शुक्रवार को मोदी, नड्डा और अमित शाह के बीच बैठक. गुरुवार-शुक्रवार को मोदी, शाह और नड्डा से योगी की मुलाकात और शाह की अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद से मुलाकात. इन सुर्खियों के कारण एक और हेडलाइन बन रही है कि क्या मोदी और योगी मंत्रिमंडल में बदलाव होने वाले हैं? विस्तार (Modi Cabinet expansion) होगा तो कब और किन लोगों की जगह मिल सकती है? अभी कुछ भी पक्के तौर पर कहना कयास ही होगा लेकिन दोनों मंत्रिमंडल में जिन वजहों से विस्तार की चर्चा हो रही है, उनको जानकर अंदाजा लगाया जा सकता है. इन वजहों को हम चार हिस्सों में बांट कर देख सकते हैं.
1.यूपी में चुनाव
कोरोना मिस मैनेजमेंट को लेकर जिस तरह से जनता और खुद बीजेपी के नेताओं ने यूपी सरकार की आलोचना की है, उससे संघ से लेकर बीजेपी आलाकमान चिंतित है. चुनाव 2022 में हैं लेकिन लगता है टॉप मैनेजमेंट अभी से यूपी का किला ठीक करने में जुटा है. पिछले डेढ़ महीने से यूपी में सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं. संघ से लेकर बीएल संतोष का दौरा हुआ है. कहा गया कि फीडबैक लिया गया है. तो इस फीडबैक का असर योगी कैबिनेट के स्वरूप में बदलाव के तौर पर देखा जा सकता है. योगी ने 10-11 जून को दिल्ली में लगातार दो दिन तक मैराथन मीटिंग की हैं. अमित शाह अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद से मिले हैं.
यूपी के नेताओं को साधने का एक और तरीका है केंद्र में जगह. तो कोई ताज्जुब नहीं कि लखनऊ से लेकर दिल्ली तक कैबिनेट में यूपी की लड़ाई से पहले यूपी के सिपहसलारों को ओहदा दिया जाए. इस विस्तार में गठबंधन के दलों का भी ख्याल रखा जा सकता है और अपनी पार्टी के उन लोगों में जोश भरा जा सकता है जो संगठन में बिठा दिए गए हैं. लेकिन बड़ा फोकस हो सकता है कि जाति समीकरण. जितिन प्रसाद पार्टी में आए हैं. चर्चा है कि 12 फीसदी ब्राह्मण वोटर को देखते हुए प्रसाद को योगी कैबिनेट में जगह मिल सकती है. अफसर से बीजेपी नेता बने एके शर्मा का जनवरी से चल रहा इंतजार खत्म हो सकता है.
यूपी के अलावा अगले साल उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में भी चुनाव हैं. कैबिनेट विस्तार में इन राज्यों का भी ख्याल रखा जा सकता है. खासकर पंजाब जहां के अकाली अब गठबंधन और मंत्रिमंडल छोड़ चुके हैं. किसान आंदोलन से हुए नुकसान को देखते हुए भी पंजाब की अहमियत है.
2. खत्म होगा इनका इंतजार?
पार्टी और गठबंधन में कई ऐसे नेता हैं जिनको कैबिनेट में जगह की उम्मीद हो सकती है. अनुप्रिया पटेल की चर्चा हम ऊपर कर ही चुके हैं. लेकिन ऐसे नाम और भी हैं.
जेडीयू की उम्मीदें
12 जून को बीजेपी की सहयोगी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कहा कि उन्होंने भी कैबिनेट विस्तार की चर्चा सुनी है, जब भी विस्तार हो, जेडीयू को भी मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए. दरअसल 2019 में जब मोदी सरकार बनी तो खबरें बनी थीं कि कम सीटें मिलने से नीतीश खफा थे इसलिए जेडीयू ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने से मना कर दिया. इसका बदला उन्होंने बिहार मंत्रिमंडल में भी लिया. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. बिहार में नीतीश कमजोर हुए हैं. कोई ताज्जुब नहीं कि कैबिनेट विस्तार में जो मिल जाए पार्टी अब उसी पर हां कर दे. जेडीयू के तीन नेताओं की उम्मीदें बढ़ी हुई हैं.
सुशील मोदी
राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार अब बिहार सरकार में किसी भी पद पर नहीं हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 से पहले डिप्टी सीएम हुआ करते थे. अब राज्यसभा जा चुके हैं. रामविलास पासवान के निधन से बिहार कोटे का मंत्री पद भी खाली हुआ है. विस्तार हुआ तो स्वाभाविक नाम लगते हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को गिराकर बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया. मध्य प्रदेश कोटे से राज्यसभा पहुंचे हैं. इससे पहले यूपीए सरकार में कैबिनेट का हिस्सा रह चुके हैं. तो मौका भी है और दस्तूर भी.
सर्बानंद सोनोवाल
एंटी इन्कमबेंसी के बावजूद 2021 चुनावों में असम में बीजेपी की सरकार बनी. मुख्यमंत्री कौन थे-सर्बानंद. लेकिन पार्टी ने फैसला किया कि अब हिमंता को सीएम की कुर्सी सौंप दी जाए. सर्बानंद चुपचाप ये फैसला बर्दाश्त कर गए. अब केंद्र में इनाम मिलना ही चाहिए.
सुवेंदु अधिकारी
बंगाल में टीएमसी छोड़कर बीजेपी में आए नेता घर वापसी कर रहे हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय भी टीएमसी में चले गए. दसियों और नेताओं के भी ऐसा ही करने की चर्चा है. इस चुनाव के सबसे बड़े लूजर में से एक हैं सुवेंदु. टीएमसी में थे तो कद्दावर मंत्री होते थे. राज पाट गया और ऊपर से हर तरफ दुश्मन जमा कर लिये. जाहिर है बीजेपी आलाकमान चाहेगी कि सुवेंदु बेचैन न हों. कैबिनेट विस्तार की चर्चा के बीच हाल में ही में सुवेंदु पीएम मोदी से मिले हैं.
3. एक-एक मंत्री के पास कई विभाग
अगर नए लोग मंत्रिमंडल में लिए जाएंगे तो क्या किसी को हटाया जाएगा? मालूम नहीं. लेकिन किसी को हटाने की जरूरत भी नहीं है. मोदी कैबिनेट में कई ऐसे मंत्री हैं जिनके पास तीन-तीन, चार-चार पोर्टफोलियो हैं. ये रही लिस्ट.
4. पीएम मोदी कर रहे मंत्रालयों के काम का रिव्यू
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं. पिछले चंद दिनों में पेट्रोलियम, इस्पात, जलशक्ति, नागरिक उड्डयन, पर्यावरण, हेवी इंडस्ट्री मंत्रालयों की समीक्षा हुई है. अगर मंत्रिमंडल विस्तार होता है कि आप इन समीक्षाओं का असर भी देख सकते हैं.
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