पहली बार भारत से मुस्लिम महिलाएं बिना महरम (पिता, पति, पुत्र और भाई) के हज यात्रा के लिए निकली हैं. ये एक ऐतिहासिक मौका है. सरकार ने हाल ही मुस्लिम महिलाओं को बिना महरम हज पर जाने की इजाजत दी थी. नए नियम के मुताबिक, 45 साल से ऊपर की महिलाओं को बिना महरम हज पर जाने की इजाजत मिली है. महिलाओं के पांच ग्रुप हैं, जिसमें कुल 20 महिलाएं हज के लिए गई हैं.
लखनऊ की रहने वाली शमीम बानो का सपना पुरा हुआ है. वो बताती हैं कि उनका विरोध भी हुआ लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
लखीमपुर में चचेरे भाई को मैंने कहा कि मैं हज करने जा रही हूं. उन्होंने पूछा कि किसके साथ?मैंने कहा, “चार महिलाएं हैं”. उन्होंने कहा कि तुम हज पर नहीं जा सकती हो. बिना महरम के कैसे जा रही हो. मुझे काफी तकलीफ हुई और रोना आ गया, तो मेरे भाई ने कहा कि तुमने अल्लाह के नाम से फॉर्म भरा है, तो तुम जरूर जाओगी. मैंने हिम्मत कर अपना मन बदला और मेरा नाम आ गया और अब मुझे खुशी है कि मैं जा रही हूंशमीम बानो, निवासी, लखनऊ
अकेले हज जाने वाली महिलाओं के घर पर मेले जैसा माहौल है. लखनऊ की बेबी खातून के मुताबिक,
सोचकर ही खुशी होती है कि हम अल्लाह के घर जा रहे हैं. क्यों जा रहे हैं?- अल्लाह को राजी करने के लिए. अल्लाह को हम तभी राजी कर सकते हैं, जब हम अल्लाह के बंदों को राजी करेंगे जब हम जाएं तो अपना दिल पाक साफ करके जाएं. किसी से कोई मन मुटाव नहीं होना चाहिए.
लखनऊ से पांच ग्रुप में इन 20 महिलाओं को बांटा गया था. इनकी देखरेख के लिए चार महिला खादिमुल हुज्जाज भी साथ भेजी गई हैं.
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