कतर मिडिल ईस्ट का पहला ऐसा देश हैं जहां वर्ल्डकप फुटबॉल का आयोजन होना है. साल 2010 के बाद से ही कतर फीफा वर्ल्ड कप की तैयारियों में जुटा हुआ है. ऐसे में चार अरब देशों का कतर से राजनयिक संबंध तोड़ लेना मिडिल ईस्ट के इस देश के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. इन देशों ने कतर पर आतंकवाद को सहयोग देने और उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है.
अब सऊदी अरब, बहरीन, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का कतर से हर तरह संबंध तोड़ने के बाद फीफा वर्ल्ड कप-2022 पर कैसे पड़ेगा असर डालते हैं एक नजर-
तेज रफ्तार तैयारियों में ‘स्पीड ब्रेकर’
हाल ही में फीफा वर्ल्ड कप-2022 के लिए कतर ने अपना पहला स्टेडियम- खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम तैयार कर लिया था. तैयारियां ऐसी की, आयोजन के 5 साल पहले ही हर सुविधाओं वाला 580 करोड़ का स्टेडियम तैयार खड़ा हो गया.
इस दौरान एशिया के कई देशों के हजारों मजदूरों के शोषण की खबरें आईं. वर्ल्ड कप ऑर्गनाइजिंग बॉडी की जांच में भी ये मामला सामने आया.
अब कतर पर बैन के बाद इन तैयारियों की रफ्तार पर ब्रेक लग सकता है. बहरीन ने कतर में रह रहे अपने सभी नागरिकों को वहां से लौटने के लिए 14 दिन का वक्त दिया है. कई दूसरे एशियाई और मध्य-पूर्व के देश अपने नागरिकों को वापस बुला सकते हैं.
इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा मुश्किल?
एक अनुमान के मुताबिक, कतर को फीफा वर्ल्ड कप के लिए देश में 200 अरब डॉलर का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है. सऊदी अरब, बहरीन, मिस्त्र और संयुक्त अरब अमीरात ने मित्र राष्ट्रों से भी कतर को किनारे कर देने की अपील की है. साथ ही ये भी कहा है कि कंपनियों को कतर से अपना कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर देना चाहिए.
ऐसे में तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार वाले इस देश के व्यापार पर भारी असर पड़ सकता है. बता दें कि गल्फ़ को-ऑपरेशन काउन्सिल का नेतृत्व सऊदी अरब करता है इसमें कतर समेत 6 देश शामिल हैं अब कतर पर बैन से उसके तेल और प्राकृतिक गैस के कारोबार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
सऊदी अरब पर कारोबार के लिहाज से कतर निर्भर है. अब उस पर आर्थिक प्रतिबंध की मार ज्यादा कड़ी पड़ सकती है.
इन 4 देशों ने कतर से जमीन, हवाई और समुद्री संपर्क तोड़ने का भी ऐलान किया है. ऐसा में कतर का दुनिया से संपर्क भी टूटता दिख रहा है जिसका सीधा असर फीफा-2022 की तैयारियों पर पड़ेगा
ब्रैंड इमेज को धक्का
27 लाख की आबादी वाले कतर को एक समय में काफी गरीब देश माना जाता था, लेकिन प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर इस्तेमालों की बदौलत उसने खुद को आर्थिक समृद्ध देशों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया.
इस्लामिक कट्टरवाद से संबंधों के आरोपों के बाद कई कंपनियां कतर से किनारा कर सकती हैं. ऐसे में फीफा-2022 की ब्रैंडिंग को भी धक्का पहुंच सकता है. हालांकि, फीफा ने सोमवार को एक बयान में कहा कि वो कतर की फीफा-2022 लोकल ऑर्गेनाइजिंग कमेटी के लगातार संपर्क में हैं. इस मामले में उनकी बात चल रही है.
दागदार रही है कतर की 'मेजबानी'
साल 2010 में जब कतर को फीफा की मेजबानी मिली थी. चुनाव की प्रक्रिया में कुल 22 में से 14 वोट कतर के खाते में पड़े थे. बाद में ये आरोप लगे कि कतर के पक्ष में वोट डालने के लिए फीफा की कार्यकारी समिति को पैसे दिए गए. लेकिन उन तमाम आरोपों के बाद भी कतर की मेजबानी बरकरार रखी गई.
कतर का श्रम कानून भी विवादों में रहता है. बता दें कि कतर की कुल आबादी 27 लाख है. इसमें से एक बड़ी संख्या प्रवासी मजदूरों की हैं जो रोजगार की तलाश में कतर पहुंचते हैं. यहां के कानून के मुताबिक अगर एक मजदूर किसी के अधीन काम कर रहा है तो मालिक का उस पर पूरा हक होगा. मालिक को बिना बताए वो कोई दूसरा रोजगार नहीं कर सकता ऐसा करने पर कैद और भारी जुर्माने की सजा का प्रावधान है.
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