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राइट विंग न्यूज चैनल सुदर्शन न्यूज ने हल्दीराम के फूड प्रोडक्ट के पैकेट में 'उर्दू' लिखे होने और उसे एक साजिश बताने से जुड़ा दावा किया गया. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मिर्जापुर में एक ही समुदाय के लोगों के बीच हुई मारपीट का वीडियो इस गलत दावे से शेयर किया गया कि मुस्लिमों ने हिंदू महिला को मारा.
कभी फर्जी ट्वीट कर ये दावा किया गया कि दारुल उलूम ने मुस्लिमों से कहा है कि खाने की चीजों में केमिकल मिलाकर बेचें, तो कभी The New York Times के नाम पर एक नकली स्क्रीनशॉट शेयर कर गुजरात में AAP की रैली में 25 करोड़ लोगों के शामिल होने का भी दावा किया गया.
इस हफ्ते सोशल मीडिया पर ऐसी कई भ्रामक और गलत जानकारी शेयर की गईं, जिनकी पड़ताल कर हमने उनका सच आपको बताया. आइए डालते हैं ऐसे ही खबरों पर एक नजर.
राइट विंग चैनल सुदर्शन न्यूज के एडिटर इन चीफ सुरेश चव्हाणके ने एक नए विवाद को जन्म देते हुए हल्दीराम के एक फलाहारी प्रोडक्ट को लेकर कुछ गंभीर आरोप लगाए. सुदर्शन चैनल की एक रिपोर्टर दिल्ली स्थित हल्दीराम के आउटलेट में गईं और कर्मचारियों से बात करते हुए आरोप लगाया कि कंपनी उर्दू में टेक्स्ट लिखकर कुछ छुपा रही है.
हालांकि, ये एक स्टैंडर्ड प्रैक्टिस है, जिसका पालन वो सभी कंपनियां करती हैं जो पश्चिम एशियाई देशों में अपना सामान निर्यात करती हैं. इसके अलावा, पैकेट पर सामग्री के बारे में जो जानकारी दी गई थी, वो उर्दू नहीं बल्कि अरबी में थी. साथ ही, ये जानकारी इंग्लिश में भी दी गई थी.
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एक वायरल वीडियो में एक शख्स लोहे की रॉड से महिला को पीटता नजर आ रहा है. वीडियो शेयर कर दावा किया गया कि मिर्जापुर में मुस्लिम शख्स ने कूड़ा फेंकने से जुड़े विवाद में हिंदू महिला को पीटा.
पड़ताल में ये दावा भ्रामक निकला. पहला तो ये वीडियो हाल का नहीं, बल्कि जनवरी 2022 का है और दूसरा मिर्जापुर पुलिस ने पुष्टि की है कि ये मामला सांप्रदायिक नहीं है और दोनों पक्ष मुस्लिम समुदाय से हैं.
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सोशल मीडिया पर The New York Times का एक स्क्रीनशॉट वायरल हुआ, जिसके मुताबिक, गुजरात में आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की रैली में 25 करोड़ लोग शामिल हुए.
हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि The New York Times ने ऐसी कोई खबर 2 अप्रैल को प्रकाशित ही नहीं की. इसके अलावा, न्यूजपेपर ने एक ट्वीट कर इस दावे को झूठा भी बताया है. वायरल स्क्रीनशॉट एडिट करके बनाया गया है.
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सोशल मीडिया पर एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर कर दावा किया गया कि उत्तर प्रदेश के देवबंद में दारुल उलूम मदरसे ने एक फतवा जारी किया है जिसमें मुस्लिमों से कहा गया है कि वो हिंदू समुदाय के लोगों को बीमार करने के लिए, खाने की चीजों में केमिकल मिलाकर बेचें.
हालांकि, हमने पाया कि ये स्क्रीनशॉट एक फर्जी ट्विटर अकाउंट से पोस्ट किया गया था, जिसे ट्विटर ने सस्पेंड कर दिया है. ये स्क्रीनशॉट 2020 से वायरल होता रहा है, जिसकी पड़ताल पहले भी की जा चुकी है. दावे से जुड़ी न्यूज रिपोर्ट्स खोजने पर, हमें हिंदी वेबसाइटों पर मार्च 2020 में प्रकाशित कई आर्टिकल मिले, जिनमें बताया गया था कि संस्थान ने इस गलत सूचना से जुड़ी शिकायत दर्ज कराई थी.
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एक वायरल में बुर्का (Burqa) पहनी एक महिला भगवा कपड़ों में एक बुजुर्ग को जूस के ठेले से जूस लेकर देती देखी जा सकती है. इसे वीडियो को असली घटना का बताकर ये दावा गया कि महिला दूसरे धर्म से होने के बावजूद एक साधु के ऊपर दया दिखा रही है.
हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि वीडियो स्क्रिप्टेड है. इसे सबसे पहले एक ऐसे फेसबुक पेज पर शेयर किया गया था, जिसमें ''स्क्रिप्टेड ड्रामा और पैरोडी'' देखे जा सकते हैं. ये वीडियो असली घटना का नहीं है.
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