैयार किया जा रहा है. इन पहलवानों को इस्लामिक स्टेट का खतरा दिखाकर ना केवल शारीरिक तौर पर तैयार किया जा रहा है बल्कि उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग भी दी जा रही है.
हिंदू स्वाभिमान संघ के अध्यक्ष अनिल यादव भी इसी तरह का एक ट्रेनिंग सेंटर चला रहे हैं. द क्विंट के साथ बातचीत के दौरान अनिल यादव ने अपनी रिवाल्वर भी दिखाई, जिसे वह हर वक्त अपने साथ रखते हैं.
उनका दावा है कि उनके पास हथियार रखने का लाइसेंस है, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हथियार रखने के लिए लाइसेंस होना जरूरी नहीं है. हिंदू नौजवानों को जिन हथियारों से ट्रेनिंग दी जा रही है वह भी गैर लाइसेंसी हैं.
इन इलाकों में मुस्लिमों के खिलाफ चलने वाले अधिकांश संगठन स्वामी नरसिम्हानंद की देखरेख में चल रहे हैं. वहीं मेरठ में सच फाउण्डेशन नाम की संस्था चलाने वाले संदीप पहल गौ हत्या रोकने के लिए काम कर रहे हैं. गौ हत्या रोकने को लेकर उनकी मुहिम में हिंदुओं के साथ मुसलमान भी शामिल हैं.
बीते सितंबर महीने में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दादरी के एक गांव में बीफ खाने की अफवाह के चलते एक मुस्लिम युवक की हत्या कर दी गई थी.
इन समूहों में असुरक्षा की भावना इसलिए भी देखी जाती है क्यों कि इस क्षेत्र के इतिहास में सांप्रदायिक हिंसा की जड़ें गहरी है.
गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए गए सरकारी आंकड़ों की मानें तो पिछले एक दशक में भारत में सांप्रदायिक हिंसा में 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.
वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस तरह की हिंसा की घटनाओं में बढ़ोत्तरी जारी है.
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