इंग्लैंड में अभी गर्मियों का सीजन है. ऐसा लगता है कि फिलहाल वहां कुछ भी ठीक नहीं चल रहा. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरिसा मे ने समय से पहले चुनाव करवाए. उन्हें लग रहा था कि इससे उनकी राजनीतिक ताकत बढ़ेगी.
मे ने अप्रैल में यह जुआ खेला और जून में हार गईं. सियासी हालात समझने में उन्होंने भारी गलती की. ब्रिटेन के चुनाव की तरह चैंपियंस ट्रॉफी के बारे में भी सारे अनुमान गलत साबित हो रहे हैं.
टूर्नामेंट शुरू होने से पहले एक ग्रुप से ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के सेमीफाइनल में पहुंचने की भविष्यवाणी की गई थी, तो दूसरे से भारत और दक्षिण अफ्रीका की. प्रिंट, टेलीविजन और सोशल मीडिया सबकी राय यही थी.
शुरू में ये अनुमान सही साबित होते हुए दिखे. पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने बड़ी ही आसानी से मुकाबला जीता. टीमें 300 रन से अधिक का स्कोर बना रही थीं. इस पर किसी ने ताना मारा कि इंग्लैंड में मैच भारत की पिचों पर खेले जा रहे हैं. बॉलर्स गेंद स्विंग नहीं करा पा रहे थे. उन्हें मुश्किल से विकेट मिल रहे थे और गेंदबाजों की खूब पिटाई हो रही थी.
चैंपियंस ट्रॉफी ट्विस्ट
चैंपियंस ट्रॉफी ने 50 ओवर के एकदिवसीय मैचों के मॉडर्न फॉर्मूले पर मुहर लगा दी थी, जिसके बारे में भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह का कहना है- मजबूत शुरुआत के साथ बुनियाद बनाइए, साझेदारियां करिए और आखिर में विकेट हाथ में हों, तब विपक्षी टीम के गेंदबाजों पर टूट पड़िए.
फिर अचानक कहानी में मनमोहन देसाई की फिल्मों की तरह ट्विस्ट आया.
बारिश की वजह से ऑस्ट्रेलियाई टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गई. भारतीय टीम श्रीलंका के खिलाफ 300 से अधिक रन बनाकर भी मैच हार गई. दक्षिण अफ्रीका के मुख्य बल्लेबाज भारत के खिलाफ मुकाबले में रन आउट हुए और उसके साथ से मैच निकल गया.
इस टूर्नामेंट में भारत ने पहले पाकिस्तान को हराया, फिर श्रीलंका ने भारत को हराया और उसके बाद पाकिस्तान ने श्रीलंका को हराया. चैंपियंस ट्रॉफी अपने आखिरी पड़ाव पर है. टूर्नामेंट से पहले दावेदार बताई जाने वाली ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका की टीम बाहर हो चुकी हैं.
ऑस्ट्रेलिया जहां बारिश और बदकिस्मती की वजह से बाहर हुआ, वहीं दक्षिण अफ्रीकी टीम ने आईसीसी टूर्नामेंट्स में खराब प्रदर्शन का अपना रिकॉर्ड बनाए रखा और भारत के खिलाफ अच्छी शुरुआत के बावजूद अचानक पूरी टीम धराशायी हो गई.
इस मैच को दक्षिण अफ्रीका टीम के कैप्टन एबी डिविलियर्स ने सीजन का सबसे ‘खराब दिन’ बताया. श्रीलंका पाकिस्तान से हाथों पिट गया. कैप्टन एंजेलो मैथ्यूज ने कहा कि खराब फील्डिंग की वजह से यह मैच उनके हाथ से निकल गया. सिर्फ टीम ही नहीं, एक्सपर्ट्स और फैन्स के खिलाड़ियों के बारे में भी अनुमान गलत साबित हुए.
चैंपियंस ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी नहीं चमके और डिविलियर्स भी खास छाप नहीं छोड़ सके. बेन स्टोक्स ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेहनत से सेंचुरी तो बनाई, लेकिन जब टीम को उनकी सबसे अधिक जरूरत थी, उनका फॉर्म रूठ गया. पाकिस्तान के खिलाफ वह बहुत खराब खेले. इस मैच में वह 64 गेंदों में एक चौका तक नहीं मार पाए. उनकी बॉलिंग भी खराब रही. इस मैच में 3.1 ओवर में उन्होंने 38 रन दिए और उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला.
हालांकि, ये सब पाकिस्तान के शानदार प्रदर्शन के आगे फीके हैं. भारत के खिलाफ पाकिस्तानी टीम किसी क्लब की तरह दिखी थी. ऐसा लगा कि वह गलती से सीनियर कॉम्पिटीशन में खेल रही है. इमरान खान और जावेद मियांदाद जैसे पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटरों ने इस हार के बाद टीम की कड़ी आलोचना की. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड तो इतना खफा हुआ कि उसने खराब प्रदर्शन की जांच के आदेश दे दिए.
पाकिस्तानी टीम के बारे में कहा गया कि वह न तो बैटिंग कर सकती है, न फील्डिंग. लेकिन पाकिस्तान ने बाद के मैचों में प्रदर्शन से दूसरों को तो चौंकाया ही, उन्होंने खुद को भी हैरान कर दिया. बॉलिंग पाकिस्तानी टीम की हमेशा से ताकत रही है, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ टीम ने अपने सबसे अच्छे गेंदबाजों मोहम्मद आमिर और वहाब रियाज के बिना जीत हासिल की. पाकिस्तान की बल्लेबाजी को पहले कोसा गया था, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ उसने बड़ी आसानी से 211 रनों का पीछा किया.
कहा जा रहा था कि चैंपियंस ट्रॉफी हाई स्कोरिंग टूर्नामेंट होगा, जिसमें बल्लेबाजों की चलेगी. लेकिन यहां अब मैच गेंदबाज जीता रहे हैं. इतने चौंकाने वाले और अप्रत्याशित नतीजों के बाद आगे क्या होगा? क्या फॉर्म, साख और ट्रैक रिकॉर्ड सही साबित होंगे या मुकाबले में एक आखिरी ट्विस्ट आना अभी बाकी है?
(अमृत माथुर सीनियर जर्नलिस्ट और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व मीडिया मैनेजर हैं. उनसे @AmritMathur1 पर संपर्क किया जा सकता है.)
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