ADVERTISEMENTREMOVE AD

विराट कोहली और टीम इंडिया की असली परीक्षा अब शुरू होती है!

अगले एक साल विदेशी धरती पर कई मजबूत टीमों से टीम इंडिया का सामना होने जा रहा है. 

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

भारतीय क्रिकेट टीम का सबसे मुश्किल सफर शुरू हो रहा है. अगले एक साल विदेशी धरती पर कई मजबूत टीमों से टीम इंडिया का सामना होने जा रहा है. विदेशी दौरों पर खिलाड़ियों और टीमों की तकदीर तय होती आई है. इन दौरों से क्रिकेटर्स के कैरेक्टर और टीम में एकजुटता की पहचान होती है.

अभी चल रही एशेज सीरीज को ही देख लीजिए. विपक्षी टीमों को ‘आतंकित’ करने वाली ऑस्ट्रेलियाई मीडिया मैदान के अंदर और बाहर इंग्लैंड टीम में मामूली अनबन को हवा देने की ताक में है. परफॉर्मेंस जरा भी खराब रहा तो अगले दिन की हेडलाइन से इंग्लैंड टीम के प्लेयर्स को तोड़ने की कोशिश की जा रही है. उन पर लगातारप्रेशर बना हुआ है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हालांकि, अगर किसी प्लेयर को अपना गेम अगले लेवल तक ले जाना है तो उसे इसी प्रेशर की तलाश रहती है. भारतीय टीम जिन देशों में जा रही है वहां खिलाड़ियों की तकनीक, स्किल, मनोबल और मानसिक ताकत का इम्तेहान होगा. भारतीय टीम को देखकर लगता है कि वह दक्षिण अफ्रीका के आगामी टूर और फिर इंग्लैंड टूर में इन चुनौतियों से पार पा लेगी. ऐसा लगता है कि भले ही नए कैप्टन विराट कोहली के कमान संभालने के बाद दो साल से टीम भारत में खेल रही है, लेकिन उसकी नजर इस दौरान 2018 के विदेश में होने वाले टूर पर रही है. उन्हें पता है कि अगर विदेश में वे अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं तो भारत (और श्रीलंका) में मिली जीत को कोई याद नहीं रखेगा.

अगले एक साल विदेशी धरती पर कई मजबूत टीमों से टीम इंडिया का सामना होने जा रहा है. 
श्रीलंका में टी20 सीरीज की ट्रॉफी के साथ विराट कोहली. टीम इंडिया ने श्रीलंका को उन्हीं के घर में टी20, टेस्ट और वनडे में स्वीप किया था.
(फोटो: AP)

इतिहास गवाह है...

विदेशी धरती पर प्रदर्शन से क्रिकेटरों का कद बढ़ता आया है. आखिर 1992 में मुश्किल हालात में पर्थ में सेंचुरी लगाने के बाद ही दुनिया ने सचिन तेंदुलकर का लोहा माना. राहुल द्रविड़ ने 2002 में हेडिंग्ली, 2004 में एडिलेड या रावलपिंडी में जो पारियां खेलीं, उसके बाद ही उन्हें भारत के महानतम क्रिकेटरों में जगह मिली. वीवीएस लक्ष्मण ने विदेश में कई बार मुश्किल घड़ियों में शानदार पारी खेलकर अपनी टीम को उबारा था. यहां तक कि करियर के आखिरी हाफ में अनिल कुंबले ने ऐसी पिचों पर कई बार जादुई गेंदबाजी की, जिन पर धीरज और संयम की जरूरत थी. जहीर खान ने 2007 में इंग्लैंड में शानदार प्रदर्शन किया. उसके बाद उन्हें भारत के आज तक के सबसे बेहतरीन गेंदबाजों में जगह मिली. 1986 के बाद इंग्लैंड में भारतीय टीम की पहली सीरीज जीतने में भी जहीर ने यादगार भूमिका निभाई थी. लॉर्ड्स की बालकनी में सौरभ गांगुली को कौन भूल सकता है. उन्होंने जुनून के साथ भारतीय टीम का नेतृत्व किया और विदेशी धरती पर भारतीय टीम का नया इतिहास रचा.

अब विराट एंड कंपनी पर है जिम्मेदारी

अगले एक साल विदेशी धरती पर कई मजबूत टीमों से टीम इंडिया का सामना होने जा रहा है. 
द. अफ्रीका का टूर एक कप्तान के तौर पर विराट कोहली का पहला मुश्किल और बड़ा दौरा होगा. 
(फोटो: BCCI)  

इस टीम में भी कई ऐसे प्लेयर हैं, जो ऐसी विरासत लिखने को तैयार हैं. इनमें से कुछ का आधा करियर निकल चुका है. बचे हुए आधे करियर में वे क्या करते हैं, इससे यह तय होगा कि इतिहास उन्हें किस तरह याद रखेगा. द्रविड़ और तेंदुलकर और कुंबले व श्रीनाथ जैसे खिलाड़ियों से पुजारा, रहाणे, अश्विन और शमी प्रेरित रहे हैं. इन खिलाड़ियों के लिए अब उनके जैसा प्रदर्शन करने का समय आ गया है.

पिछली पीढ़ी के खिलाड़ियों से उनकी कहानी भी मिलती है. तेंदुलकर और उनके साथियों को 1990 और2000 के दशक की शुरुआत में विदेश में शर्मसार होना पड़ा था. हालांकि, उन्होंने उनसे सबक सीखा और बाद के विदेशी दौरों में शानदार खेल दिखाया. इसी तरह, विराट और उनकी टीम के कुछ सदस्य ऑस्ट्रेलिया में करारी हार देख चुके हैं. इंग्लैंड में उन्हें शर्मसार होना पड़ा था और दक्षिण अफ्रीकी दौरे में भी उनकी हार हुई थी. उन्हें पता है कि आने वाले दौरों में उनका सामना कैसे हालात से होगा और उनसे क्या उम्मीद की जा रही है. वे यह भी जानते हैं कि विदेशी धरती पर अच्छा खेल दिखाने के लिए किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है.

इस भारतीय टीम में बदलाव के बीज 2015 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में पड़े थे, जब कैप्टन विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री की लीडरशिप में टीम ने मुकाबला करने का दमखम दिखाया था. वह तब काफी नहीं था. हमारे पास अच्छे बल्लेबाज तो थे, लेकिन बॉलिंग में एक्सपीरियंस की कमी थी. इसलिए उस टीम के लिए ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम को आउट करना बहुत मुश्किल था. हालांकि, अब ऐसा नहीं है. मौजूदा भारतीय टीम की बॉलिंग अच्छी है. इसमें कई ऐसे गेंदबाज हैं, जो विदेशी धरती पर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं. हमें इन दौरों का बेसब्री से इंतजार है, जिनमें टीम इंडिया का वर्जन 2 देखने को मिलेगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×