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चेतन आनंद: वो लाजवाब डायरेक्टर, जिन्‍हें कभी भुलाया न जा सकेगा

1940 के दशक के दौरान चेतन आनंद ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा

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फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने डायरेक्टर-प्रोड्यूसर चेतन आनंद की 6 जुलाई को पुण्यतिथि है. चेतन आनंद ने फिल्‍म जगत को इतना कुछ दिया, जिन्‍हें कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.

चेतन बॉलीवुड एक्टर देव आनंद के बड़े भाई थे. उनकी छोटी बहन शांता कपूर फिल्म डायरेक्टर शेखर कपूर की मां हैं. साल 1949 में उन्होंने अपने भाई देव आनंद के साथ 'नवकेतन फिल्‍म्‍स' की स्थापना की.

सिनेमा में अपना करियर शुरू करने से पहले चेतन ने कुछ समय बीबीसी में काम किया और देहरादून के दून स्कूल में पढ़ाया भी. 1940 के दशक के दौरान चेतन ने फिल्मी दुनिया में कदम रखने का फैसला किया.

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आइए, चेतन आनंद की पुण्यतिथि पर उनकी कुछ यादगार फिल्मों को याद करते हैं.

नीचा नगर (1946)

1940 के दशक के दौरान चेतन आनंद ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा
चेतन आनंद की पहली फिल्म थी ‘नीचा नगर’

साल 1946 में रिलीज हुई फिल्म 'नीचा नगर' चेतन आनंद की पहली फिल्म थी. ये मैक्सिम गोर्की के समाजवादी नाटक 'द लोअर डेप्थ' पर आधारित थी. अमीरों और गरीबों के बीच विभाजन पर सामाजिक रूप से जागरूक करने वाली इस फिल्म की कान फिल्म फेस्टिवल में काफी सराहना हुई. यहां फेस्टिवल इंटरनेशनल फिल्म अवॉर्ड हासिल करके ये अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने वाली पहली भारतीय फिल्म बन गई.

लेकिन अफसोस की बात ये रही कि हमारे देश में कोई भी डिस्ट्रीब्यूटर इस फिल्म को लेने के लिए तैयार नहीं हुआ, क्योंकि इस फिल्म में सारे नए चहेरे थे. कोई भी डिस्ट्रीब्यूटर रिस्क नहीं लेना चाहता था. उसी दौरान चेतन के भाई देव आनंद एक युवा स्टार के रूप में उभर रहे थे. तब दोनों भाइयों ने फिल्म कंपनी 'नवकेतन फिल्म्स' बनाने का फैसला किया.

टैक्सी ड्राइवर (1954)

1940 के दशक के दौरान चेतन आनंद ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा
फिल्म टैक्सी चालक में देव आनंद और कल्पना कार्तिक

फिल्म 'पोस्ट बाजी' (1951) में देव आनंद की रफ टफ इमेज बनने के बाद एक दोस्त ने उन्हें 'टैक्सी ड्राइवर' पर फिल्म बनाने की सलाह दी, ताकि उनकी रफ-टफ इमेज सुधर सके. उन दिनों कुछ फ्लॉप फिल्मों ने चेतन को पहले ही उदास कर रखा था. तभी देव उनके पास टैक्सी ड्राइवर पर फिल्म बनाने का आइडिया लेकर चले गए.

आखिरकार ये फिल्म बनाई गई, लेकिन बहुत कम बजट में. अधिकतर बंबई में फिल्म की शूटिंग की गई. खास बात ये है कि ये चेतन आनंद के करियर की पहली सफल फिल्म साबित हुई.

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हकीकत (1964)

1940 के दशक के दौरान चेतन आनंद ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा
चेतन की फिल्म ‘हकीकत’ में धर्मेंद्र

ये पहली भारतीय फिल्म है जिसकी शूटिंग लद्दाख में हुई. इसमें बर्फीले और ठंडे इलाके में सैनिकों की स्थित को दिखाया गया था. चेतन आनंद ने इस फिल्म को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के लिए श्रद्धांजलि और जवानों के प्रति बलिदान के रूप में बनाया था. लाखों भारतीय सैनिकों के बलिदान को देखकर अपने आंसू रोक नहीं पाए थे. इसका गाना 'अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों' लोगों ने खूब पसंद किया.

हीर रांझा (1970)

1940 के दशक के दौरान चेतन आनंद ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा
फिल्म ‘हीर रांझा’ में राज कुमार और प्रिया राजवंश

चेतन आनंद की फिल्म 'हीर रांझा' साल 1970 में रिलीज हुई. इस फिल्म के मुख्य कलाकार राज कुमार और प्रिया राजवंश थे. इस फिल्म की खास बात ये थी कि इसमें सारे डायलॉग शायरी के अंदाज में थे. मदन मोहन ने संगीत दिया और गीतकार कैफी आजमी हैं.

(लेखक एक पत्रकार और पटकथा लेखक हैं. उनका ट्विटर हैंडल: @RanjibMazumder)

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