सोचिए, जब ऑस्ट्रेलियाई टीम के लीडरशिप ग्रुप ने ये फैसला लिया होगा कि केपटाउन टेस्ट जीतने के लिए उन्हें क्रिकेट बॉल के साथ छेड़छाड़ करनी है, वो भी सैंडपेपर के साथ, तब इस ग्रुप को शायद ही पता होगा कि जो वो करने जा रहे है, उसका अंजाम इतना बड़ा होगा. मैच तो हाथ से निकला ही, साथ में निकले कप्तान स्टीव स्मिथ, डेविड वॉर्नर और कैमरून बैंक्रॉफ्ट.
खास बात ये है कि गेंदबाजों को मदद पहुंचने के चक्कर में इन तीनों बल्लेबाज का करियर बलि चढ़ गया. जाते-जाते कोच मुख्य कोच डैरेन लीमन ने अपना पद छोड़ दिया.
सोची-समझी साजिश थी!
एक छोटी सी भूल जिसने क्रिकेट के 2 बड़े महारथियों को उनके पूरे साफ सुथरे करियर पर एक ऐसा दाग लगा दिया, जिसको मिटाने में सालों लग जाएंगे. और शायद फिर भी ये एपिसोड लोगों के जेहन से बाहर नहीं निकल पायेगा.
यही नहीं इस पूरे एपिसोड में एक ऐसा खिलाड़ी भी शहीद हुआ, जिसने टीम के आकाओं के कहने पर अपना पूरा करियर दावं पर लगा दिया. सोची समझी साजिश के तहत इस खिलाड़ी को 'बलि का बकरा' बनाया गया.
अगर सही में किसी के लिए अफसोस होना चाहिए, तो इस नए खिलाड़ी बेनक्रॉफ्ट के लिए. हालांकि उन्होंने इसके लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया.
बेनक्रॉफ्ट ने कहा, "मैं माफी मांगना चाहता हूं, उन सभी लोगों से जिन्हें मैंने निराश किया है, खासकर बच्चों से. मैं जानता हूं कि मैंने लोगों को शर्मिंदा किया है. इस स्थिति में शब्द अधिक मायने नहीं रखते हैं और इसलिए मैं आगे भविष्य में अपने काम पर काफी ध्यान दूंगा."
स्मिथ ने कहा कि बॉल टेंपरिंग का यह मामला उनके नेतृत्व की नाकामी है और कहा कि वह काफी निराश हैं और पूरी जिंदगी उन्हें इस घटना का मलाल रहेगा.
स्मिथ के आंसुओं पर पिघला क्रिकेट
आंखों में आंसू थे और वो फूटफूट कर रोने से अपने आपको को रोक नहीं पाए. इन आंसुओं में कहीं न कहीं एक पछतावा था. पछतावा देश का नाम खराब करने का, क्रिकेट जैसे जेंटलमैन खेल को बदनाम करने का और कहीं न कहीं साल भर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बाहर रहने का वो मलाल भी. जो पूरी ऑस्ट्रेलियाई कौम इस पूरे मुद्दे पर दो दिन पहले तक स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर के खिलाफ दिख रही थी, वो अचानक इन आंसुओं को देखकर पिघल गयी.
पहले जिन खिलाड़ियों ने इस पर कठोर सजा देने की मांग कर रहे थे, वो भी अब एक सुर में बोल रहे है कि इतना बड़ा बैन कुछ ज्यादा हो गया. चाहे वो प्रतिद्वंद्वी टीम के कप्तान फाफ डु प्लेसिस हो या फिर अपने रोहित शर्मा और गौतम गंभीर.
गंभीर ने तो यहां तक कह दिया कि ये दोनों एक साजिश के शिकार हुए है, क्योंकि स्मिथ और वॉर्नर लगातार ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के वेतन बढ़ाने को लेकर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया से भिड़ रहे थे. मीडिया भी धीरे-धीरे लोगों के भावनाओं को देखकर अपना रंग बदलती दिख रही है.
ऐसे में भगवान के नाम से जाने-जाने वाले सचिन तेंदुलकर का यह ट्वीट बहुत ही नपा-तुला है. सचिन ने कहा कि जो भी हुआ है, वो दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन क्रिकेट के खेल के हक में ये एक सही फैसला लिया गया है. जीतना बहुत मत्वपूर्ण होता है, लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप कैसे जीतते है.
स्मिथ: सर डॉन ब्रैडमैन से तुलना से लेकर खलनायक बनने की कहानी
रिकी पोंटिंग की कप्तानी में 2010 में स्मिथ ने अपना करियर शुरू किया था. पोंटिंग मानते है कि शुरुआत से ही स्मिथ जुझारू रहे है. वो सिर्फ टीम का नेतृत्व करना नहीं चाहते थे, बल्कि एक बैट्समैन के तौर पर टीम को हमेशा मजबूती प्रदान करने में लगे रहते थे. पहले पोंटिंग की तुलना डॉन ब्रैडमैन से की जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में स्मिथ ने अपनी बल्लेबाजी के दम पर ब्रैडमैन के काफी करीब पहुंच गए.
स्मिथ अब भी टॉप पर बने हुए हैं. अपनी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को एशेज में जीत दिलाने वाले स्टीव 938 अंकों के साथ टॉप पर काबिज हैं. इसी के साथ वह दिग्गज डॉन ब्रैडमैन के रिकॉर्ड रैंकिंग 961 अंकों के बहुत करीब पहुंच गए हैं. एक रोल मॉडल, युवा कप्तान, एक प्रतिभावान खिलाड़ी और चैंपियन इस खिलाडी का ये हश्र होगा, शायद ही किसी ने सोचा होगा.
स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर अभी भी महान खिलाड़ी
इस घटना से भले ही इन खिलाड़ियों का कद पब्लिक डोमेन में छोटा हो गया हो, लेकिन आज भी उनकी गिनती एक बल्लेबाज के तौर पर दिगज्जों में होती है और आगे भी होती रहेगी. मिलियन डॉलर वाले आईपीएल में इन दोनों खिलाड़ियों के ना खेलने से उनको करीब 2.4 मिलियन डॉलर का घटा हुआ है. लेकिन साथ साथ इन दोनों खिलाड़ियों के इस बार आईपीएल में न होने से भारतीय क्रिकेट के इस महाकुम्भ का रंग भी फीका दिखेगा.
पूरी दुनिया में ऑस्ट्रेलिया का बढ़ा सम्मान
घटना कितनी भी छोटी क्यों न हो, लेकिन जिस तरह से ऑस्ट्रेलियाई सरकार और उनका क्रिकेट बोर्ड हरकत में आया और एक कठोर फैसला लिया, वो वाकई में काबिले-तारीफ है. ऑस्ट्रेलिया एक ऐसा देश है, जो अपनी आन, बान और शान के लिए कोई भी समझौता नहीं करता. इस फैसले ने ये तो साबित कर दिया है कि ये देश और उसके प्रधानमंत्री और देशवासियों के लिए स्पोर्ट्स कितना मायने रखता है - और वो इस तरह के मसलों पर उनका रुख जीरो टॉलरेंस का होता है.
भले ही स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर पर एक साल का बैन लोगों को कुछ ज्यादा कठोर फैसला लगे, लेकिन इस फैसले का दूरगामी प्रभाव देखने को जरूर मिलेगा. इस फैसले से क्रिकेट को और बेहतर बनाने में जरूर मदद मिलेगी.
दुनिया भर के खिलाड़ियों के लिए ये सबक है. जो भी इनके साथ हुआ है, उसे देखकर आगे से कोई भी कप्तान और खिलाड़ी इस तरह के काम को अंजाम देने से कतराएगा जरूर.
इस लेख का अंत स्मिथ के उस वक्तव्य से ही करूंगा, जो कहीं-कहीं सकारात्मक सन्देश देता है. इसमें हर खिलाड़ी के लिए एक सबक है. स्मिथ ने कहा, "क्रिकेट दुनिया का एक महान खेल है और यह मेरी जिंदगी है. मैं उम्मीद करता हूं कि फिर से ऐसा हो सकेगा. मैं अपनी गलती पर पूरी तरह से शर्मिंदा हूं.''
(लेखक करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में सक्रिय हैं और फिलहाल टेन स्पोर्ट्स से जुड़े हुए हैं. इस आलेख में प्रकाशित विचार उनके अपने हैं. आलेख के विचारों में क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
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