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आम आदमी पार्टी अब 'हिंदू आदमी पार्टी' बन रही,'भक्त' केजरीवाल पर BJP क्यों बेचैन?

जन कल्याण, बिजली हाफ-पानी माफ, सस्ती-अच्छी शिक्षा देने के नाम पर जनता के बीच जाने वाली AAP बीजेपी की राह पर क्यों?

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केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने भारतीय करेंसी पर लक्ष्मी-गणेश की फोटो रखने की मांग की है. इधर ये मांग आई और उधर आनन फानन में बीजेपी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केजरीवाल को ढोंगी और हिंदुओं का दुश्मन करार दे दिया. हाल फिलहाल केजरीवाल और आम आदमी पार्टी में कई ऐसी चीजें हुईं हैं जिसे देखकर कन्फ्यूजन होता है कि ये बीजेपी का ही दूसरा रूप है या फिर वही आम आदमी पार्टी जो विकास की बात करती थी? सवाल ये भी है कि आखिर केजरीवाल की लक्ष्मी-गणेश वाली मांग बीजेपी को इतनी क्यों चुभी कि उसने बाकायाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डाली.

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आम आदमी पार्टी या 'हिंदू आदमी पार्टी'?

हिंदुत्व संगठनों और हिंदुत्व विचारधारा को पसंद आने वाली बातें केजरीवाल की पार्टी की तरफ से पहली बार नहीं की गई है. अभी कुछ दिन पहले ही दिल्ली में बौद्ध धर्म दीक्षा समारोह हुआ. ऐसे कार्यक्रम देश में भर में हर साल होते आए हैं. इस कार्यक्रम में बौद्ध धर्म में दीक्षा लेने वाले शपथ लेते हैं कि हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानेंगे. इस बार भी यही हुआ. शपथ लेने वालों में केजरीवाल सरकार के मंत्री राजेंद्र गौतम भी थे.

इसे लेकर बीजेपी ने बवाल मचाया. बीजेपी ने पार्टी को हिंदू विरोधी बताया. ताज्जुब की बात ये थी कि इस मामले में जब राजेंद्र गौतम पर हर तरफ से हमले हो रहे थे तो आम आदमी पार्टी ने उन्हें एकदम अकेला छोड़ दिया. बाद में राजेंद्र गौतम ने मंत्रि परिषद से इस्तीफा दे दिया.

ये हाल तब था संविधान की रचना करने वाले बाबा साहेब अंबेडकर ने खुद ये शपथ ली थी. राजेंद्र गौतम ने बाद में क्विंट से बातचीत में ये भी बताया कि उसी दिन महाराष्ट्र में ऐसे ही एक कार्यक्रम में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले भी शामिल हुए थे. उस कार्यक्रम में भी हिंदू देवी देवताओं को न मानने की शपथ दिलाई गई थी.

राजेंद्र गौतम के साथ हुए सलूक को लेकर आम आदमी पार्टी की काफी आलोचना भी हुई. लेकिन पार्टी टस से मस नहीं हुई. आज भी राजेंद्र गौतम मंत्री परिषद से बाहर ही हैं.

मुफ्त अयोध्या यात्रा

पिछले साल केजरीवाल ने ऐलान किया था कि उनकी सरकार बुजुर्गों के लिए दिल्ली से मुफ्त अयोध्या यात्रा का इंतजाम करेगी.

मनीष सिसोदिया ने सूरत की एक रैली में दिल्ली के रिंकू हत्याकांड का जिक्र करते हुए कहा कि ये दुर्भाग्य है कि जय श्री राम कहने पर किसी की हत्या कर दी जाती है, जबकि दिल्ली पुलिस कह चुकी है कि रिंकू हत्याकांड में सांप्रदायिक एंगल नहीं है.

अभी हाल ही में केजरीवाल ने गुजरात की एक रैली में कहा था कि उनके खिलाफ पोस्टर लगाने वाले कंस की औलाद हैं क्योंकि उनका जन्म कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुआ था.

''मैं एक बेहद धार्मिक आदमी हूं. मेरा जन्म श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुआ था. भगवान श्री कृष्ण ने मुझे एक काम देकर भेजा है - इन कंस की औलादों का सफाया करना, जनता को इनसे मुक्ति दिलाना.''
सीएम अरविन्द केजरीवाल
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एक टीवी चैनल पर जब केजरीवाल को हिंदू विरोधी बताया गया तो उन्होंने बाकायदा हनुमान चालीसा पढ़कर सुनाया था.

शाहीनबाग में जब CAA-NRC के खिलाफ जब प्रदर्शन हो रहे थे तो आम आदमी पार्टी की तरफ से अजीब सा सन्नाटा था. उसी दौरान पार्टी की तरफ एक बयान ये आया था कि अगर दिल्ली पुलिस उनके पास होती तो दो घंटे में धरना स्थल को खाली करा देते.

तो क्या आम आदमी पार्टी हिंदुत्वा की राह पर चल पड़ी है?

सवाल है कि जन कल्याण, ईमानदार प्रशासन, बिजली हाफ-पानी माफ और सस्ती-अच्छी शिक्षा देने के नाम पर जनता के बीच जाने वाली आम आदमी पार्टी आखिर बीजेपी की राह पर क्यों चल पड़ी है?

  • क्या पार्टी को भरोसा नहीं है कि दिल्ली मॉडल दूसरी जगहों पर लागू कर पाएगी?

  • क्या उसे लगता है कि बीजेपी को मात देने के लिए बीजेपी की राह पर जाना पड़ेगा?

  • क्या पार्टी को ये लगता है कि बहुसंख्यकों को नजरअंदाज करके बड़ा नहीं बन सकती?

  • क्या केजरीवाल ये सोचते हैं कि जब भी मुसलमानों के सामने बीजेपी VS आम आदमी पार्टी के बीच चुनने का मौका आएगा तो वो आम आदमी पार्टी का ही बटन दबाएगी?

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बीजेपी का डर

जब केजरीवाल ने मुफ्त अयोध्या यात्रा कराने का ऐलान कराया तो योगी ने कहा था कि लगता है कि भगवान राम के बगैर केजरीवाल की नैया पार नहीं हो रही.

जब केजरीवाल ने नोट पर लक्ष्मी गणेश की मांग उठाई तो बीजेपी ने इसे ढोंग बताया.

क्या बीजेपी इसलिए तिलमिलाई हुई कि मुफ्त की योजनाओं के बाद आम आदमी पार्टी हिंदुत्वा के मुद्दों पर भी उसे उसकी ही भाषा में टक्कर दे रही है? आम आदमी पार्टी के संजय सिंह भी ये सवाल उठा चुके हैं.

दरअसल सोशल मीडिया पर माहौल बनाने से लेकर, मुफ्त की योजनाएं, काम का प्रचार और हिंदुत्व का मुद्दा, इन सब पर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी जैसा काम करती दिखती है. ये काम करके बीजेपी ने खासी कामयाबी पाई है तो उसकी आशंका जायजा है कि कहीं उसके फॉर्मूले पर आम आदमी पार्टी अपना कद न बढ़ाने लग जाए.

लेकिन...

किसी रेस ट्रैक पर आगे दौड़ रहे धावक के पीछे उसी ट्रैक पर चलने से रेस नहीं जीती जाती. अगर रेस जीतनी है तो ट्रैक चेंज करना ही पड़ता है. जिस काम में बीजेपी ने महारत हासिल कर ली है उसे काम को शुरू करके आम आदमी पार्टी कितना आगे जा पाएगी, ये भी देखने वाली बात होगी.

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सियासत की नजर से कोई कह सकता है कि केजरीवाल बीजेपी को उसी की भाषा में जवाब दे रहे हैं. सियासी पिच पर वही पैंतरे अपना रहे हैं जो बीजेपी का ट्रेड मार्क है. कोई तर्क दे सकता है कि बीजेपी का मुकाबला ऐसे ही किया जा सकता है लेकिन इस युद्ध में जो भी जीते पब्लिक को क्या हासिल होगा? BJP या दूसरी 'बीजेपी'?

गांधी जी ने कहा था कि साध्य के साथ-साथ साधन भी सही होना चाहिए. मतलब मंजिल अहम है लेकिन आप उस मंजिल तक किस रास्ते से पहुंचते हैं ये भी उतना ही जरूरी है. वैसे ज्यादा बुरा और कम बुरा में कौन अच्छा है? जो लोग कम बुरे को चुनेंगे वो भी दरअसल बुरे को ही चुन रहे होंगे.

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