ADVERTISEMENTREMOVE AD

बिना ऑक्सीजन मर रहे कोविड मरीज, पीएम से सवाल पूछने की इजाजत नहीं

हम तो प्रधानमंत्री के पीएम केयर्स फंड पर एकदम सवाल नहीं कर सकते.

Published
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

मैं यह लेख विपक्षी दल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में नहीं लिख रहा हूं. ना ही राजनीतिक कार्यकर्ता की हैसियत से .यह लेख मैं एक भारतीय के रूप में उन लोगों की तरफ से लिख रहा हूं जो कि जीवन की आशा करते हुए मर गए और उनकी तरफ से भी जो बड़ी मुश्किल से जी रहे हैं और मरने की आशा कर रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वह शिकार हैं उसका जिसने अपना नाम 'सिस्टम' रख लिया है और इस सिस्टम के अंदर पीड़ित निंदित होता है ,मजाक उड़ाया जाता है या उस पर चीखा चिल्लाया जाता है ,उनके द्वारा जिन्हें लगता है वह भारत पर शासन कर रहे हैं .

हमें स्टेट और नॉन स्टेट एक्टर्स से सुझाव मिलता है कि हम सवाल ना करें, ढेरों में जलती चिताओं को ना दिखाएं ,ना ही उन अनगिनत देशवासियों की लाश दिखाएं जो सांस लिए बिना मर गए ,क्योंकि वे कहते हैं जलती चिताओं को दिखाने से आत्मा की परम यात्रा में बाधा पहुंचती है.

हमें यह सवाल करने की इजाजत नहीं है कि प्रधानमंत्री इस साल जनवरी में समय से पहले ही वर्ल्ड इकोनामिक फोरम में अपने आप को बधाई क्यों देने लगे, अपने राजनैतिक विरोधियों और उन लोगों का मजाक क्यों उड़ाने लगे जो कोरोना की दूसरे लहर के बारे में उन्हें चेतावनी दे रहे थे. उनसे यह सवाल करने की इजाजत इसलिए नहीं है क्योंकि ‘इससे महामारी से यह लड़ाई कमजोर’पड़ेगी.
0

श्श्श.. सवाल करना मना है 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली 'द सेंट्रल मेडिकल सर्विस सोसायटी 'ने देश के 14 राज्यों के 162 जिला अस्पतालों में ऑनसाइट ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए टेंडर जारी करने में 8 महीने क्यों बर्बाद कर दिये.

हम केंद्र और राज्य सरकार से प्रश्न नहीं कर सकते कि उसने कुंभ मेले जैसे 'सुपर स्प्रेडर' उत्सव के आयोजन की इजाजत क्यों दी, क्योंकि यह फिर छद्म धर्मनिरपेक्ष लोगों द्वारा परंपरा का अपमान होगा .ट्विटर पर सरकार उन ट्वीटों को हटाने का दबाव बना रही है जिनमें भारत सरकार के कुंभ मेले पर चुप्पी जबकि मरकज 2020 पर कार्यवाही वाले दोहरे मापदंडों का जिक्र था. आखिर प्रधानमंत्री कोविड-19 के मद्देनजर राज्य सरकार को इस आयोजन को रद्द कराने में असफल क्यों रहे?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हमें उस तर्क पर भी सवाल करने की इजाजत नहीं है जिसके सहारे जानबूझकर पश्चिम बंगाल चुनाव को 8 चरणों तक खींचा गया ताकि प्रधानमंत्री जैसे स्टार प्रचारक की तारीफ गाती भीड़ देखने की भूख मिटे. और हमें ये बताया गया कि चुनाव आयोग अपने फैसले खुद लेता है.

जब अन्य दल चुनाव आयोग के पास बचे हुए 4 चरणों के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश लेकर गए, तब बीजेपी ही अकेली पार्टी क्यों थी जिसने इसका विरोध किया.

हमें इस निर्णय पर भी सवाल करने की इजाजत नहीं है कि रेमडेसिविर,ऑक्सीजन, वैक्सीन के निर्यात को मंजूरी क्यों दे दी गई. क्योंकि यह सवाल करके हम 'साहब' के डिप्लोमेटिक मास्टरस्ट्रोक के बीच में आ जा रहे हैं, जिसने अब देश को ऑक्सीजन,रेमडेसिवीर और वैक्सीन आयात करने पर मजबूर कर दिया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हम वैक्सीन पॉलिसी पर सवाल नहीं कर सकते, ना वैक्सीन डिप्लोमेसी पर

RSS (जो अभी कतर स्टेडियम को फोटोशॉप करने और इंदौर के राधा स्वामी सत्संग हॉस्पिटल को उसने बनाया ये यकीन दिलाने में बिजी है) हमें सलाह दे रही है कि "उन राष्ट्र विरोधी तत्वों से बच कर रहना है जो नकारात्मकता और अविश्वास का माहौल बना रहे हैं".

हम वैक्सीन पॉलिसी पर सवाल नहीं कर सकते, ना वैक्सीन डिप्लोमेसी पर,ना वैक्सीन के अलग-अलग दामों पर .क्योंकि हमें बताया गया है कि हमें विभिन्न वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ने पर गर्व होना चाहिए, जिसमें सर्वर द्वारा उन लोगों को सबसे अधिक संख्या में s.m.s. भेजने का रिकॉर्ड भी शामिल है जिन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया था. हम इस पर सवाल नहीं कर सकते कि जिन्होंने रजिस्ट्रेशन करा लिया है उन्हें वैक्सीन कब लगेगा ,वैक्सिंग कहां है या 55% जनसंख्या जिनके पास इंटरनेट नहीं है वह अपना रजिस्ट्रेशन कैसे करायेगी.

हम निर्णय लेने के केंद्रीयकरण और दोष के विकेंद्रीकरण पर सवाल नहीं कर सकते.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अस्वीकार करने से धमकाने तक 

हम यह सवाल नहीं कर सकते कि प्रधानमंत्री विदेशी सहायता को अपने ऑफिस के माध्यम से लाने की जिद्द पर क्यों थे और कनाडा तथा न्यूजीलैंड ने उनकी सलाह को नजरअंदाज करते हुए इंटरनेशनल रेड क्रॉस के रास्ते मदद क्यों पहुंचाई. हम तो प्रधानमंत्री के पीएम केयर्स फंड पर एकदम सवाल नहीं कर सकते.

हमारा एक राज्य ऐसा भी है जिसके मुख्यमंत्री ने उनकी संपत्ति जब्त करने की धमकी दी है जिन्होंने ऑक्सीजन की कमी को लेकर सरकार से सवाल किया. डॉक्टरों को डराया जा रहा है, मरीजों को धमकाया जा रहा है .मरे हुए लोगों को संख्या तक नहीं माना जा रहा है क्योंकि मरे हुए लोग ना रैलियों में आपकी तारीफ करते हैं ना ही वह आपको वोट दे सकते हैं.

जो मर गए वह सवाल नहीं कर सकते हैं ,जो जी रहे हैं उनको जवाब नहीं मिलेगा.

(लेखक शीला दीक्षित के पूर्व पॉलिटिकल सेक्रेटरी थे और वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता है. उनका ट्विटर हैंडल @Pawankhera है. यह एक ओपिनियन पीस है. यहां व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. द क्विंट का उनसे सहमत होना जरूरी नहीं है)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×