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श्रीलंका में भारत-पाक सीरीज बेमानी: शशि थरूर

यूएई में पाकिस्तान और भारत सीरीज क्यों नहीं हो सकती? बीसीसीआई को फैन्स को जवाब देना होगा, कहते हैं शशि थरूर

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अब ये लग रहा कि श्रीलंका में भारत-पाकिस्तान सीरीज के लिए रास्ता साफ हो रहा है, मैदान तैयार किया जा रहा है अगर भारत सरकार इजाजत दे देती है तो.

हालांकि मैं हमेशा भारत- पाकिस्तान के बीच सीरीज का समर्थक रहा हूं, लेकिन इस श्रीलंका सीरीज पर मुझे हैरानी भी हो रही है. इसलिए नहीं क्योंकि हम पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने को तैयार हो गए हैं.

ये समझ से परे है कि आखिर लश्कर और जैश-ए-मुहम्मद जैसे आंतकी संगठन इसपर वीटो कैसे लगा सकते हैं जबकि दोनों मुल्क की जनता ये सीरीज चाहती है. और बीसीसीआई इस जिद पर कायम है कि सीरीज यूएई के बजाय श्रीलंका में ही खेली जाए.

दरअसल श्रीलंका टीम पर हुए आतंकी हमले के बाद क्रिकेटरों ने पाकिस्तान में मैच खेलने से इंकार कर दिया जिसके बाद यूएई पाकिस्तान का होम ग्राउंड बना.

तबसे यूएई में आईसीसी सदस्य 6 देश सीरीज खेल चुके हैं, कुछ देशों ने तो कई बार यूएई में सीरीज खेला है. ये भी सच है कि हाल ही में जिंबाब्वे को पाकिस्तान जाकर मैच खेलने के लिए मना लिया गया था और बांग्लादेश भी डरते हुए ही सही लेकिन पाकिस्तान में खेलने का मन बना रहा है.

लेकिन ये ऐसी टीमें हैं जो दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी से मैच खेलने के लिए बेताब हैं. बाकी मुल्कों ने यूएई को चुना है, क्योंकि यूएई पाकिस्तान के काफी नजदीक है और पाकिस्तान के लिए घरेलू ग्राउंड जैसा है.

यूएई में पाकिस्तानी समर्थकों की तादाद भी ज्यादा है जो स्टेडियम में खचाखच भीड़ के लिए पर्याप्त है. यूएई में पिच और माहौल भी पाकिस्तान जैसा ही है और पाकिस्तान से ज्यादा सुरक्षित भी है.

लेकिन भारत यूएई जाकर मैच खेलने से इंकार करता आया है.

स्नैपशॉट

श्रीलंका में भारत-पाकिस्तान सीरीज बेमानी है.

  • 6 आईसीसी सदस्य देश श्रीलंकाई टीम पर हुए आतंकी हमले के बाद यूएई में मैच खेल चुके हैं.
  • भारत नैतिक रुप से ये वादा (आईसीसी के भविष्य के दौरे प्रोग्राम के तहत भारत ने इस समझौते पर साइन किया है) से ये वादा किया है कि वो पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलेगा, दूसरे शब्दों में यूएई में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलेगा.
  • बीसीसीआई में कुछ लोग ये इशारा कर रहे हैं कि मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर को अभी भी यूएई में सट्टेबाजी का डर है.
  • लेकिन यूएई में सट्टेबाजी का अंत हो चुका है और इसके लिए शेख मुबारक और यूएई क्रिकेट प्रशासन की दुनियाभर में सराहना भी हुई है.
  • पारदर्शिता के जमाने में बीसीसीआई अभी भी अपने फैसले और अपनी सोच में रुढ़िवादी बना हुआ है.
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‘नैतिक आधार पर पाकिस्तान “दौरा” जरूरी’

सवाल ये है कि आखिर क्यों? हाल ही में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट सीरीज का मुद्दा तूल पकड़ चुका है, आम धारणा ये थी कि बीजेपी सरकार भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के माहौल में क्रिकेट खेलना नहीं देना चाहती.

हालांकि नैतिकता के आधार पर भारत को यूएई में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना चाहिए. अब हम ये कह रहे हैं कि हम यूएई नहीं जाना चाहते, और हम चाहते हैं कि पाकिस्तान भारत आकर खेले.

लेकिन जब पाकिस्तान ये कहता है कि इस बार मेजबानी की बारी उनकी है तो हम कहते हैं कि पाकिस्तान यूएई में भारत की मेजबानी नहीं कर सकता – हम कहीं और मैच खेलना चाहते हैं.

बीसीसीआई के फैसला तर्कहीन

इमानदारी से कहें तो यूएई में न खेलने के फैसले के पीछ कोई तर्क टिकता ही नहीं. ये सच है कि पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक सीरीज इंग्लैंड में खेली गई थी जिसकी मेजबानी पाकिस्तान ने की थी.

तो फिर उनके लिए यूएई से बाहर कहीं मेजबानी करना नई बात नहीं है. लेकिन ये काफी पुरानी बात है, उसके बाद ऑस्ट्रेलिया पाकिस्तान के खिलाफ यूएई में खेल चुका है.

ये भी सच है कि एक वक्त हम यूएई में मैच इसलिए नहीं खेलना चाहते थे क्योंकि वहां सट्टेबाजी का खतरा था. दाऊद इब्राहिम जैसे गुंडे वहां मैच देखने पहुंचते थे. लेकिन यूएई ने इन सबपर अब पाबंदी लगा दी है.

शेख मुबारक और यूएई क्रिकेट प्रशासन ने जिस तरीके से क्रिकेट से सट्टेबाजी को खत्म किया है उसे दुनिभर में सराहना मिली है. ये भी एक सच है कि आईसीसी हेडक्वार्टर भी दुबई में ही है.

कई सवाल मुंह बाए खड़े हैं


तो फिर आपकी परेशानी क्या है? कोई इस बारे में कुछ नहीं कह रहा है. मैं नए बीसीसीआई चीफ शशांक मनोहर की तहे-दिल से इज्जत करता हूं, जिनसे मैं पिछले कार्यकाल में मिल चुका हैं. वो मुझे एक साफ सुथरी सोच वाले और दमदार क्रिकेट प्रशासक लगते हैं.

  • लेकिन उन्हें भारतीय क्रिकेट फैन्स को जवाब देना होगा कि क्यों भारत यूएई में नहीं खेल सकता.
  • हम ऐसे देश में मैच खेलने क्यों जाएं जहां बारिश की वजह से ज्यादातर मैच रद्द हो जाते हैं, जबकि हमारे पास साफ मौसम वाले देशों का विकल्प है?
  • हम श्रीलंका बोर्ड को ज्यादा पैसे क्यों दे जबकि यूएई में खेलने पर खर्च कम होगा?
  • हम ऐसी पिच पर खेलने का मौका क्यों छोड़ दें जहां अश्विन और जडेजा का जादू यकीनन चलेगा जबकि श्रीलंका में उनका रिकॉर्ड कुछ खास नहीं है.
  • और सबसे हम सवाल ये है कि हम ऐसे देश में क्यों नहीं खेलना चाहते हम पहले एक अंडर-19 वर्ल्ड कप खेल चुके हैं और 2006 में एकदिवसीय मैच भी. आईपीएल 2014 का एक बड़ा हिस्सा भी वहां खेला गया था.


ऑफ रिकॉर्ड बीसीसीआई के कुछ अधिकारी जिनका मैं नाम नहीं लूंगा ये बताते हैं कि – मनोहर को अभी भी यूएई के सट्टेबाजी इतिहास का डर सता रहा है. मुझे तो ये डर बेबुनियाद लगता है. हाल के दिनों में क्रिकेट को शर्मसार करने वाली घटनाएं इंग्लैंड, बांग्लादेश और भारत में हुई हैं न कि यूएई में.

और अगर खिलाड़ी भ्रष्ट हैं तो कोई देश इन्हें रोक नहीं सकता. ठीक उसी तरह से अगर खिलाड़ी ईमानदार हैं तो किसी भी वेन्यू पर उनके दामन पर दाग लगना नामुमकिन है.

वजह जानने का हक फैन्स को है

भारतीय क्रिकेट प्रशासन ठीक वैसे ही काम करता है जैसे चर्चिल रूस में करते थे. बातों को छिपाकर रखा जाता है, फैसलों की वजह नहीं बताई जाती और सबकुछ एक बंद कमरे में तय किया जाता है.

राजनीति से लेकर प्रशासन तक, अकाउंटिंग से लेकर चिड़ियाघर तक, हर जगह अब पारदर्शिता है लेकिन बीसीसीआई अभी भी अपने पुराने तौर तरीकोें पर अटका है.

वो हमें कभी नहीं बताते कि वो डीआरएस का विरोध क्यों करते हैं जब भारत को अक्सर अंपायर के गलत फैसलों की मार झेलनी पड़ती है और उन फैसलों को डीआरएस सिस्टम के जरिए बदला जा सकता था. अब वो हमें ये नहीं बता रहे कि यूएई में मैच क्यों नहीं खेलना चाहते.

पाकिस्तानी समीक्षक ओस्मान सामीउद्दीन के शब्दों में “एक बिगड़ैल रईसजादा” स्कूल के मैदान में कहता है कि “मैं अब नहीं खेलना चाहते, मैं अपना सामान लेकर जा रहा हूं, वजह बताने की जरुरत नहीं समझता”

वक्त आ गया है कि देश के सबसे लोकप्रिय खेल के कर्ता-धर्ता फैन्स को जवाब दें. फैन्स को ये सबकुछ जानने का हक है.

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