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बक बक बिलाल: हर मॉनसून मुंबई की सड़कें क्यों धुल जातीं हैं?

मानसून में मुंबई की सड़कें गायब होने की 5 वजह जानिये.

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क्या आपने कभी सोचा है कि हर साल मानसून में मुंबई की सड़कें कहां गायब हो जातीं हैं? ऐसा क्यों है कि देश का सबसे अमीर नगर निगम अच्छी और मजबूत सड़क बनाने में फेल हो जाता है? BMC के पास सालाना 37,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट है, लेकिन आश्चर्य की बात तो ये है कि मुंबई के लोगों को हर मानसून में घुटने तक के गहरे पानी से गुजरना पड़ता है. आइये जानें हर मानसून में मुंबई की सड़कों के गायब होने की वो 5 वजह.

1. इनिशियल कॉन्टुअर सर्वे

कॉन्ट्रैक्टर को सड़क बनाने का टेंडर देने के बाद, सर्वे टीम उन सड़कों का निरीक्षण करती है, जिन सड़कों को बनाने की जरूरत होती है. इस सर्वे टीम का काम ढलान, चौड़ाई और हर वो डिटेल देना होता है जो सड़क को लंबे समय तक चलने वाला बना दे. हालांकि, पहले चरण को ही गंभीरता से नहीं लिया जाता है और यही वजह है कि ये पहली वजह है कि सड़कें इतनी खराब हैं.

2. क्वालिटी मेंटेनेंस

हर सड़क को मजबूत होने के लिए अच्छे माल की जरुरत होती है। सड़क दो तरह की हो सकतीं हैं- कॉन्क्रीट या टार और कोयला उर्फ डाम्बर. इन सड़कों को बनाने के लिए जरुरी माल बहुत सस्ते में भी मिल जाता है और महंगा भी मिलता है. सड़क की ड्यूरबिलिटी इस बात पर निर्भर करती है कि माल कितना अच्छा है. कॉन्ट्रैक्टर ये करते हैं कि सड़कों के लिए सबसे महंगा माल खरीदने के लिए बिल जमा करते हैं और सबसे सस्ते को इस्तमाल करते हैं. कागज पर, इन सड़कों को बहुत अच्छे माल के साथ बनाया गया है, लेकिन असलियत में ये सड़कें हर मानसून में धुल जाती हैं.

3. गलत मरम्मत का काम

ऐसा भी समय होता है जब सड़कें ठीक हो जाती हैं, लेकिन उन्हें दूसरे डिपार्टमेंट ड्रेनेज मेंटेनेंस, पानी की पाइपलाइन और केबल लाइनों को डालने जैसे काम के लिए खोदना पड़ता है. इन सड़कों को खोदने वाले लोग सड़क बनाने में फेल हो जाते हैं क्योंकि ये खोदने से पहले था और कॉन्ट्रैक्टर ये कहते हुए अपने हाथ खड़े कर देते हैं कि यह उनकी गलती नहीं है और ये एक दूसरे पर इल्जाम लगाने वाला खेल सड़क को अछूता छोड़ देता है.

4. खराब मौसम

कई बार खराब मौसम के कारण एकदम सही सड़कें बर्बाद हो जाती हैं. इस बारे में आप कुछ नहीं कर सकते.

5. जवाबदेही

BMC MMRDA पर इल्जाम लगता है और MMRDA BMC पर. सड़क का काम करने वाले कॉन्ट्रैक्टर पर सरकार सख्त नहीं है. जवाबदेही तय करने की जरूरत है. जब तक जवाबदेही नहीं होगी और कॉन्ट्रैक्टर को सलाखों के पीछे नहीं डाला जाएगा, उनके लाइसेंस हमेशा के लिए रद्द नहीं किये जाएंगे, तब तक ये चीजें नहीं रुकेंगी.

एक बहुत जरुरी घोषणा भी होती है जो सड़क बनते ही कॉन्ट्रैक्टर को करनी होती है. इसे DLP कहा जाता है, जिसमें कॉन्ट्रैक्टर ये आश्वासन देता है कि ये सड़क इतने समय तक खराब नहीं होगी और अगर उस समय के अंदर-अंदर सड़क खराब हो जाती है, तो कॉन्ट्रैक्टर को अपने पैसे से उसे ठीक कराना होता है.

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वीडियो एडिटर: वीरू कृष्ण मोहन

कैमरामैन: संजॉय देब

असिस्टेंट कैमरामैन: गौतम शर्मा

प्रोड्यूसर: बिलाल जलील

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