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इजरायल का आखिरी गेम प्लान क्या? युद्ध के बाद 25 लाख आबादी वाले गाजा को चलाएगा कौन?

Israel Hamas War: हमास के पास अपने 200 लोगों के बंधक होने से इजरायल भी विवश है.

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गाजा (Israel Hamas War) में बिगड़ते हालात का सबसे बड़ा संकेत यह है कि शनिवार 28 अक्टूबर को यहां इंटरनेट और कम्युनिकेशन यानी संचार के सारे सुविधाएं बंद कर दी गईं. ये आश्चर्य की बात नहीं हैं क्योंकि उत्तर और मध्य गाजा में दो स्थानों पर हवाई बमबारी और जमीनी हमले तेज हो गए हैं, गाजा में सैन्य की कार्रवाईयों का ये "नया स्टेज" है.

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संचार के माध्यमों को बंद करने से हिंसा के कारण हुए नुकसान का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. सीधे तौर पर यह पूछे जाने पर कि क्या इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने टेलीकम्युनिकेशन सर्विस को निशाना बनाया है? एक इजरायली सैन्य प्रवक्ता ने कहा...

"हमें अपनी सेना को सुरक्षित करने के लिए जो करना होता है, वह करते हैं."

इजरायली बमबारी से तीन सप्ताह तक, गाजा में केबल, सेल टावर और इंटरनेट के इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचा था लेकिन 27 अक्टूबर की देर रात, इजरायली सेना ने कहा कि उसने गाजा में अपने जमीनी ऑपरेशन को बढ़ा दिया है और ऐसा लगता है कि इसी के कारण यहां टेलीकॉम और इंटरनेट, दोनों बंद कर दिया गया.

इससे वहां रहने वाले 22 लाख लोग बाहरी दुनिया से कट गए हैं. सैटेलाइट फोन वाले कुछ पत्रकारों को छोड़कर अधिकांश अन्य फिलिस्तीनी घेराबंदी के अंदर या बाहर रिश्तेदारों के साथ बात करने में असमर्थ हैं. वहां के लोगों के हालात और गंभीर होने के अलावा, न्यूज बंद होने से गलत सूचना, अफवाहें और प्रोपगैंडा को बढ़ावा मिलेगा.

गाजा अधिकारियों का कहना है कि 7 अक्टूबर को हमास के इजरायल पर हमले में 1400 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक बंधक बनाए गए. इसके जवाबी इजरायली हमलों में अबतक 7,700 लोग मारे गए हैं.

इस बीच एलोन मस्क ने कहा है कि उनका स्टारलिंक सिस्टम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सहायता संगठनों का समर्थन करेगा, लेकिन कोई नहीं जानता कि उनमें से कितने के पास गाजा में स्टारलिंक टर्मिनल हैं या युद्ध के इस स्टेज में उन तक इसे पहुंचाने का कोई तरीका है.

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इजरायल क्या सोच रहा है?

इजरायल का कहना है कि उनका उद्देश्य हमास सरकार और उसकी मिलिट्री फोर्स को खत्म करना है लेकिन गाजा में इजरायल का जमीनी आक्रमण आसान नहीं होगा.

गौर करें तो 2016 में ईराकी शहर मोसुल पर इस्लामिक स्टेट ने कब्जा कर लिया था. मोसुल को फिर कंट्रोल में लेने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस और इराक को साथ मिलकर लगभग नौ महीने की कड़ी लड़ाई करनी पड़ी थी. कुर्द खुफिया सूत्रों ने कहा कि गठबंधन के हवाई हमलों में हजारों नागरिक मारे गए और शहर का एक बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया. 25 लाख से अधिक आबादी वाला मोसुल इराक का दूसरा सबसे बड़ा शहर है.

जिस स्केल पर इजरायल को आतंक से जूझना पड़ा है, उसे देखते हुए इजरायल कुछ नहीं करे, ये हो नहीं सकता है. भोजन, पानी और बिजली सप्लाई में कटौती के बाद, इजरायल लगातार हवाई बमबारी कर रहा है और गाजा के अंदर अपने सैनिकों को भेजकर सर्च और खात्मे में जुटा है.

इजरायली अधिकारियों का कहना है कि उनके ऑपरेशन का उद्देश्य हमास के इंफ्रास्ट्रक्चर, उसकी सुरंगें और उस आतंकी समूह को नष्ट करना है. इजरायली सुरक्षा प्रमुख शायद जानते हैं कि हमास को नष्ट करना उनकी पहुंच से परे का काम है. गाजा में संगठन के नेता और उनका समर्थन है. इजरायल को जिस चीज पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, 7 अक्टूबर के हमले में जिम्मेदार लोगों को पकड़ना और खत्म करना है.

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इजरायल कब्जा करके भी शासन नहीं कर सकता है

बड़ा सवाल ये है कि हमें अभी तक इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है कि उसके बाद क्या होगा? इजरायल का उद्देश्य बड़े पैमान पर बल का प्रयोग कर हमास को खत्म करना है. उसके बाद क्या होगा, जिन विकल्पों पर बात की जा रही है, वे गाजा से सैन्य जोन से हटा देना है. गाजा के साथ सभी इजरायली संपर्क बंद हो जाएंगे.

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल की पहले गाजा को घेरने और उसके बाद धीरे-धीरे हमास को खत्म सुनियोजित तरीके से खत्म करने की स्ट्रेटजी है, जिससे कम आकस्मिक नुकसान हो. हमास के पास अपने 200 लोगों के बंधक होने से इजरायल भी विवश है.

हालांकि, बड़ा सवाल बना हुआ है. इजरायलियों के पास हमास से निपटने के लिए एक सैन्य रणनीति हो सकती है, लेकिन उनके पास स्पष्ट रूप से राजनीतिक रणनीति का अभाव दिखता है. उनके चले जाने के बाद 25 लाख लोगों वाले नष्ट हो चुके शहरी समूह को कौन चलाएगा?

इजरायल के पास वहां कब्जे वाली सरकार चलाने की क्षमता या इच्छा नहीं है. जहां तक ​​फिलिस्तीनी प्रशासन का सवाल है, उनके पास गाजा में विश्वसनीयता की कमी है और वे निश्चित रूप से यह नहीं चाहेंगे कि उन्हें इजरायल की वजह से सत्ता मिले.

अरब लीग या इस्लामी देशों का समूह यहां के लिए कोई फैसला ले सकता है लेकिन उनके ऐसा करने की संभावना नहीं है, जब तक कि ये स्पष्ट न हो जाए कि इजरायल फिलिस्तीनियों की दुर्दशा के स्थायी समाधान के लिए खुद को प्रतिबद्ध करेगा.

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वास्तव में, इसके लिए व्यापक सहमति की आवश्यकता हो सकती है और संभवतः संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आदेश की भी आवश्यकता हो सकती है जिसमें चीन और रूस की स्वीकृति भी शामिल हो लेकिन अब बहुत कुछ इजरायली के प्रतिशोध में की गई कार्रवाई पर निर्भर करता है. यदि उनकी ओर से प्रचंड क्रूरता का सबूत है, तो सभी दांव बेकार हो जाएंगे.

दूसरी ओर, यदि इजरायली हमास नेताओं और लड़ाकों को ही लक्ष्य कर हमला करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि वे नागरिक हताहतों को कम करेंगे तो चीजें बदल सकती हैं.

आतंकवादी गतिविधियों को पुरी तरह कुचला जा सकता है और कुचल भी गया है. जैसा कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) से निपटने के श्रीलंका के उदाहरण से पता चला है लेकिन इसकी कीमत बहुत ज्यादा है. अनुमान है कि श्रीलंका के लिट्टे के खिलाफ कैंपन में 1,50,000 नागरिक मारे गए.

लिट्टे और तमिल नागरिकों के खिलाफ एक्शन पर कोलंबो को अभी भी संयुक्त राष्ट्र के सवालों का सामना करना पड़ रहा है.

अधिकांश आतंकवादी गतिविधियां सैन्य फोर्स और राजनीतिक बातचीत के जरिए हराया जा सकता है. यह दिखाना इजरायल के अपने हित में है कि संघर्ष नहीं, बल्कि सहयोग ही आगे बढ़ने का रास्ता है.

(लेखक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के एक प्रतिष्ठित फेलो हैं. यह एक राय है. ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

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