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UPSC की तैयारी करने वाले क्यों भूख हड़ताल को मजबूर? 

छात्रों का आरोप है कि UPSC हिंदी मीडियम के छात्रों के साथ भी भेदभाव कर रहा है.

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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

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UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए मशहूर दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में कुछ छात्र भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. उनकी मांग है कि 2011-15 के बीच UPSC एग्जाम में लगातार बदलाव होने के कारण उन पर प्रभाव पड़ा है और वो मांग कर रहे हैं कि सरकार उनको कंपनसेटरी अटेम्प्ट दे. साथ ही छात्रों का आरोप है कि UPSC हिंदी मीडियम के छात्रों के साथ भी भेदभाव कर रहा है.

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UPSC की तैयारी कर रहे कुछ छात्र अपनी मांगों को लेकर सोमवार से भूख हड़ताल पर हैं. उनकी मांग है कि CSAT परीक्षा में 2011-15 के बीच लगातार जो 5 बदलाव किए गए. इसके कारण उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया है. इसलिए उनको आयोग के इस बदलाव का खामियाजा उठाना पड़ा है.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक UPSC एग्जाम में पैटर्न को लेकर निगवेकर समिति का गठन किया गया था. इस समिति ने भी पाया कि CSAT के लागू होने से क्षेत्रीय भाषाओं और ह्यूमेनिटीज से आने वाले छात्रों का प्रतिशत गिर गया.

कमिटी के मुताबिक “ 2009 में हिंदी मीडियम बैकग्राउंड से पास करने वालों का प्रतिशत 42.2 था जबकि ये 2011 में गिरकर 15% हो गई”

इसके अलावा 2013 से 2018 के बीच IAS क्वालिफाई करने वाले छात्रों की तादाद में गिरावट दर्ज की गई

  • 2013 - 17%
  • 2014 - 2.11%
  • 2015 - 4.28%
  • 2016 - 3.45%
  • 2017 - 4.06%
  • 2018 - 2.16%

2013 से 2018 के बीच हिंदी मीडियम से क्वालिफाई करने वालों का प्रतिशत 17 से गिकर 2.16% पर आ गया

छात्र सरकार को इसके बार में कई सारे ज्ञापन दे चुके हैं. छात्रों ने अमित शाह के घर के बाहर भी प्रदर्शन किया लेकिन अभी किसी ने भी दिक्कतें दूर करने का वादा तो दूर मिलने का वक्त भी नहीं दिया.

वहीं अब प्रतियोगी छात्रों से मिलने विपक्षी दलों के नेता भी पहुंचने लगे हैं. आप नेता संजय सिंह भी छात्रों के बीच पहुंचे और उनकी सॉलिडेरिटी में शामिल हुए.

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