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ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi Masjid) से जुड़े फेक दावों से लेकर प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के उस भ्रामक फैक्ट चेक तक जिसमें महंगाई को लेकर वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट को ही गलत बता दिया गया. असम (Assam) में मानसून पूर्व आई बाढ़ और कांग्रेस (Congress) के चिंतन शिविर से जुड़े झूठे दावे. इस हफ्ते सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम झूठे दावों की पड़ताल हमने की. डालते हैं उन पर एक नजर.
पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसे ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे हालिया विवाद से जोड़कर शेयर किया जा रहा है. वीडियो में पीएम कहते दिख रहे हैं, ''यहां भी खुदा वहां भी खुदा. और जहां नहीं खुदा है वहां कल खुदेगा''.
पड़ताल में हमने पाया कि वायरल हो रहा ये वीडियो असल में साल 2017 का है. तब पीएम मोदी ने यूपी विधानसभा चुनाव की रैली में अखिलेश सरकार पर निशाना साधते हुए ये बात कही थी. पीएम मोदी ने ये बात अखिलेश सरकार में खराब सड़कों का आरोप लगाते हुए कही थी. इसका मंदिर-मस्जिद विवाद से कोई संबंध नहीं.
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भगवान शिव के वाहन नंदी की एक फोटो सोशल मीडिया पर शेयर कर दावा किया गया कि ये फोटो वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर की है.
दावे में ये भी कहा गया है कि नंदी की मूर्ति का चेहरा ज्ञानवापी मस्जिद के सामने है. साथ ही उस दावे पर भी जोर दिया गया जिसके मुताबिक 17वीं सदी में विश्वेश्वर मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद का निर्माण किया गया था.
हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि ये फोटो महाराष्ट्र के वाई में स्थित काशी विश्वेश्वर मंदिर की है, न कि वाराणसी में मौजूद काशी विश्वनाथ मंदिर की.
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केंद्र सरकार की एजेंसी प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के फैक्ट चेक ट्विटर हैंडल से 15 मई को हुए ट्वीट में कहा कि वित्त मंत्रालय के हवाले से शेयर किया जा रहा ये बयान सही नहीं है कि ''2022 में महंगाई का असर गरीबों से ज्यादा अमीरों पर होगा''.
PIB फैक्ट चेक की तरफ से सीधे तौर पर ये कहा गया कि वित्त मंत्रालय की तरफ से महंगाई को लेकर ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया है.
हालांकि, PIB ने अप्रैल 2022 में जारी हुई मंथली इकोनॉममिक रिव्यू (MER) को नजरअंदाज कर दिया, जिसमें यही दावा किया गया था. MER को वित्त मंत्रालय के अंतर्गत ही काम करने वाले विभाग डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (DEA) की तरफ से जारी किया जाता है.
इस दस्तावेज के मुताबिक, "खपत को लेकर दिख रहा पैटर्न इस बात का सुबूत है कि भारत में महंगाई का कम आय वालों पर काफी कम और अधिक आय वालों पर ज्यादा असर होगा.''
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असम में आई बाढ़ का बताकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया गया, जिसमें एक पुल पानी के तेज बहाव में टूटता नजर आ रहा है. दावा किया गया कि ये वीडियो असम का है. ये वीडियो Aaj Tak और TV9 और Asianet News जैसे कई न्यूज चैनलों ने भी असम का बताकर चलाया है.
हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि ये वीडियो पिछले साल का है, जो इंडोनेशिया में कंबनिरु नदी पर बने पुल को ढहता हुआ दिखाता है. इसका असम में हाल में आई बाढ़ से कोई संबंध नहीं है.
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राजस्थान के उदयपुर में इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) के तीन दिवसीय चिंतन शिविर की एक फोटो सोशल मीडिया पर शेयर कर दावा किया गया कि पार्टी ने इवेंट में पाकिस्तान के झंडे में इस्तेमाल किए जाने वाले रंगों, हरे और सफेद रंग की सीलिंग का इस्तेमाल कर शिविर वाली जगह की छत बनाई थी. यूजर्स ने ये भी लिखा कि फर्श पर जो बिछाए गए कालीन भगवा रंग के थे.
हमारी पड़ताल में ये दावा झूठा निकला. कांग्रेस के अकाउंट से शेयर की गई दूसरी तस्वीरों से पता चलता है कि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में इस्तेमाल होने वाले तीनों रंगों वाले कपड़ों की छत बनाई गई थी, न कि सिर्फ सफेद और हरे रंग की जैसा कि दावा किया जा रहा है.
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