उम्र 23 साल, ग्रैमी अवॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं, ट्विटर पर 9 करोड़ 34 लाख 41 हजार 977 फॉलोअर हैं. फोर्ब्स उन्हें तीन बार दुनिया की सबसे पावरफुल सेलिब्रिटी की लिस्ट में रख चुका है... फिर भी नाम तो जस्टिन बीबर ही रहा ना ,या सिकंदर हो गया!
बीबर 10 मई को मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में कॉन्सर्ट कर रहे हैं. लेकिन लग रहा है जैसे पूरा भारत ही लूट ले जाएंगे. कनाडा के रहने वाले बीबर को इतना तो सोचना चाहिए था कि हमारे यहां से हर साल इतने सारे पंजाबी भाई जाते हैं कनाडा, कभी तिनका भर भी डिमांड किया उन्होंने. कम से कम उसी भाईचारे की लाज रखते और अपनी बनाई लिस्ट को देखते.
पहली बार भारत आ रहे हैं, तो इसका मतलब क्या? जनरल नाॅलेज दुरुस्त कर लेते. हमारे यहां के भी होटल्स विश्वस्तरीय होते हैं. इनसे पहले माइकल जैक्सन, ओपेरा जैसे इंटरनेशनल स्टार हमारे यहां शिरकत कर चुके हैं.
टेबल टेनिस खेलने वाली टेबल, प्ले स्टेशन, आईओ हॉक, सोफा सेट, वॉशिंग मशीन, फ्रिज और मसाज टेबल लेकर आ रहे हैं. इन गैरजरूरी चीजों को ढोकर लाने की क्या जरुरत थी? विश लिस्ट के मुताबिक उन्हें बैकस्टेज जकूजी भी चाहिए. होटल में कुल 13 कमरे बुक किए जाएं, सुरक्षा कारणों से एक नहीं, बल्कि दो फाइव स्टार होटल बुक किए जाएं, ड्रेसिंग रूम के सभी पर्दे सफेद हों, कमरे में कांच का फ्रिज हो, इर्द-गिर्द कहीं भी लिली के फूल नहीं होने चाहिए.
हम इंडिया वाले भी गजब हैं. बीबर की लिस्ट देखकर नहीं समझ पा रहे कि उसे हम कितने दीन-हीन लगते हैं कि फ्रिज और वॉशिंग मशीन मुहैया न करा सकें. जबकि हम शो के लिए 76,000 का टिकट खरीदने को तैयार हैं.
मेहमाननवाजी में तो हमसे ज्यादा अमीर कोई नहीं. खैर फिर भी हम हर नखरे उठाने को तैयार हैं. यहां तक कि सलमान भाई ने अपने बॉडीगार्ड शेरा को पूरी तरह बीबर की सुरक्षा के लिए ड्यूटी पर लगा दिया है.
शो के ऑर्गेनाइजर व्हाइट फॉक्स इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर अरुण जैन का कहना है कि जस्टिन बीबर सिर्फ एक चार्ट टॉपिंग आर्टिस्ट ही नहीं हैं, बल्कि वे एक बहुत बड़े स्टार हैं, जिनकी डिमांड बहुत ज्यादा है.
बात में दम तो है!
एक समय बीबर के साथ सेल्फी लेने की कीमत थी 2000 डॉलर!
काफी कम उम्र में बीबर ने शोहरत कमाई है. पांच साल पहले तक कई लोगों ने उनका नाम तो सुना था, पर सुनकर भी अनसुना करने वाली बात थी. लेकिन देखते ही देखते कनाडा में 1994 में पैदा हुआ ये सिंगर दुनियाभर में छा गया.
जस्टिन बीबर को सही मायने में डिजिटल मीडिया की सक्सेस स्टोरी कहा जा सकता है. 2008 में उनके कुछ यूट्यूब वीडियोज के जरिए एक टैलेंट मैनेजर ने उन्हें ढूंढा था. 2010 तक उनकी स्टूडियो एल्बम रिलीज हो गई और वो स्टार बन गए.
जस्टिन अपनी आवाज को पहचान दिलाने के लिए मॉल्स और रोड पर गाने की बजाय रेडियो स्टेशनों के चक्कर काटते थे. उन्होंने करीब-करीब हर रेडियो स्टेशन का दरवाजा खटखटाया और ऐसा एक बार नहीं, बल्कि लगातार तब तक करते रहे, जब तक उन्हें सफलता नहीं मिली. आखिरकार जस्टिन को अपनी आवाज सुनाने का मौका मिला.
उनके टैलेंट को तो हम सलाम करते हैं. लेकिन उनका सयानापन हमें नहीं भा रहा! हालांकि उम्मीद करते हैं कि भारत में उन्हें ऐसी मेजबानी मिले जिससे उनकी गलतफहमी दूर हो जाये, साथ ही अगली बार जब वो आए तो डेली यूज का जरूरी सामान ही लाए ना कि टेबल, कुर्सी!
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