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‘आप’ पर क्यों आई है आफत, तिनका-तिनका बिखर रही है ‘झाड़ू’

आम आदमी पार्टी में नाराजगी का यह सिलसिला क्यों चल रहा है?

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आप की झाड़ू तिनका तिनका बिखर क्यों रही है? 2019 आम चुनाव में अब एक साल से भी कम समय बचा है. लेकिन आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जिस तरह से इस्तीफा देने का सिलसिला शुरू किया है उससे लगता है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के काम करने के तरीके पर सवाल उठ गए हैं. उनके सबसे करीबी दो और नेताओं आशुतोष और आशीष खेतान ने हफ्ते के भीतर आप छोड़ने का ऐलान कर दिया.

इससे पहले भी कई बड़े नेताओं ने आप का साथ छोड़ा है, वहीं कई नेताओं को साइडलाइन किया जा चुका है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि पार्टी में नाराजगी का यह सिलसिला क्यों चल रहा है?

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अरविंद केजरीवाल के स्टाइल पर सवाल

भले ही आशीष खेतान और आशुतोष ने आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कुछ नहीं बोला है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, पिछले कुछ समय से ये दोनों नेता केजरीवाल से खफा थे. पार्टी से अलग-थलग पड़े कुमार विश्वास भी गाहे-बगाहे अरविंद केजरीवाल पर सवाल उठाते ही रहते हैं.

इससे पहले भी जितने लोगों ने आप छोड़ा है. उनमें से अधिकांश नेताओं ने केजरीवाल के काम करने के ढंग पर सवाल उठाया है. केजरीवाल पर तानाशाही का भी आरोप लग चुका है. 

केजरीवाल को करीब से जानने वाले लोग कहते हैं कि वह अपनी ही तरह के लोकतंत्र में यकीन करते हैं और वही लोकतंत्र पार्टी के फैसलों में भी दिखता है. भले ही आम आदमी पार्टी में नेताओं की एक बड़ी फौज है. पार्टी के अंदर लोकतांत्रिक तरीकों से फैसले लेने का दावा किया जाता है. लेकिन सूत्रों की मानें तो पार्टी के अंदर होता वहीं है जो केजरीवाल चाहते हैं.

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पंजाब में भी तकरार

दिल्ली के अलावा पार्टी की सबसे अच्छी स्थिति पंजाब में रही है. लेकिन यहां भी पार्टी के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. खैरा गुट पार्टी के लिए मुसीबत का पैदा कर सकता है.

पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैरा को पार्टी ने 26 जुलाई को इस पद से हटा दिया. इसके बाद से खैरा गुट बगावत के मूड में है.

खैरा को हटाने के बाद से उनके सपोर्टर कुछ बागी नेताओं ने अपनी अलग पीएसी बनाने का ऐलान किया है. हालांकि पार्टी सूत्रों की मानें तो पार्टी हाईकमान ने खैरा गुट के सपोर्ट में उतरे कुछ संगठन पदाधिकारियों के पर कतरने की तैयारी कर ली है.

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सीट बंटवारा भी है मुद्दा

भले ही आशीष खेतान ने इस बात से इनकार कर दिया है कि नई दिल्ली लोकसभा सीट से टिकट नहीं मिलने की वजह से उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है. लेकिन पार्टी सूत्रों की मानें तो खेतान काफी समय से इसी सीट पर टिकट की मांग कर रहे थे. और इस वजह से वह काफी समय से नाराज भी चल रहे थे. जब बात नहीं बनी तो उन्होंने गुडबॉय बोलना मुनासिब समझा.

वहीं राज्यसभा सीट को लेकर आशुतोष का मतभेद भी पार्टी से काफी बढ़ गया था. जिसके बाद उन्होंने पार्टी से अलग होने का रास्ता चुन लिया.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, आप नेता राघव चड्ढ़ा साउथ दिल्ली सीट से लोकसभा टिकट चाहते हैं और उन्हें इसके लिए केजरीवाल की तरफ से ग्रीन सिग्नल भी मिल गया है. लेकिन पार्टी में कुछ और भी नेता हैं जो 2019 चुनाव से पहले टिकट के मुद्दे पर पार्टी को घेरने की कोशिश कर सकते हैं या फिर पार्टी को छोड़ भी सकते हैं.

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केजरीवाल के लिए खतरे की घंटी!

अन्ना आंदोलन से उभरकर आने वाली आम आदमी पार्टी के गठन के समय में लोगों को लगा था कि यह पार्टी बाकी राजनीतिक दलों से अलग होगी. शुरुआत में आप की अलग तरह की राजनीति देखने को भी मिली. लेकिन कुछ ही समय में यह भी बाकी पार्टियों के रास्ते पर आ गई है.

दिल्ली में 49 दिन की सरकार बनने के साथ ही विनोद कुमार बिन्नी की नाराजगी के साथ पार्टी नेताओं के निकलने और निकाले जाने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो जारी है.

योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रो. आनंद कुमार, प्रो. अजित झा जैसे संस्थापक सदस्यों को पार्टी से निकाला जा चुका है. कई सीनियर नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है, वहीं कई नेता पार्टी में होकर भी अलग-थलग पड़े हैं.

अंजली दमानिया, मयंक गांधी, एडमिरल रामदास, विनोद कुमार बिन्नी, शाजिया इल्मी, सुच्चा सिंह छोटेपुर जैसे नेता इस्तीफा दे चुके हैं. वहीं कुमार विश्वास, देवेन्दर सहरावत, डॉ. राजमोहन गांधी, सुखपाल खैरा, धर्मवीर गांधी, मीरा सान्याल, गुल पनाग जैसे कई लोग पार्टी में अलग-थलग पड़े हैं.

सीनियर नेताओं का इस तरह पार्टी छोड़ना केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए भी परेशानी पैदा कर सकता है. जिस तरह से नेता पार्टी छोड़ कर जा रहे हैं और केजरीवाल के तानाशाही रवैये को लेकर खबरें आ रही है. आप सपोर्टर और आम लोगों के बीच ये मैसेज जा रहा है कि पार्टी के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है. ऐसे में इस बात का असर आप के वोट बैंक पर भी पड़ सकता है.

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