वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
चमोली में आई बाढ़ में कई लोगों की मौत की आशंका है और कई लोग अभी भी लापता हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर कैसे आई अचानक बाढ़ और हर बार इस तरह के हादसे उत्तराखंड में ही क्यों होते हैं?
आखिर चमोली में कैसे अचानक बाढ़ आई जिससे इतना नुक़सान हुआ? कुछ लोगों का कहना है कि ये भूस्खलन से हुआ वहीं कुछ का कहना है कि ग्लेशियर टूटने की वजह से ये हुआ.
इस आपदा की सही वजहों के बारे में अभी तक कुछ भी निश्चित नहीं हो पाया है. खबरों के मुताबिक नंदा देवी ग्लेशियर का कुछ हिस्सा टूट गया. जिसकी वजह से हिमस्खलन हुआ और फिर अलकनंदा और धौली गंगा नदी में बाढ़ आई.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के नए सैटेलाइट आकलन के मुताबिक भूस्खलन की वजह से हिमस्खलन हुआ जिसके बाद बाढ़ आ गई.
कुछ अंतरराष्ट्रीय भूवैज्ञानिकों और हिमनद वैज्ञानिकों ने भी इस दावे की पुष्टि की.
हिमनद का फटना क्या है?
हिमनदों की झीलों के टूटने से होने वाली बाढ़ को ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड कहा जाता है. इसके बारे में कई आशंकाएँ जताई जा रही हैं.
- जल स्तर बढ़ने से मोराइन बांधों को नुकसान पहुंच सकता है. जिससे पानी अचानक बाढ़ की वजह बन सकता है.
- हिमस्खलन या ग्लेशियल आइस से लहरें उठ सकतीं हैं, जिससे मोराइन टूट सकते हैं
- पानी के रिसने से बांध टूट सकते हैं
GLOF विनाशकारी क्यों होते हैं?
GLOF नीचले इलाकों में बाढ़ ला कर सकते हैं और बहुत कम अंतराल में पानी की काफी मात्रा छोड़ने के कारण विनाशकारी हो सकते हैं. GLOF के बारे में कोई आकलन इसलिए नहीं किया जा सकता क्योंकि बारिश की तीव्रता, भूस्खलन की जगह, घेरने की मात्रा, झीलों और जल निकायों की भौतिक स्थिति पर पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है.
इन सबके लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है. जलवायु परिवर्तन और इंसानों के हस्तक्षेप से GLOF आपदाओं का खतरा बढ़ सकता है.
खबरों के मुताबिक करीब 47 संभावित रूप से खतरनाक ग्लेशियल लेक कोसी, गंडक, कर्णाली
नदियों के बेसिन नेपाल, तिब्बत और भारत में हैं. आपको बता दें कि केंद्रीय जल आयोग जल निकायों और झीलों की निगरानी करता है.
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