लोगों के लिए भले ही ताजमहल मोहब्बत की निशानी हो, दुनिया का सातवां अजूबा हो, लेकिन हमारे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को शायद ताजमहल कुछ खास पसंद नहीं है. तभी तो यूपी के टूरिज्म बुकलेट में ताजमहल को जगह तक नहीं मिली.
सवाल ये उठ रहे हैं कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार का ऐसा रवैया क्यों है. मुझे तो लगता है ये दिल का मामला है. अब योगी जी ठहरे ब्रह्मचारी, तो भला उनको प्यार की निशानी से क्या लेना-देना. और मामला उसूल का भी तो है.
प्रेमी-प्रेमिका जिस ताजमहल की कसमें खाते हैं. हर प्रेमिका की तमन्ना रहती है अगर ताजमहल ना बना तो एक रेप्लिका तो हो ही. एक बार प्यार के बहाने आगरा का सैर भी हो जाए. लेकिन योगी जी को इन नखरे और लाड़-प्यार के बहानों से क्या लेना. वो तो प्यार-मोहब्बत से कोसों दूर भागते हैं. इसीलिए उन्होंने सवाल उठाए कि आखिर लोग ताजमहल की रेप्लिका क्यों गिफ्ट में देते हैं. उनका तो ये भी मानना है कि ताजमहल महज एक इमारत है, ये भारत की संस्कृति का हिस्सा नहीं है. रेप्लिका का क्या काम. गिप्ट गीता-रामायण की प्रति क्यों नहीं हो सकता है.
जब योगी ने लगाया प्यार पर पहरा
मोहब्बत से तौबा करने में योगी जी पूरी तरह से कंसिसटेंट हैं. अब एंटी रोमियो स्क्वॉड को ही ले लीजिए. एंटी रोमियो मुहिम एंटी मोहब्बत मुहिम बन गई. योगी जी ने प्यार पर ऐसा पहरा लगाया कि प्रेमी-प्रेमिका का मिलना बंद हो गया. पार्क हो, मॉल हो या शॉपिंग कॉम्पलेक्स हर जगह से प्रेमी जोड़ों को पुलिस पकड़ने लगी.
यूपी के मनचलों को पकड़ने के चक्कर में योगी जी की सरकार में बेचारा रोमियो ही बदनाम हो गया. जिस रोमियो-जुलिएट के प्यार की प्रेमी कसमें खाते थे, उस रोमियो का नाम लेने से प्रेमी डरने लगे. लेकिन गौर फरमाने पर पता चलेगा कि रोमियो का नाम लेना अपनी संस्कृति का हिस्सा है भी नहीं. तो हैं ना योगी जी कंसिसटेंट.
लव जेहाद का मुद्दा भी तो उसी तौबा का हिस्सा है ना
ताजमहल को नहीं शामिल किए जाने पर हाय-तौबा करने वालों जरा फ्लैशबैक में जाकर देखें तो पता चल जाएगा कि योगी जी को प्यार-व्यार के लफड़े वाला इह लोक वाला काम पसंद ही नहीं है. उस पर से अलग धर्म-जाति वाला प्यार. हाय राम. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान योगी जी ने लव जेहाद का मुद्दा खूब उछाला था. योगी जी का मानना है कि लव जेहाद अंतरराष्ट्रीय साजिश है. उन्होंने कई बार ये बयान दिया था कि हिंदू लड़कियों और मुस्लिम लड़कियों की शादी कोई प्यार का मामला नहीं बल्कि साजिश है. एक चैनल को दिए इंटरव्यू ने खुद योगी ने कहा था कि ये प्यार नहीं छल है.
लॉजिक समझिए. प्यार से दूरी तो अलग-अलग धर्मों के लोगों के बीच प्रेम से तो महा दूरी होगी ही ना.
ताजमहल के दीदार का ख्वाब भारत आने वाले विदेशियों को भी होता है. चाहे वह राष्ट्राध्यक्ष हो, खिलाड़ी हो, या किसी राजघराने से ताल्लुक रखते हैं. हर साल ताजमहल से 20 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई तो टिकट बिक्री से होती है. इसके अलावा आगरा अर्थव्यवस्था में भी ताजमहल का बड़ा योगदान है. ये सब चलता रहेगा और योगी जी को कोई ऐतराज नहीं होगा. लेकिन अरे यार ताजमहल का प्यार कनेक्शन तो तोड़ो.
योगी जी योगी के टूरिस्ट प्लेस की बुकलेट में गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर को जगह दी गई है. अब योगी जी ठहरे यहां के महंत, ये तो होना ही था. प्यार से तो स्वर्ग मिलेगा नहीं. वो तो जप-तप से ही मिलेगा. सो मंदिर में मथ्था तो टेकना ही पड़ेगा ना.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)