मकर संक्रांति के मौके पर बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी पंतगबाजी करते हुए नजर आते हैं. आसमान में हर तरफ रंग-बिरंगी पंतगें छाई रहतीं हैं. मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परपंरा की वजह से इस त्योहार को पतंग पर्व भी कहते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई.
मकर संक्रांति पर पंतग उड़ाने का वर्णन रामचरित मानस के बालकांड में मिलता है. तुलसीदास ने वर्णन करते हुए लिखा है 'राम इन दिन चंग उड़ाई, इंद्रलोक में पहुंची जाई.' प्राचीनकाल से ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने पतंग उड़ाई थी, जो इंद्रलोक तक पहुंच गई थी. उस समय से वर्तमान तक पतंग उड़ाने की परंपरा चली आ रही है.
मकर संक्रांति पर काइट फेस्टिवल
भारत में मकर संक्रांति के मौके पर कई जगहों पर काइट फेस्टिवल का भी आयोजन किया जाता है. कुछ जगहों पर एंट्री फीस भी ली जाती है, तो कई जगहों पर फ्री में एंट्री मिलती है. काइट फेस्टिवल के दौरान आसमान में रंगी-बिरंगी पतंगों का नजारा बेहद खूबसूरत होता है.
यहां हो रहे काइट फेस्टिवल
मकर संक्रांति पर अहमदाबाद में 14 से 16 जनवरी तक इंटरनेशनल काइट फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. वहीं जयपुर में भी फाइट फेस्टिवल 14-16 जनवरी तक चलेगा. बेंगलुरू में फाइट फेस्टिवल 19 जनवरी और हैदराबाद में 15 जनवरी को आयोजित किया जाएगा.
15 जनवरी को क्यों है मकर संक्रांति
साल 2020 में सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की मध्य रात्रि (2 बजकर 7 मिनट) के बाद हो रहा है. ऐसे में यह त्योहार 14 जनवरी की बजाय 15 जनवरी को मनाया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि इस त्योहार पर किया गया दान फलकारी होता है.
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