वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा
बंगाल का सबसे रोमांचक समय कुछ ही दिन में आने वाला है. बात हो रही है दुर्गा पूजा की. लेकिन इस बार, दुर्गा मां के घर वापसी में एक और चीज का बड़ा असर होगा. एक और चीज जो दुर्गा पूजा की तरह ही बंगालियों के मन के बहुत करीब है,और वो है पॉलिटिक्स.
इस साल, BJP ममता दीदी के दुर्गा पूजा के एकाधिकार को टक्कर दे रही है क्योंकि 2019 के आम चुनावों में बंगाल में BJP के जबरदस्त प्रदर्शन के बाद ये पहली पूजा है. बंगाल के करीब 25000 पूजा कमेटी दोनों पार्टियों के बीच एक नई दरार पैदा कर रही है.
जैसे कि कोलकाता के कालीघाट इलाके का संघश्री दुर्गा पूजा. ये इलाका स्वयं ममता दीदी का इलाका है और इसी इलाके की पूजा विवादों में उलझ गई.जब उनके कमेटी के ही कुछ लोगों ने कहा की एक BJP स्टेट यूनिट के जनरल सेक्रेटरी को अपने पूजा कमेटी का अध्यक्ष बनाएंगे. ऐसा क्यों? क्योंकि उन्होंने वादा किया है कि पूजा उद्घाटन वो किसी और से नहीं बल्कि गृहमंत्री अमित शाह से करवाएंगे.
अगर BJP सूत्रों की मानें तो इस पूजा सीजन में अमित शाह, जेपी नड्डा और स्मृति ईरानी जी की मांग बहुत ज्यादा है. इन तीनों से पूजा उद्घाटन करवाने के लिए हर रोज हजारों गुजारिश आती हैं.
फिलहाल के लिए TMC ये राउंड जीत गई.अब क्लब के कुछ मेंबर कह रहें हैं कि नहीं, उन्होंने किसी BJP वाले से बात नहीं की थी और ना कोई BJP वाला उनके क्लब का अध्यक्ष बनने वाला है. इन सब के बीच में, तृणमूल ने ये आरोप लगाया कि BJP कई सारी पूजा कमेटी को इनकम टैक्स नोटिस भेज रही है.उन्हें डराने के लिए ममता दीदी ने इसको 'पूजा जजिया टैक्स' का नाम दिया है.
तृणमूल की महिला मोर्चा ने इसके लिए एक दिन का धरना भी दिया, लेकिन सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने इस आरोप को जल्द ही नकार दिया. मानो कि इसके जवाब में ही हरेक पूजा कमेटी के लिए ममता बनर्जी ने अब 25,000 रुपये के वित्तीय मदद की घोषणा की है.
पिछले साल ममता ने 10,000 रुपये दिए थे. उन्होंने ये भी बोला कि अगर कोई पूजा कमेटी किसी महिला या फिर महिलाओं के ग्रुप द्वारा चलाया रहा हो तो उनको एक्स्ट्रा 5,000 रुपये भी मिलेंगे. इसके इलावा बिजली और दूसरी चीजों में भी छूट की घोषणा की गई.
इस पूरी एक्सरसाइज पर सरकार के करीब 70 करोड़ रुपये खर्च होंगे.और इसमें BJP का जो मनोबल खर्च होगा वो तो अलग.
सच बताएं तो, बंगाल में पूजा में राजनीति शामिल रही है. खासकर लेफ्ट फ्रंट के जमाने के बाद से 2011 के बाद दुर्गा पूजा इवेंट और भी बड़ा बन गया क्योंकि पूजा में राज्य सरकार का निवेश बढ़ गया.
इसके पहले 1990 और 2000 के दशक में वामपंथी पूजा वगैरह से दूर ही रहते थे. इसलिए तृणमूल ने पूजा कमेटी पर कब्जा जमा लिया. जो पहले एक दायरा बढ़ाने की स्ट्रैटजी थी वो जल्द ही एक स्टेट इवेंट बन गया. जब तृणमूल सत्ता में आई . 2019 में BJP दीदी के पैंतरे उन्हीं पर इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है. अभी भी पूजा में कुछ समय बाकी है तो ड्रामा यहीं पर खत्म नहीं होगा. लेकिन तब तक हम कहते हैं- दुग्गा! दुग्गा
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