ADVERTISEMENTREMOVE AD

किसान आंदोलन: ‘रोजाना मर रहे किसान, हम क्यों अड़ेंगे?’- सरवन सिंह

4 जनवरी की बैठक में क्या हुआ?

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच एक और दौर की बातचीत बेनतीजा रही है. 4 जनवरी को दोनों पक्षों के बीच सातवें दौर की बातचीत हुई थी, लेकिन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर गतिरोध बना रहा. किसानों का कहना है कि अब आंदोलन तेज किया जाएगा. किसानों और सरकार के बीच गतिरोध किस बात को लेकर बना हुआ है? क्विंट ने इस बारे में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर से बात की.

पंधेर ने कहा, "मुझे लगता है अभी आंदोलन और तेज करना होगा, आंदोलन का घेरा बढ़ाना होगा. ऐसा लगता है कि सरकार किसानों से और जोर लगवाना चाहती है."

4 जनवरी की बैठक में क्या हुआ?

ऐसी खबरें हैं कि सातवें दौर की बातचीत में सरकार ने कानूनों में बदलाव पर बातचीत करने पर जोर दिया, न कि इन्हें वापस लेने पर. सरवन सिंह पंधेर ने कहा, "मंत्रियों के बातचीत करने के तरीके से हमें अनुभव हुआ कि केंद्र सरकार अभी कुछ भी देने के लिए तैयार है."

“कृषि मंत्री महोदय ने बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ताली दो हाथों से बजती है. तो मैं कहना चाहता हूं कि दोनों हाथ केंद्र सरकार के पास हैं और जैसे लोग ठंड में हाथ छुपाते हैं, वैसे ही सरकार छुपा रही है. अगर उनका मतलब है कि दूसरा हाथ कृषि कानून वापस लेने की मांग से पीछे हट जाएं तो ये कभी नहीं होगा. हम बता दें कि हमारे पास दोनों हाथ आंदोलन करने वाले हैं.”
सरवन सिंह पंधेर, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव

पंधेर ने कहा कि केंद्र ने बैठक में अपने कृषि कानूनों को 'क्रांतिकारी' बताया. उन्होंने कहा, "आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बैठक में क्या मिलेगा."

ADVERTISEMENTREMOVE AD
“मंत्री वैसे ही 35 मिनट लेट आए और फिर लंच के समय चले गए और डेढ़-दो घंटे के बाद आए. मुझे तो लगता है कि चार घंटे समय खराब करने वाली बात थी. बस पहले सुर ज्यादा गरम थे और फिर बाद में कुछ नरम हो गए.”
सरवन सिंह पंधेर, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 'नेशनल मीडिया कहता है किसान अड़े हुए हैं, आप बताइए कि फरियादी लोग कैसे अड़ेंगे?' पंधेर ने कहा, "जिन लोगों के परिवार से दो-चार व्यक्ति भगवान को प्यारे हो रहे हैं, तो आंदोलन कितनी मुश्किल से चल रहा होगा."

कानून वापस लेने की मांग पर क्यों डटे किसान?

पंधेर ने कहा कि प्रस्ताव अभी भी वही है कि तीनों कानून वापस लिए जाएं और MSP पर कानूनी गारंटी मिले. उन्होंने कहा कि सरकार के साथ बातचीत कृषि कानूनों के मुद्दे पर ही अटकी हुई है.

“हम वापस लेने के लिए कहते हैं तो सरकार कहती है कि ये संभव नहीं है. एक बार कहा कि राष्ट्रपति के साइन हो गए हैं, दूसरी बार कहा कि सुप्रीम कोर्ट चले जाइए. संशोधन की बात करते हैं और कहते हैं कि कमियां बताइए. हमने सारी कमियां पहले ही बता दी हैं.”
सरवन सिंह पंधेर, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव

पंधेर ने कहा कि 'जहां बात टूटी थी, अभी भी वही हैं. सरकार एक कदम भी आगे नहीं आई है.'

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×