मिर्जापुर या रंगबाज जैसी वेब सीरीजों का कोई भी एपिसोड आपने देखा ? अगर देखा होगा, तो इससे यूपी में अपराध और अपराधियों की हैसियत क्या है, इसकी थोड़ी बहुत झलक मिल ही जाएगी. हालांकि, मसाला ज्यादा है, लेकिन कहानी पूरी तरह से फिल्मी नहीं है.
सिर्फ इस दौर की वेब सीरीज पर ही नहीं है, बल्कि सिल्वर स्क्रीन यानी फिल्मों में भी यूपी और बिहार के माफियाराज का तड़का पहले से लगता रहा है. यूपी की छवि सुधारने के लिए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही योगी आदित्यनाथ ने बदमाशों के सफाए का अभियान शुरू कर दिया था.
यूपी पुलिस के ‘ठोकने’ वाले एक्शन से योगी सरकार की हनक कुछ इस तरह दिखी कि अपराधी तख्तियां लगाकर सरेंडर करने कोर्ट पहुंचने लगे. सरकार का हौसला बढ़ा और माफिया पस्त हुए. लेकिन क्या ये हनक सिर्फ सांकेतिक या फोटो सेशन तक ही रही? क्योंकि यह माहौल लम्बे समय तक ठहर नहीं पाया. और क्राइम पर रोक लगना तो दूर,अब तो जेल से ही क्रिमिनल हथियार लहराते दिख रहे हैं. चुनौती भी दे रहे हैं.
उन्नाव जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा बदमाश गौरव प्रताप सिंह उर्फ अंकुर, जो जेल में ही पिस्तौल लहराता हुआ दिखता है. यही नहीं बाकायदा पोज देते हुए फोटो सेशन भी कराता है. अंकुर के वीडियो के वायरल होते ही जेल और सरकार दोनों की किरकिरी शुरू हो गयी. जिस पर तुरंत एक्शन में आये योगी सरकार के जेल मंत्री जयप्रकाश जैकी से लेकर जेल अधिकारियों के बयान आने लगे.
खैर सरकार की किरकिरी रोकने के लिए अधिकारियों ने वीडियो में दिखे पिस्तौल को मिट्टी का बताया. जो अंकुर के जेल में पिस्तौल लहराने से कहीं ज्यादा चौंकाने वाला है. उन्होंने तो फिल्म शोले की याद दिला दी जिसमें अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र यानी कि जय और वीरु नकली पिस्तौल की अफवाह उड़ा जेल से भाग निकले थे.
हो सकता है कि मंत्री जी की बात सच हो और पिस्तौल भी नकली हो. लेकिन जेल में जहां चप्पे-चप्पे पर सिपाहियों की तैनाती रहती है वहां इस तरह के फोटो सेशन का मौका या माहौल कैसे बना? फिलहाल पिस्तौल और वीडियो के लेकर अधिकारी सफाई दे रहे हैं. कहा जा रहा है कि वीडियो पुराना यानी फरवरी महीने का है.
चलिये इस मामले में मंत्री जी की बात मान भी लेते हैं, लेकिन जेल में पिस्तौल और मोबाइल दोनों ही पहुंच रहे हैं और चल भी रहे हैं. जेल में ऐसे अपराध हो रहे हैं, जिसकी सजा के तौर पर अपराधियों को जेल भेजा जाता है.
बहुत पीछे जाने की जरूरत नहीं है. जुलाई 2018 में बागपत जेल में गोली चली. यहां बन्द माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की सुबह-सुबह हत्या गोली मारकर कर दी गयी. वही मुन्ना बजरंगी, जिसकी तूती यूपी के अलावा आसपास के प्रदेशों में बोलती थी.
हत्या का आरोप उसी जेल में बन्द वेस्टर्न यूपी के बदमाश सुनील राठी पर लगा. इस मामले में गृह विभाग ने बागपत जेल के तत्कालीन जेलर उदय प्रताप सिंह को बर्खास्त कर दिया.
अब बात करते हैं मोबाइल की. दिसम्बर,2018 में फूलपुर से सांसद रहा माफिया डॉन अतीक अंसारी देवरिया जेल में था. वहीं उसने लखनऊ के बिजनेसमैन मोहित को देवरिया जेल में बुलाया और अपने गुर्गों से जमकर उसकी पिटाई करायी. मामला सामने आया कि वो 45 करोड़ की प्रापर्टी ट्रांसफर कराना चाहता था. अतीक की जेल में गुंडागर्दी की तस्वीरें भी वायरल हुई थीं.
बड़ी बात यह है कि जेल में बदमाशों की बादशाहत कोई नई बात नहीं है लेकिन योगी सरकार में इसके वीडियो लागातार वायरल हो रहे हैं.
- पांच जून- इलाहाबाद के नैनी सेंट्रल जेल का वीडियो वायरल हुआ. जिसमें कैदी शराब और कबाब के मजे ले रहे हैं. जेल के अंदर हुई इस पार्टी में 50 हजार के कई इनामी बदमाश जश्न मना रहे थे.
- 6 जून को गाजीपुर जिला जेल से वीडियो सामने आया था. इसमें कई बंदी न सिर्फ मोबाइल फोन पर बातें करते दिखाई दे रहे हैं बल्कि दावत भी उड़ा रहे हैं.
- 19 जून रायबरेली जिला जेल का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें तीन आरोपी युवकों से पहले तो उठक-बैठक करायी गयी. बाद में गाली-गलौज करते हुए एक-दूसरे को थप्पड़ मारवाया जा रहा है.
माफियाराज के अपने ही कायदे और कानून हैं. कहा जाता है कि असली डॉन वही है, जिसकी सत्ता जेल में चलती हो. क्योंकि जेल में बादशाहत बनाने के लिए पैसा और पावर दोनों चाहिए. पैसे से अधिकारियों पर नियंत्रण और पावर से सरकार पर.
ये दोनों जिनके पास होता है. उनके लिए जेल में कुछ भी करना आसान है. कुल मिलाकर कहें तो अभी तक जेलों में कैदियों की मौज मस्ती और बादशाहत की खबरें हम सुना करते थे, लेकिन योगी राज में इसके सबूत भी मिलने लगे. मतलब साफ है कि सरकार भले ही सख्त होने का दावा करे लेकिन जेल की दीवारें जरूर कमजोर हो रही हैं.
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