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(ट्रिगर चेतावनी: यौन शोषण का नॉन-ग्राफिक उल्लेख)
(यदि आप या आपका कोई परिचित संकट में है, तो कृपया उनकी ओर दया के साथ सहायता का हाथ बढ़ाएं और लोकल इमर्जेन्सी सेवाओं, हेल्पलाइन और मानसिक स्वास्थ्य NGO नंबरों पर कॉल करें.)
"हर दिन जब आप जागते हैं, तो आपका पूरा दिन आपके सामने होता है, और उस समय जो आप अनुभव कर रहे होते हैं उसे स्वीकार करना बहुत मुश्किल होता है," रुई कहती हैं.
जब किसी करीबी इंसान की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसा लगता है कि वे आप का एक टुकड़ा अपने साथ ले जाते हैं, और वे एक खाली जगह छोड़ जाते हैं, जो हमेशा आपके साथ रह जाता है. इस प्रकार रुई अपने पिता के निधन का वर्णन करती हैं.
इस वर्ल्ड मेंटल हेल्थ दिवस पर हम दुःख, स्टिग्मा और प्रियजनों को खोने से हीलिंग की कहानियां लेकर आए हैं. फिट ने एक्स्पर्ट्स से भी बात की जो दुख की साइकोलॉजी समझते हैं, और दुख से डील करने के सही तरीके बताते हैं.
महामारी के कारण, विशेष रूप से पिछले दो वर्षों में, बहुत लोगों की मौत हुई है. लाखों लोगों ने अपने प्रियजनों को वायरस या किसी संबंधित कारण से खो दिया और वे अभी भी उनका शोक मना रहे हैं.
रुई ने भी, फरवरी 2022 में, अपने पिता को खो दिया.
रुई बताती हैं, "वह डेढ़ महीने से अस्पताल में भर्ती थे."
पुणे की रहने वाली 26 वर्षीय शिक्षिका कहती हैं, ''मैं उनसे सुबह मिली और फिर मैं घर चली गयी और तभी मुझे मां का फोन आया”.
माता-पिता को खोने का दुख किसी बड़े व्यक्ति के लिए भी उतना ही कठिन हो सकता है.
57 वर्षीय गीता कहती हैं, "मेरी मां 82 साल की थीं, जब उनका निधन हो गया. उन्हें दिल की बीमारी थी...मैं बस फ्रीज कर गई, और सुन्न हो गई."
"जब आप शोक कर रहे होते हैं, तो आप न केवल उस व्यक्ति के लिए शोक करते हैं, जो गुजर गया, बल्कि अपने लिए भी शोक कर रहे होते हैं - आप उस व्यक्ति के साथ कैसे थे, और जैसा उनके बिना अब आप नहीं हो सकते", ट्रेलिस फैमिली सेंटर, मुंबई में मनोचिकित्सक डॉ रुक्शेदा सायीदा कहती हैं.
इस प्रकार का दुख किसी करीबी के मरने से, या फिर किसी रिश्ते के खत्म हो जाने से भी हो सकता है, बैंगलोर स्थित एक नैरेटिव थेरपिस्ट मोहना बैद्य कहती हैं.
"सामाजिक, भावनात्मक या वित्तीय मामले में व्यक्ति जितना आपके करीब होगा, उसे खोने का दुख उतना ही जटिल होगा."
"मेरे माता-पिता हमेशा मुझ पर नियंत्रण रखने की कोशिश करते थे और नार्सिसिस्टिक पैटर्न दर्शाते थे. मैं अपनी तरह से जीने के लिए संघर्ष कर रही थी और मुझे हमेशा एक्यूट एंग्जाइटी रहती थी."
जब उसने अपने माता-पिता को बताया कि उसके भाई ने, जो उससे 8 साल बड़ा था, बचपन में उसका यौन शोषण किया था, तो उन्होंने उस पर विश्वास नहीं किया और उसके भाई का पक्ष लिया.
"उनके रिएक्शन ने मेरा दिल तोड़ दिया. वह स्थिति भयानक थी और उससे मुझे एहसास हुआ कि केवल मैं ही खुद को बचा सकती हूं और मुझे अपने परिवार से खुद को दूर करना होगा, अगर मैं आगे बढ़ना चाहती हूं," अंबरीन कहती हैं,
हालांकि दुख कभी न कभी हम सभी की जिंदगी में आता है, कुछ स्टिग्मा हैं, जो आज भी दुख से जुड़े हैं. आपको अपना दुख अपने अंदर ही रखना है, इसे दूसरों के सामने व्यक्त नहीं करना है, जल्दी से जल्दी इससे 'बाहर’ आना है.
डॉ रुक्शेदा सायीदा कहती हैं, "दुख एक सामान्य प्रक्रिया है, इसके जरिए हम ठीक होते हैं. ऐसे समय में सबसे अच्छी चीज जो हम खुद के लिए कर सकते हैं वह यह है कि हम खुद को सब कुछ महसूस करने दें. और खुद को रोकने की कोशिश न करें,"
मोहना बैद्य कहती हैं, ''दुख की कोई समय सीमा नहीं होती. हर कोई अपने समय पर ठीक होता है.''
लेकिन अपने आप को वह आजादी देना कुछ लोगों के लिए कठिन हो सकता है.
रुई कहते हैं, "आपको यह भी महसूस होता है कि अगर आप कमजोर दिखेंगी तो लोग आपको जज करेंगे."
वह आगे कहती हैं कि, "उन भावनाओं को प्रकट करना, जिन्हें हमेशा कमजोरी की निशानी बताया गया है, अत्यंत कठिन था,"
गीता कहती हैं कि उन्होंने अपनी मां की मौत के लिए खुद को भी दोषी ठहराया, हालांकि वास्तव में वह जानती हैं कि वह उसे रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकती थीं.
गिल्ट. शर्म. फ्रस्ट्रेशन - जब आप शोक कर रहे होते हैं, तो ऐसी नकारात्मक भावनाएं हावी हो जाती हैं, क्योंकि जब घटनाएं आपके दिमाग में चल रही होती हैं, तो आपको अपने दुख और नुकसान के लिए किसी को दोषी ठहराने की जरूरत होती है, और अक्सर आप खुद हो दोष देते हैं.
"मैं गिल्टी फील करती हूं. ऐसा लगता है जैसे परिवार को तोड़ने के लिए मैं जिम्मेदार हूं. मुझे एक खालीपन महसूस होता है," अंबरीन कहती हैं.
डॉ रुक्शेदा कहती हैं कि, "सबसे जरूरी है खुद को खुद जैसा रहने दें, और जो कुछ भी महसूस कर रहे हैं उससे दूर न भागें. आप कभी-कभी उदास महसूस करेंगे, और आपको कड़वाहट, या गुस्सा भी महसूस हो सकता है. ऐसे में यह तय करने की कोशिश करना कि आपको कैसा महसूस करना चाहिए बहुत बड़ी गलती होगी जिसका बोझ आपको दुर्बल बना देगा,"
मोहना कहती हैं कि, "लोगों के पास दुख से निपटने के अपने तरीके होते हैं, और यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि उस समय भावनाओं से निपटने की उनकी क्षमता क्या है,"
"मैंने कुछ महीने पहले थेरेपी शुरू की और वह मेरे लिए एक बड़ा कदम था. बहुत लोग इसके खिलाफ थे पर फिर भी मैंने इसे जारी रखा.”
हरलीन ने यह भी बताया कि ग्रैटिट्यूड दिखाने और एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम होने से उन्हें कितनी मदद मिली.
"मेरे पास एक थेरेपिस्ट और एक मनोचिकित्सक हैं. मेरी बहन, कॉलेज की मेरी सबसे अच्छी दोस्त, मेरा पार्टनर और फ्लैटमेट्स में मेरे पास एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम है. मैं भाग्यशाली रही हूं कि मुझे जीवन में कुछ अच्छे लोग मिले. अभी मुझे और बहुत आगे जाना है और मुझे अपने आप पर बहुत गर्व है," वह कहती हैं कि,
याद रखें:
कुछ दिन या सप्ताह लें, दुख से उबरने में जल्दबाजी न करें.
जितना हो सके सामान्य स्थिति में वापस आएं, लेकिन अगर अचानक आपको किसी स्मृति या भावना का फ्लैश आता है, तो बैठ जाएं और इसे प्रोसेस करने के लिए कुछ समय दें. अपने आप को इसे महसूस करने दें.
आप भावनाओं की एक श्रृंखला से गुजरेंगे. लेकिन इससे उबरने का कोई फॉर्मूला नहीं है. आपको कब शोक करना चाहिए या कब बंद करना चाहिए, इस पर कोई निर्धारित पैटर्न, या सीमा नहीं है.
अपने आप को आगे बढ़ने दें - इसका मतलब यह नहीं है कि आप उस व्यक्ति की स्मृति को छोड़ रहे हैं, जिसके चले जाने से आपको दुख हो रहा है.
उन लोगों को खोजें जिनसे आप खुलकर बात कर सकते हैं, और वल्नरेबल होने का साहस खोजें.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आपका कोई करीबी दुखी है और आप उसकी मदद करना चाहते हैं, तो पता करें कि उन्हें क्या चाहिए, न कि आपको क्या लगता है कि उन्हें क्या करना चाहिए.
"कभी-कभी अगर सहायता करने की कोशिश करते हुए यह कहते हैं, 'ओह, आपको डरना नहीं चाहिए, चलो काम पर वापस चलते हैं, चलो बाहर चलते हैं', तो सामने वाले को यह बहुत कठोर लग सकता है."
"हमें लोगों को रहने देना चाहिए, लेकिन अगर आपका कोई प्रिय व्यक्ति है, जो आपको पता है कि लंबे समय से दुखी है, तो उनकी मदद करने के लिए सहानुभूतिपूर्ण बनें और उन्हें पेशेवर मदद पाने के लिए प्रोत्साहित करें," डॉ रुक्शेदा कहती हैं.
"एक बार जब आपने किसी को खो दिया है, तो आप भी बदल जाते हैं. अब आपको यह तय करना होगा कि आप कौन बनना चाहते हैं. थोड़े पुनर्विचार की आवश्यकता होगी. जो सही है और स्वस्थ भी है," वह आगे कहती हैं.
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