ADVERTISEMENTREMOVE AD

कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान ने ये अच्छा नहीं किया

पाकिस्तान की इंसानियत की पैमाइश का फीता बड़ा छोटा निकला

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

जो आपके सबसे करीब है. जिसे आप शिद्दत से चाहते हैं. जो आपकी पूरी जिंदगी है. जो आपकी जिंदगी का हासिल है. वो कोई भी हो सकता है. कोई भी. मां, पिता, भाई, बहन, बेटा, पति. वो आपके सामने है और आप उसे छू नहीं सकते. उसे गले नहीं लगा सकते. उसके हिलते होठों से सीधे निकलते शब्द, उसी तरह सुन नहीं सकते.

कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान ने ठीक यही किया है. जज्बात का कोरा दिखावा. इस दिखावे को हर हाल में धिक्कारना चाहिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ये सिर्फ शीशे की दीवार नहीं थी

कहने को जाधव और उनकी मां और पत्नी के बीच सिर्फ शीशे की दीवार थी. लेकिन आप बस उस लम्हे को जरा सोच कर देखिए. सिहर उठेंगे. दुनिया के सामने मुलाकात की तस्वीर जारी की गई, जिसमें सब ठीक-ठाक दिखता है. लेकिन तस्वीरें सब कुछ बयां कर देतीं तो बात और होती. उन चंद तस्वीरों के इधर या उधर कुछ आंसू भी तो बहे होंगे, कुछ सिसकियां भी तो सुनाई दी होंगी, कुछ दिल भी तो दरके होंगे. माना कि हुक्मरानों के पैरों में जज्बात बेड़ियों का काम करते हैं. फिर ये सारा दिखावा क्यों?

पाकिस्तान की इंसानियत की पैमाइश का फीता बड़ा छोटा निकला
पाकिस्तान ने इस तरह की मुलाकात करवा कर ज्यादती की है
(फोटो: Pak Foreign Ministry)

क्या सुरक्षा के नाम पर? यही तो दलील दी थी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने. दुनिया को बताया गया कि कुलभूषण जाधव की सुरक्षा को खतरा है. इसलिए ये मुलाकात शीशे की दीवार के आरपार कराई गई. लेकिन, जाधव को किससे खतरा है. अपनी मां से? या अपनी पत्नी से? दो औरतें जिनको शायद पाकिस्तान पहुंचते तक इल्म भी न रहा हो कि उनकी मुलाकात इस तरह कराई जाने वाली है. जिन्होंने न जाने कितनी बार इस एक लम्हे को अपने जेहन में जिया होगा. और आपने क्या किया? एक दीवार खींच दी.

वैसे, दीवारें खड़ी करना हुक्मरानों का पुराना शगल है. दिलों में हो, मजहबों में हो, मुल्कों में हो या फिर कुलभूषण जाधव और उनके परिवार के बीच शीशे की दीवार हो.
0

पाकिस्तान की इंसानियत का फीता बहुत छोटा पड़ गया

जिन ‘कायदे आजम’ जिन्ना के जन्मदिन पर इंसानियत के नाम पर ये मुलाकात करवाई गई, क्या वहां थोड़ी और इंसानियत नहीं बरती जा सकती थी.

इंसानियत की पैमाइश का फीता इतना छोटा कैसे पड़ गया? जब इन चीजों को लेकर इतनी तंगदिली है तो दोनों मुल्कों के बीच बड़े मसलों पर कैसा नजरिया बनेगा.

पाकिस्तान को ये सोचना होगा. पाकिस्तान को सोचना होगा कि महज दिखावे की दरियादिली से रिश्तों में गरमाहट नहीं आ सकती. सोचना होगा कि दुनिया में अपनी छवि बदलनी है तो शुरूआत छोटे कदमों से करनी होती है. और ये भी सोचना होगा कि महज फोटो-वीडियो के साथ एक इवेंट खड़ी करने से दुनिया की आंखों में धूल नहीं झोंकी जा सकती.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×