ग्रोथ के लिए जरूरी है इंडस्ट्री को आसान कर्ज मिले. बजट में छोटी और मझौली इंडस्ट्री यही उम्मीद कर रही है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली इसके लिए कोई रोडमैप सामने रखेंगे.
नकदी की कमी और कर्ज मिलने में दिक्कत से छोटी और मझौली इंडस्ट्री की कमर टूट गई है. छोटे कर्जदारों को आम तौर पर बैंक अनदेखी करते हैं जिसकी वजह से उन्हें दूसरी जगह से या तो महंगा कर्ज लेना होता है या फिर अपने धंधे में कटौती करनी होती है.
दो साल का दुख नहीं भूले हैं लोग
दो सालों से नकदी की कमी वाले दुर्दिनों की याद लोगों को मन में अभी भी ताजा है. इसलिए इस इंडस्ट्री के लोगों को उम्मीद है कि वित्तमंत्रालय फाइनेंस टेक्नोलॉजी और गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनी को आसान कर्ज मुहैया कराएगा ताकि वो बदले में छोटी और मझौली इंडस्ट्री को खुले हाथ से कर्ज दे सकें.
भारत की करीब 2.8 लाख डॉलर की जीडीपी में गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां ग्रोथ बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा काम कर रही हैं. अभी भी देश का इंडस्ट्री को कर्ज की मांग बैंक और गैर बैकिंग वित्तीय संस्थान पूरा नहीं कर पा रही हैं.
गैर बैंकिंग संस्थानों के लिए कर्ज सस्ता कीजिए
गैर बैकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए कर्ज महंगा होगा तो छोटे बिजनेस और कर्जदारों पर इसका बुरा असर पड़ेगा. बैंक के मुकाबले गैर बैंकिग संस्थानों को फंड के मामले में सौतेले रवैये का शिकार होना पड़ता है.
रिजर्व बैंक जब रेट में बढ़ोतरी करता है तो बैंकों की तुलना में गैर बैंकिंग संस्थानों के लिए फंड की लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.
ऐसे में सरकार की तरफ से उम्मीद है कि वो लेवल प्लेइंग फील्ड देने के लिए कोई रोडमैप सामने ला सकती है क्योंकि समय समय पर प्रधानमंत्री ने भी छोटी इंडस्ट्री को आसान कर्ज देने की वकालत की है.
इस सेक्टर से करीबी तौर पर जुड़े होने के नाते हमें भरोसा है कि सस्ती और लगातार फंडिंग मिले तो गैर वित्तीय संस्थान इंडस्ट्री को बढ़ाने में बहुत मदद कर सकते हैं.
सरकार क्या मदद कर सकती है?
1. गैर वित्तीय संस्थानों के लिए फंड सुनिश्चित करने के लिए कोई नियम लाए जा सकते हैं.
2. रिजर्व बैंक और सरकार के बीच नकदी को लेकर नियमित बैठकों हों तो मुश्किल का फटाफट निपटारा हो सकता है.
3. गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के कर्ज की ग्रोथ के हिसाब से उन्हें नकदी मुहैया करने के बारे में कोई फॉर्मूला भी बनाया जा सकता है.
4. गैर बैंकिंग संस्थानों के लिए इनकम टैक्स की धारा 43D का फायदा देने पर विचार किया जा सकता है. हालांकि इसके लिए सरकार को दोनों रेगुलेटर रिजर्व बैंक और नेशनल हाउसिंग बैंक से भी चर्चा करके सहमति बनानी होगी.
5. नकदी की कमी को दूर करने के लिए बजट में आबंटन किया जा सकता है. इसका एक तरीका ये भी है कि LIC और पेंशन फंड के लिए गैर बैंकिंग संस्थानों को कर्ज देने की लिमिट बढ़ा दी जाए.
कुल मिलाकर सरकार के पास कई विकल्प हैं जिनसे बजट के जरिए गैर बैंकिंग संस्थानों को मदद दी जा सकती है. ऐसा हुआ तो छोटी मझौली इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ा तोहफा होगा.
(लेखक- सत्यम कुमार, लोनटैप फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज के सीईओ और को-फाउंडर हैं.)
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