उम्मीद क्या थी?
- सैलरीड क्लास को फायदा मिलेगा- टैक्स स्लैब में बदलाव या कुछ नई टैक्स छूट
- कोई नया टैक्स नहीं लगाया जाएगा
- कमाई के रास्ते में कोई छेड़छाड़ नहीं होगी
मिला क्या?
- टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं
- स्टैंडर्ड डिडक्शन मिल गया, लेकिन कन्वेयंस और मेडिकल की छूट गई
- सीनियर सिटीजन को बैंक डिपॉजिट और पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट पर छूट मिली
- शेयर बाजार में निवेश पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG), इक्विटी म्यूचुअल फंड पर 10 परसेंट का डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT)
- 3 के बदले 4 परसेंट का हेल्थ और एजुकेशन सेस
बजट और मिडिल क्लास
अरुण जेटली ने अपने पांचवे बजट में मिडिल क्लास के कई उम्मीदों पर पानी फेर दिया. पिछले कुछ दिनों से लगातार ये चर्चा चल रही थी कि ये मोदी सरकार का 2019 के चुनाव के पहले का आखिरी बजट है और इस बजट में सरकार सबको खुश करने की कोशिश करेगी. लेकिन ज्यादा फोकस किसानों और मिडिल क्लास पर रहेगा.
तमाम जानकार ये कह रहे थे कि मिडिल क्लास को खुश करने के लिए सरकार टैक्स स्लैब में फेरबदल करेगी. इनकम टैक्स में छूट की न्यूनतम सीमा तीन लाख या पांच लाख रुपये करने से लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं. जानकारों के बार-बार कहने पर मिडिल क्लास को भी भरोसा हो चला था कि कुछ न कुछ अच्छी खबर तो जरूर मिलेगी. लेकिन वित्तमंत्री ने इनकम टैक्स की दरों में कोई बदलाव न करके इस भरोसे पर पानी फेर दिया.
नौकरी पेशा लोगों को खुश करने के लिए 40,000 रुपये तक के स्टैंडर्ड डिडक्शन का ऐलान जरूर किया गया, लेकिन दूसरी तरफ मेडिकल और कन्वेयंस के रीइम्बर्समेंट की सुविधाएं छीन ली. या यूं मान लीजिए कि इन दोनों रीइम्बर्समेंट की सीमा 40,000 हो गई और आपको कोई डिडक्शन नहीं मिला. गणित के हिसाब से देखें, तो कुल मिलाकर पांच से साढ़े पांच हजार रुपये तक का फायदा दिया गया. यानी खोदा पहाड़ निकली चुहिया.
बुजुर्ग लोगों के लिए कुछ कदम जरूर उठाए गए हैं, जैसे हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम की सीमा 30,000 रुपये से बढ़ा कर 50,000 रुपये, बैंक एफडी और पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट आदि पर मिलने वाले ब्याज पर छूट की सीमा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है. लेकिन दूसरी तरफ इनकम टैक्स देने वालों के लिए सरकार ने एजुकेशन और हेल्थ सेस 3 परसेंट से बढ़ाकर 4 परसेंट कर दिया है.
शहरी मिडिल क्लास ने पिछले कुछ समय में निवेश और कमाई के लिए म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार का रास्ता पकड़ना शुरू किया था. वित्तमंत्री ने उस रास्ते पर भी आज एक स्पीड ब्रेकर लगा दिया.
अभी तक शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में एक साल तक के निवेश के बाद होने वाली कमाई पर टैक्स नहीं लगता था. लेकिन वित्तमंत्री ने बजट में ऐलान किया कि अब शेयर बाजार से जुड़े निवेश की कमाई पर 10 परसेंट की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगेगा. यही नहीं इक्विटी म्यूचुअल फंड की कमाई पर 10 परसेंट का डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) लगा दिया गया है.
हालांकि ये टैक्स म्यूचुअल फंड कंपनी देगी, लेकिन कमाई आपकी कम होगी. मान लीजिए कि पहले आपको 100 रुपये डिविडेंड मिलता था, अब वो 90 रुपये हो जाएगा.
तो कुल मिलाकर इस बजट में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे आपकी जिंदगी में कोई बड़ा बदलाव आ जाए. हां, अगर आप शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में पैसे लगाते हैं, तो आपकी कमाई थोड़ी कम जरूर हो जाएगी.
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