भारतीय सेना ने 28 और 29 सितंबर की रात हुए सर्जिकल स्ट्राइक की वीडियो फुटेज सरकार को सौंप दी है. वीडियो को दुनिया के सामने लाने का फैसला अब मोदी सरकार को करना है.
लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक के फर्जी होने के पाकिस्तान के दावे के बावजूद सरकार ने फुटेज को रिलीज न करने का फैसला किया है.
माना जा रहा है वीडियो फुटेज तकरीबन 90 मिनट से ज्यादा की है. भारत की ओर से टेरर पैड्स पर की गई सातों सर्जिकल स्ट्राइक इस वीडियो में कैद हैं. हर स्ट्राइक का वीडियो 15 मिनट के आसपास का बताया जा रहा है.
वीडियो में बखूबी दिखाया गया है कि किस तरह कमांडो पेट के बल रेंगते हुए पहले से तय टार्गेट्स पर पहुंचे, किस तरह एक साथ उन्होंने हमला किया. सातों पैरा कमांडो यूनिट्स को आग लगाने वाले हथियारों का इस्तेमाल करने का आदेश दिया गया था ( जैसे को तैसा की तर्ज पर, उरी हमले के दौरान आतंकियों ने पहली बार आग लगाने वाले हथियारों का इस्तेमाल किया था).
बताया जा रहा कि सातों पैरा कमांडो यूनिट्स को 3 बजकर 13 मिनट पर हमला करने का आदेश दिया गया था, ताकि आतंकी एक-दूसरे को सतर्क न कर पाएं.
इस सब के बावजूद मोदी सरकार ने वीडियो को रिलीज न करने का फैसला किया है, चाहे पाकिस्तान की ओर से सर्जिकल स्ट्राइक की विश्वसनीयता पर कितना भी सवाल क्यों न उठाया जाए.
मोदी सरकार द्वारा वीडियो रिलीज न करने के पीछे ये कारण हैं:
1. वीडियो से दुश्मनों को भारतीय सेना के कवर्ट अॉपरेशन्स करने के तरीकों के बारे में पता लग जाएगा. इससे भविष्य में सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक करना बहुत मुश्किल हो जाएगा.
2. ऐसा करने से दुश्मन को भारतीय सेना के मिशन टार्गेट्स की पोजिशन पता चल जाती.
3. किसी भी बड़े देश ने अभी तक इस तरह के मिशन की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है. अमेरिका ने भी 2 मई, 2011 को ओसामा पर किए गए अॉपरेशन की डिटेल जारी नहीं की है. उस अॉपरेशन के पहले हमेशा पाकिस्तान लादेन के अपनी जमीन पर न होने के दावा करता था.
पाकिस्तान द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक को झूठा बताया जाना भी लादेन के पाक की जमीन पर न होने के दावे की तरह लिया जाना चाहिए.
बिन लादेन दुनियाभर में अपने वीडियो मैसेज जारी कर डर फैलाने की कोशिश किया करता था. ऐसे ही एक वीडियो के लिए बिन लादेन ने आउटडोर शूटिंग की. अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने वीडियो में दिखने वाली लादेन के पीछे की एक चट्टान का बारीकी से विश्लेषण किया. चट्टान के भौगोलिक विश्लेषण से पता चला कि वैसी चट्टानें नूरिस्तान में पाई जाती हैं, जो अफगानिस्तान के पूर्वी भाग में स्थित है.
बिन लादेन को जल्द ही अपनी गलती समझ आ गई. इसके बाद बिन लादेन ने हमेशा अपने वीडियो चारदीवारी के अंदर बनाए, कहानी की सीख बड़ी सीधी है कि वीडियो फुटेज की बारीकी से जांच हो सकती है.
इसलिए मोदी सरकार ने तमाम दवाबों के बावजूद वीडियो का रत्तीभर हिस्सा जारी नहीं किया है. एक समाधान ये हो सकता है कि मोदी सरकार सभी पार्टियों के नेताओं की बैठक बुलाए और उन्हें वीडियो का एक हिस्सा दिखाए.
(राजीव शर्मा स्वतंत्र पत्रकार हैं और रणनीतिक मामलों के विश्लेषक हैं. उनका ट्विटर हैंडल है @Kishkindha. इस आलेख में प्रकाशित विचार उनके अपने हैं. आलेख के विचारों में क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
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