राष्ट्रपति शी जिनपिंग को बीजिंग में चल रही चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की 19वीं कांग्रेस में मेंटॉर घोषित किया जाएगा. जिनपिंग सीसीपी के महासचिव और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) के चेयरमैन भी हैं. ये सम्मान अब तक सिर्फ माओ जेदॉन्ग और डेंग जियाओपेंग को ही मिला है.
जिनपिंग को अक्टूबर 2016 में सीसीपी के छठे अधिवेशन में “कोर ऑफ दि लीडरशिप” का दर्जा दिया गया था.
शी का बढ़ता दबदबा
दरअसल, इस बात की अटकलें लग रही हैं कि माओ की तरह जिनपिंग को 'आजीवन चेयरमैन' बनाया जा सकता है और उनके 'निर्देशक विचारों' को संविधान में शामिल किया जा सकता है. नवंबर 2012 में महासचिव बनने के बाद से ही जिनपिंग ने चीन के निर्विवाद नेता के रूप में अपनी स्थिति लगातार मजबूत की है और अब चीन की राजनीति में जबरदस्त ताकत और प्रभाव रखते हैं, अपने पहले के राष्ट्रपति से कहीं ज्यादा.
सेंटर ऑफ चाइना एनालिसिस एंड स्ट्रैटेजी, नई दिल्ली के प्रेसिडेंट और भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय में पूर्व एडिशनल सेक्रेटरी जयदेव रानाडे ने संडे गार्जियन लाइव में लिखा:
आज शी जिनपिंग 13 औपचारिक पदों पर हैं. इनमें संवेदनशील नेशनल सिक्योरिटी एपैरेटस, साइबर सिक्योरिटी, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल, सेना और इकनॉमी शामिल हैं.
शी इतनी ऊंचाई पर कैसे पहुंचे
जिनपिंग सीएमसी के पहले नागरिक अध्यक्ष हैं. उन्हें निर्विवाद और सर्वोच्च नेता के पद पर पहुंचाया है पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर नियंत्रण हासिल करने की उनकी चतुराई भरी योजना ने. जिनपिंग ने सैन्य सुधारों, वफादारों के प्रमोशन की मदद से और विरोधी विचारधारा के जनरलों को हटाकर ये मुकाम हासिल किया है.
रानाडे लिखते हैं:
पीएलए में मेजर जनरल रैंक के कम से कम 86 अफसरों की भ्रष्टाचार के मामलों में जांच चल रही थी या उन्हें गिरफ्तार किया गया था. मार्च 2017 तक, 4,885 पीएलए अफसरों को आधिकारिक रूप से भ्रष्टाचार के लिए दंडित किया गया था. इस जनवरी में दूसरे 50 जनरलों को रिटायर कर दिया गया जिससे शी जिनपिंग के लिए 135 से ज्यादा जनरल अफसरों को प्रोन्नति देने का रास्ता साफ हो गया और ये भी निश्चित हो गया कि पीएलए के वरिष्ठ अफसरों में उनकी पसंद के लोग हों.
सैन्य सुधारों की शुरुआत की गई
जिनपिंग ने पीएलए को आधुनिकतम सेना बनाने के लिए बड़े पैमाने पर सैन्य सुधारों की शुरुआत की, जिससे चीन की राष्ट्रीय एकता सुरक्षित रखी जा सके और रणनीतिक रूप से चीन को मजबूत बनाया जा सके.
सुधारों के तहत चार ‘पारंपरिक’ जनरल विभागों (जनरल स्टाफ, राजनीतिक, लॉजिस्टिक्स, और इक्विपमेंट) को खत्म कर दिया गया और 15 नए विभाग बनाए गए, जो सीधे सीएमसी के तहत रखे गए.
इन विभागों के तहत 84 पुनर्गठित कॉर्प्स-लेवल यूनिट्स होंगे. इन यूनिटों में प्रोविंशियल मिलिट्री कमांड, मिलिट्री एकेडमी, और रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले विश्वविद्यालय भी शामिल हैं.
शी जिनपिंग ने पीएलए पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए नए ज्वॉइंट ऑपरेशंस कमांड सेंटर के प्रमुख का पद भी संभाल रखा है, जिससे उन्हें पीएलए के सैन्य अभियानों और योजनाओं का जिम्मा मिल गया है. ये नई भूमिका राजनीतिक रूप से भी काफी महत्व रखती है. जिनपिंग ने सैन्य सुधारों के साथ ही सैनिकों की संख्या में 3 लाख की कमी करके उसे 20 लाख तक लाने का आदेश दिया है. उन्होंने पीएलए के आधुनिकीकरण के लिए काफी समय दिया है.
वफादारी की याद दिलाते रहे हैं शी जिनपिंग
आधिकारिक रूप से, पीएलए कम्युनिस्ट पार्टी का सशस्त्र दस्ता है और शी जिनपिंग ने नेतृत्व को हमेशा ये बात याद दिलाई है. अप्रैल 2017 में, जिनपिंग ने कहा कि सभी मिलिट्री यूनिट कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति पूरे तौर पर वफादार बनें. अगस्त में जिनपिंग ने जोर देकर कहा:
आप सेना पर पार्टी के नेतृत्व के प्रति अटल रूप से वफादार होंगे, पार्टी की बात को ध्यान से सुनेंगे, पार्टी की बात का पालन करेंगे.
वफादारी और आज्ञापालन की बार-बार होने वाली घोषणाओं के नतीजे भी दिखे हैं, जब हर इलाके के मिलिट्री कमांडरों ने पूरी वफादारी जताने के लिए सरकारी अखबारों में पूरे पन्ने के विज्ञापन दिए.
19वीं पार्टी कांग्रेस में पीएलए 253 प्रतिनिधियों को भेज रहा है. इन प्रतिनिधियों को चुनते वक्त ये ध्यान रखा गया है कि अधिकारी पेशेवर रूप से योग्य होने के साथ राजनीतिक रूप से भरोसेमंद भी हों. भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे लोगों को बाहर किया जा रहा है.
‘चीनी स्वप्न’ का लक्ष्य हासिल करने पर जोर
अपनी कुशल चालों की बदौलत राजनीतिक और सैन्य रूप से मजबूत होने के बाद ये तय है कि जिनपिंग कम्युनिस्ट पार्टी की 19वीं कांग्रेस में दोबारा महासचिव चुन लिए जाएंगे. पिछले कुछ दशकों में किसी महासचिव के पास इतनी ताकत नहीं रही जितनी जिनपिंग ने हासिल कर ली है. हू जिंताओ और जियांग जेमिन दोनों ही पार्टी और पीएलए पर मजबूत पकड़ के लिए संघर्ष करते रहे थे.
पार्टी और पीएलए के समर्थन से राष्ट्रपति जिनपिंग ‘चीनी स्वप्न’ को पूरा करने की कोशिश करने में समर्थ होंगे. ये नारा भी उन्होंने ही दिया है, जो नए चीन के लिए लोगों की भावनाओं को व्यक्त करता है.
हालांकि ‘चीनी स्वप्न’ पूरा तभी होगा जब शांतिपूर्ण और स्थिर वातावरण होगा. सामाजिक-आर्थिक विकास के अनुकूल क्षेत्रीय सुरक्षा के माहौल को बढ़ावा देने के लिए, चीन को अपनी सैन्य आकांक्षाओं और झगड़ालू प्रवृत्ति में कमी लानी होगी और सहयोग और नियम-कायदों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति सम्मान की तरफ बढ़ना होगा.
(लेखक इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस, नई दिल्ली के जाने-माने फेलो हैं. उनसे @gurmeetkanwal पर संपर्क कर सकते हैं. इस लेख में छपे विचार उनके हैं. क्विंट का उनसे सहमत होना जरूरी नहीं है)
ये भी पढ़ें:
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)