इधर टूलकिट पर बवाल मचा तो एकाएकट डॉ. जीन शार्प की याद आ गई. अमेरिका के मशहूर पॉलिटिकल साइंटिस्ट जीन शार्प ने सामाजिक-राजनीतिक प्रदर्शनों के 200 तरीके सुझाए थे. जैसे काम करने की जगह से उठकर चले जाना, चुप्पी साध लेना, सहयोग न करना, और यहां तक कि सेक्स हड़ताल पर चले जाना.
अगर टूलकिट का मतलब, प्लान ऑफ एक्शन है यानी किसी काम को अंजाम देने की योजना तो ऐसे टूलकिट्स का इस्तेमाल लंबे समय तक से होता रहा है. क्या आप जानना चाहेंगे कि ऐसे टूलकिट्स कब-कब और किस-किस ने बनाए हैं.
गांधी जी का टूलकिट
महात्मा गांधी ने अंग्रेज सरकार के नमक कानून के विरोध में दांडी मार्च किया था. इसके लिए महात्मा गांधी ने भी एक टूलकिट बनाया था. इसकी पूरी योजना का खाका तैयार था.
इसकी शुरुआत फरवरी 1930 से हुई, जब गांधी जी ने साबरमती से बयान जारी करने शुरू किए. वह अपनी हर प्रार्थना सभा में इस बारे में बात करते और प्रेस को इसके संबंध में जानकारी देते. भारत से लेकर यूरोप और अमेरिका के अखबारों ने इस बारे में खबरें छापनी शुरू कर दीं.
इसके बाद गांधी जी ने मार्च के लिए लोग चुनने शुरू किए. वह कांग्रेसियों की बजाय अपने अनुयायियों के साथ इस पैदल यात्रा को शुरू करना चाहते थे जिनमें गजब का अनुशासन हो.
गांधी जी ने 2 मार्च 1930 को लॉर्ड इरविन को नमक सत्याग्रह के बारे में बताया और 12 मार्च को इसे अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से शुरू किया. इस पैदल मार्च का रास्ता तय था. इसे चार जिलों और 48 गांवों से होकर गुजरना था. लोगों की क्षमता, गांवों में अपने संपर्क सूत्रों और समय के आधार पर पूरा रूट तय किया गया. गांधी जी ने अपने स्काउट्स को गांव गांव भेजा ताकि स्थानीय लोगों को अपनी योजना के बारे में बताया जा सके. हर गांव में गांधी जी ने लोगों को संबोधित किया. इसके मार्च का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए भारतीय और विदेशी प्रेस ने हर पड़ाव पर गांधी जी के भाषणों को कवर किया.
दांडी से 20 से 30 साल के बीच के 78 लोग गांधी जी के साथ निकले थे. रास्ते में हजारों लोगों को जुड़ना था. करीब 50 हजार लोगों ने इस मार्च में हिस्सा लिया था. यह योजना भी बनी थी कि पूरी यात्रा में नाइट स्टे कहां कहां होगा. आराम के दिन भी निश्चित थे. 17 मार्च को आणंद में, 24 मार्च को सामनी में और 31 मार्च को डेलाद में आराम करना तय किया गया.
6 अप्रैल को गांधी जी और उनके साथियों ने दांडी में समुद्र के पानी से नमक बनाया. गांधी का बनाया एक चुटकी नमक 1,600 रुपए में बिका था. दांडी में नमक कानून को तोड़ने पर गांधी जी
और दूसरे सत्याग्रहियों को अंग्रेजी हुक्मरानों ने गिरफ्तार किया लेकिन पूरा निकलना जरूर. इसे रोका नहीं गया.
अब उस टूलकिट की कुछ बातों पर नजर , जिसपर बवाल मचा है...
ग्रेटा का टूलकिट
जिस टूलकिट पर तूफान मचा है, स्वीडन की एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने उसमें आखिर लिखा क्या है? यह भी जान लें.
सबसे पहले 25 जनवरी को किसानों के साथ सॉलिडैरिटी यानी एकजुटता दिखाते हुए वीडियो मैसेज या फोटो ईमेल से भेजने की बात कही गई है. फिर 26 जनवरी या उससे पहले डिजिटल स्ट्राइक करने को कहा गया है- जिसके लिए एक हैशटैग दिया गया है.
23 जनवरी से ट्विट करने को कहा गया है जिसमें कोई चाहे तो प्रधानमंत्री से लेकर अपने राज्य के मुख्यमंत्री तक को टैग कर सकता है. बड़े बड़े लोगों को अपने ट्विट या पोस्ट के साथ टैग करने का चलन सोशल मीडिया पर खूब है.
23 जनवरी को ही जूम सेशन में किसानों की स्थिति पर चर्चा की खबर दी गई है, इसके बाद 26 जनवरी को इंस्टा लाइव करने की जिसमें पर्यावरण के लिए काम करने वाले और दूसरे किसान नेता भाग लेंगे.
सरकारी दफ्तरों, भारतीय दूतावासों, मीडिया हाउस वगैरह के सामने प्रदर्शन करने की अपील की गई है. किसान मोर्चे में भाग लेने और उसे समर्थन देने को कहा गया है.
ऑनलाइन पेटिशन को साइन करने को कहा गया है. साथ ही यह बताया है कि प्रदर्शनकारी किसानों की कैसे मदद की जा सकती है.
ओबामा का टूलकिट
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ब्लैक लोगों के हक के लिए काफी काम करते रहे हैं. उनकी वेबसाइट ओबामा डॉट ओआरजी पर इस सिलसिले में कई तरह की टूलकिट्स हैं.
इसका एक सेक्शन है, मूवमेंट फॉर ब्लैक लाइव्स (एम4बीएल). इसमें विरोध प्रदर्शनों के दौरान अमेरिका के जेटीटीएफ यानी ज्वाइंट टेरिरिज्म टास्क फोर्स से बचने का तरीका बताने वाला एक हैंडआउट है. इस हैंडआउट में बताया गया है कि जेटीटीएफ किस तरह काम करता है, और लोगों को कैसे फुसलाता है.
तो हम क्या कर सकते हैं- हैंडआउट पूछता है, और फिर प्वाइंटर्स देता है-
सड़कों पर जमा हों, अगर हम रुक गए तो वे जीत जाएंगे.
अगर प्रदर्शनकारियों को यह फोर्स गिरफ्तार करती है तो उनकी एमनेस्टी की मांग करते रहें.
जेटीटीएफ वालों से बात करने से मना करें, अगर अटॉर्नी (अमेरिका में वकील को यही कहते हैं) मौजूद न हो. तलाशी लेने की इजाजत मत दें.
अपने अधिकारों के बारे में और जानने के लिए एम4बीएल से संपर्क करें.
फेडरल एजेंट्स (यानी पुलिस) अक्सर हिंसा को रोकने का बहाना बनाकर तैनात की जाती है. उससे घबराएं नहीं. डटे रहें.
एक टूलकिट रेपरेशन के कॉन्सेप्ट पर है जिसकी मांग ब्लैक लोग करते हैं. मतलब, उनके साथ जो भी गलत हुआ है, उसकी भरपाई की जाए. 118 पेज की इस टूलकिट में रेपरेशन का पूरा इतिहास, केस स्टडीज, रेपरेशन हासिल करने का तरीका बताया गया है.
आरएसएस का टूलकिट
आरएसएस भी अपने सारे कार्यक्रमों के लिए काफी लंबी चौड़ी प्लानिंग करती है और इसके लिए अपनी टूलकिट भी बनाती है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई साल पहले उसने शहरों में अपने प्रचार के लिए एक फुलफ्रूफ योजना बनाई थी.
योजना के तहत आरएसएस ने अलग-अलग शहरों के रिहाइशी इलाकों की सोसाइटियों को अपनी ओट में लिया. उसने सोसाइटियों के लिए अपार्टमेंट प्रमुखों की नियुक्ति की. ये अपार्टमेंट प्रमुख मूल रूप से आरएसएस वर्कर होंगे. आम तौर पर गता नायक या ग्रासरूट लेवल के वर्कर.
गता नायक का काम होगा, अपार्टमेंट्स में अपनी जैसी सोच वालों को पहचानना जिनके जरिए दूसरे रहवासियों के साथ ग्रुप मीटिंग्स की जाएंगी. ये मीटिंग्स हफ्ते में एक बार की जाएगी. गता नायक पूरी कोशिश करेगा कि लोग शाखा का हिस्सा बनें.
अपार्टमेंट प्रमुख यह भी पक्का करेगा कि रक्षा बंधन, गुरु पूर्णिमा और मकर संक्रांति जैसे कार्यक्रम सामूहिक रूप से मनाए जाएं. इसके अलावा आरएसएस के वर्कर्स पांचजन्य और ऑर्गेनाइजर नामक पत्रिकाओं को अपार्टमेंट्स में मुफ्त बांटेंगी. ये पत्रिकाएं आरएसएस का माउथपीस हैं.
वैसे आरएसएस की रोजाना की शाखा का भी कार्यक्रम तय होता है. जैसे शाखा यानी दैनिक मिलन का कार्यक्रम एक घंटे का होगा. एक तय जगह पर, तय समय में लोग जमा होंगे. फिर भगवा झंडा फहराया जाएगा. एक्सरसाइज की जाएगी. खेल वगैरह खेले जाते हैं. धर्म पर बातचीत होगी. फिर भगवान की प्रार्थना होगी और इसके बाद लोग अपने अपने घर चले जाएंगे.
सरकार के भी अपने टूलकिट्स पब्लिक डोमेन में हैं
यूं सरकार और गैर सरकारी संगठन भी अपने टूलकिट्स निकालते हैं. इंडस्ट्री और इंटरनल ट्रेड का प्रमोशन करने वाले सरकारी विभाग की वेबसाइट पर पुलिस के लिए आईपीआर एनफोर्समेंट टूलकिट मौजूद है. न्याय और विधि मंत्रालय का लीगल लिटरेसी प्रॉजेक्ट भी पब्लिक डोमेन में है जो बताता है कि किसी भी स्थिति में कानूनी सलाह कैसे हासिल की जा सकती है. कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन के हर चरण के खत्म होने पर सरकार ने सभी विभागों के लिए एसओपी जारी किए थे.
एसओपी मतलब स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर. एविएशन मंत्रालय को कैसे काम करना है. जैसे मंत्रालय को जनवरी में यह निर्देश दिए गए हैं कि यूके से आने जाने वाली उड़ानों की अनुमति सिर्फ पांच अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों से होगी. डीजीसीए यह भी सुनिश्चित करेगा कि एयरलाइन्स किसी तीसरे देश के ट्रंसिजरी हवाईअड्डे के जरिए यूके से भारत आने वाले किसी व्यक्ति को यात्रा की मंजूरी न दे. एसओपी भी तो काम करने की पद्धति ही बताते हैं.
जिस टूलकिट पर शोर शराबा है, वह सोशल मीडिया पर कैम्पेन स्ट्रेटजी के अलावा सामूहिक प्रदर्शन या आंदोलन करने से जुड़ी जानकारी भी देती है. अब ये काम करने का तरीका है, या षडयंत्र का पूर्व नियोजन- इस पर बहस लंबी है. इधर मुल्क में लगातार नौजवान आवाजें अपनी अपनी तरह से गूंज रही हैं, उधर न्याय व्यवस्था की बेहिसी बढ़ रही है. समाज में चुप्पी है, और हुक्मरान जनांदोलनों को बेपरवाही से परे धकेल रहे हैं.
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