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चौक-चौराहे पर जमा महिलाएं CM को क्यों परेशान करती हैं?

प्रदर्शन कर रही कुछ महिलाओं ने कहा- “हमें CAA की समझ नहीं तो आकर समझा दें योगी जी...”

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वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा

कैमरापर्सन: शिव कुमार मौर्य

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शायद ये मानते हैं कि महिलाएं वही करती हैं जैसा उनके घरों के पुरुष उनसे करने के लिए कहते हैं.

22 जनवरी को कानपुर में नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में एक रैली के दौरान उन्होंने कहा-

“अब इन्होंने क्या किया है, अपने घर की महिलाओं को चौराहे-चौराहे पर बैठाना शुरू कर दिया है, कितना बड़ा अपराध की पुरुष घर में सो रहा है रजाई ओढ़ के और महिलाओं को आगे करके चौराहे-चौराहे पर बैठाया जा रहा है. कितना शर्मनाक है कांग्रेस, सपा और वामपंथी दलों के लोगों के लिए एक देश की कीमत पर राजनीति करना और दूसरा विरोध के लिए महिलाओं को आगे करना, जिन्हें पता ही नहीं की CAA क्या है....”
योगी आदित्यनाथ

सीएम योगी को लगता है कि ये सारी महिलाएं किसी न किसी विपक्षी राजनीतिक दल से जुड़ी हैं. साथ ही महिलाओं को CAA के बारे में कुछ नहीं पता और महिलाएं इसे समझने की सलाहियत नहीं रखतीं. क्या वो ये मानते हैं कि शाहीन बाग में जो महिलाएं एक महीने से ज्यादा समय से CAA का विरोध कर रही हैं, वे पुरुषों के कहने पर कर रही हैं?

सीएम के बयान के मद्देनजर क्विंट ने शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही कुछ महिलाओं से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही.

करीब 70 साल की वहीदन कहती हैं- “कितनी औरत हैं यहां कितने मर्द हैं, योगी जी यहां आकर देख लें.”

गृहिणी सदफ कहती हैं- “अगर हमें CAA के बारे में नहीं पता तो योगी जी खुद आकर हमें समझा दें, मंच से.”

कहकशां का कहना है कि “योगी जी हमारी फिक्र छोड़ दें हम लड़ लेंगे और लड़ रहे हैं.”

सायरा बानो कहती हैं - “आप कहते हैं मर्द घरों में बैठे हैं,महिलाएं चौक पर आ रही हैं. महिलाएं कब बाहर नहीं निकली हैं. नोटबंदी के समय बाहर नहीं आईं थीं क्या औरतें?”

योगी आदित्यनाथ के महिला विरोधी और पितृसत्तात्मक बयान को लेकर महिलाओं में काफी नाराजगी दिखी.

सवाल ये है कि महिलाओं को कमतर क्यों समझते हैं योगी जी? देश का वित्त मंत्रालय चलाने वाली उनकी पार्टी की निर्मला सीतारमण के बारे में उनका क्या कहना है? किरण मजूमदार शॉ एक महिला ही हैं, जो बायोकॉन जैसी  बड़ी कंपनी चला रही हैं.
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उन्हें ये बयान देते वक्त शायद दीपिका पादुकोण भी याद नहीं रही होंगी, जिनकी एक जेएनयू यात्रा ने उनकी पार्टी को परेशान कर दिया. तान्या शेरगिल जिसपर देश की हर महिला और हर पुरुष को गर्व होता है. उन्होंने हाल ही में आर्मी डे पर पुरुषों के दल को लीड किया.

महिलाओं की काबिलियत और हिम्मत के उदाहरणों से देश भरा पड़ा है. महिलाओं के नेतृत्व वाले आंदोलनों से इतिहास भरा पड़ा है. लेकिन सीएम योगी ये मानने को तैयार नहीं.

और ये पहली बार नहीं है जब महिलाओं के बारे में उनके ऐसे विचार सामने आए हैं. जब 2017 में देश के सबसे बड़े सूबे की कमान उन्हें मिली थी तभी उनके महिला वरोधी विचार सामने आ गए थे.

उनकी वेबसाइट yogiadityanath.in पर कई महिला विरोधी लेख थे. जिनमें कहा गया था कि ‘स्त्री सर्वथा स्वतंत्र या मुक्त छोड़ने योग्य नहीं है’. ‘अनियंत्रित छोड़ दें तो यह बेकार और विध्वंसक हो जाती हैं’ और भी तमाम दकियानूसी बातें. विपक्ष, विरोध, विवाद की वजह से ये लेख वेबसाइट से तब हटा लिए गए.

उम्मीद थी कि एक जिम्मेदार पद पर बैठने के बाद आगे जिम्मेदार और सोच समझकर बयान देंगे. लेकिन योगी के ताजा बयान ने  फिर से जाहिर कर दिया कि महिलाओं को लेकर उनकी सोच सीएम पद पर काबिज होने के बाद भी नहीं बदली.

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कहीं इसी सोच का नतीजा तो नहीं कि 2017 और 2018 में देश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध यूपी में हुए. और ये सरकार का NCRB डेटा कह रहा है- 2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा 59,445 मामले यूपी से सामने आए.

कहीं इसी सोच का नतीजा तो नहीं कि यूपी में करीब बीजेपी के 300 विधायकों की लिस्ट में से 5 महिलाएं ही कैबिनेट मंत्री का दर्जा पा सकीं.

योगी जी दरअसल चाहते हैं कि महिलाओं घूंघट में छिपी रहें और जब शाहीन बाग और दूसरी जगहों पर महिलाओं ने अपने आंचल को परचम बना लिया है तो उनका ये अंदाज परेशान कर रहा है और इसीलिए वो ऐसे बयान दे रहे हैं.

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