Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Webqoof Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोरोना वैक्सीन में Bluetooth चिप, मक्का में शिवलिंग? ऐसे तमाम झूठे दावों का सच

कोरोना वैक्सीन में Bluetooth चिप, मक्का में शिवलिंग? ऐसे तमाम झूठे दावों का सच

इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए दावे और उनका सच

टीम वेबकूफ
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>इस हफ्ते वायरल हुए भ्रामक दावों का सच&nbsp;</p></div>
i

इस हफ्ते वायरल हुए भ्रामक दावों का सच 

फोटो : Altered by Quint

advertisement

सोशल मीडिया पर इस हफ्ते भी कोरोना और वैक्सीन को लेकर फैल रही अफवाहों का सिलसिला जारी रहा. कोरोना की लहर का कनेक्शन किसी ने सूर्यग्रहण से बताया, तो किसी ने दावा किया कि वैक्सीन लगवाने वाले इंसान को ब्लूटूथ से ट्रैक किया जा सकता है.

इन सभी बेबुनियाद दावों के बीच कुछ सदियों से चली आ रही अफवाहों ने भी इस हफ्ते दोबारा सिर उठाया. मसलन ये दावा कि मक्का - मदीना में शिवलिंग है. सालों पुरानी एक तस्वीर को हाल में ये कहकर भी शेयर किया गया कि भारत को बर्बाद करने के लिए 'मुस्लिम आर्मी' की स्थापना की गई है. क्विंट की वेबकूफ टीम ने सभी दावों की पड़ताल की. एक नजर में जानिए सभी का सच.

1. सूर्य ग्रहण की वजह से आ रही कोरोना की लहर?

एक ज्योतिषी खगेश्वर गोस्वामी को ये दावा है कि कोविड-19 की लहर 10 जून को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण की वजह से आई है. ये दावा करते हुए गोस्वामी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

पोस्ट का अर्काइव यहां देखें 

साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण गुरुवार 10 जून को हुआ. सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है. चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है. और सूर्य के चारों ओर रिंग जैसी आकृति दिखती है. इसे रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है.

कोरोना महामारी से निपटने के लिए बने वैज्ञानिकों के संगठन ISRC के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने पिछले साल ही इस दावे को खारिज कर कहा था, ''सूर्य ग्रहण से पृथ्वी पर किसी भी वायरस या सूक्ष्म जीव पर असर नहीं पड़ता है.''

NASA की ओर से भी ग्रहण से जुड़ी भ्रांतियों को लेकर एक लिस्ट जारी की गई है. इसमें बताया गया है कि इसका कोई प्रमाण नहीं है कि ग्रहण का मनुष्यों पर कोई शारीरिक प्रभाव पड़ता है

पूरी पड़ताल यहां दे्खें

2. टोक्यो ओलंपिक के मेडल पर लिखा है 'स्वयंसेवक'?

दावा किया जा रहा है कि 2020 टोक्यो ओलंपिक में वॉलंटियर्स को जो मेडल दिए जाएंगे उसमें हिंदी में 'स्वयंसेवक' भी लिखा हुआ है. दावे के साथ एक मेडल की फोटो भी वायरल है. जिसमें 'स्वयंसेवक' लिखा देखा जा सकता है.

पोस्ट का अर्काइव देखने के लिए हां क्लिक करें 

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)

वायरल फोटो में लिखे शब्दों से संकेत लेकर, हमने Google पर 'olympic tokyo 2020 benevole volunteer' कीवर्ड का इस्तेमाल करके सर्च किया. हमें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ईबे की वेबसाइट पर ये फोटो मिली. यानी ये वेबसाइट पर बेंचा जा रहा एक प्रोडक्ट है.

ईबे की वेबसाइट पर मिली फोटो

(फोटो: स्क्रीनशॉट/ईबे)

टोक्यो 2020 की ओर से घोषित आधिकारिक मेडल वायरल फोटो में दिख रहे मेडल से काफी अलग है.

टोक्यो 2020 के मेडल की एक फोटो

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/वेबसाइट)

पूरी पड़ताल यहां देखें

3. मोदी-शाह को जय-वीरू बताता ये शख्स असम CM नहीं

दावा किया जा रहा है कि वीडियो में दिख रहे शख्स असम के सीएम हैं, जो शोले के पात्रों की तुलना पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जैसे राजनेताओं से कर रहे हैं. असल में ये वीडियो असम सीएम का नहीं बल्कि प्रोफेशनल स्पीकर गौरव प्रधान का है.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

वीडियो वेरिफिकेशन टूल InVID का इस्तेमाल करके, हमने वीडियो को की कीफ्रेम में बांटा और उनमें से हर एक फ्रेम को रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. हमें 3 मई का एक ट्वीट मिला, जिसमें वायरल वीडियो का बड़ा वर्जन देखा जा सकता है. और स्पीकर की पहचान गौरव प्रधान के रूप में की गई है.

गौरव प्रधान के यूट्यूब चैनल पर भी एक वीडियो मिला जिसे 12 अप्रैल को अपलोड किया गया था. इसका शीर्षक है: ‘समर्थ भारत मंच द्वारा नासिक में आयोजित बदलते भारत्त में हिंदुत्व का बढ़ता दाइत्व’.नीचे गौरव प्रधान और हिमंता बिस्वा सरमा की फोटो की तुलना भी आप देख सकते हैं.

बाएं हिमंता बिस्वा सरमा, दाएं गौरव प्रधान

(फोटो: Altered by The Quint)

पूरी पड़ताल यहां देखें

4. कोविड-19 वैक्सीन में Bluetooth चिप होने का दावा गलत है?

दावा किया जा रहा है कि जिन लोगों को Covid-19 वैक्सीन लगाई गई है, उनको ब्लूटूथ वाले डिवाइस और कोड के साथ डिटेक्ट किया जा सकता है.

ये मैसेज शेयर हो रहा है

(फोटो: स्क्रीनशॉट/WhatsApp)

हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि इस दावे का कोई आधार नहीं है. भारत बायोटेक के कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड में मानक केमिकलों का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही, कोविड-19 के वायरस को कमजोर या निष्क्रिय करके डाला गया है.

दावे से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए दिल्ली के हॉली फैमिली हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. सुमित रे से संपर्क किया

’मुझे नहीं लगता है अभी तक इस तरह की कोई चीज लिक्विड रूप में है. ऐसी कोई संभावना नहीं है कि लिक्विड रूप में कोई ऐसी चिप इंजेक्ट की जाए जिसे ब्लूटूथ से डिटेक्ट किया जा सकता हो. दुनियाभर की कई सरकारों ने हेल्थकेयर के लिए इलेक्टॉनिक ऐप का इस्तेमाल किया है. मुझे नहीं लगता है कि लिक्विड वैक्सीन में कोई ऐसी चीज मिलाई जा सकती है जिसे ब्लूटूथ से डिटेक्ट किया जा सकता हो.’’
डॉ. सुमित रे, क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट, हॉली फैमिली हॉस्पिटल, दिल्ली

उन्होंने आगे कहा कि दुनियाभर में वैक्सीन लगाई जा रही है. लेकिन ऐसी कोई चीज बनाना जिसे ब्लूटूथ के जरिए डिटेक्ट किया जा सके, उसकी कीमत और मात्रा के हिसाब से उतना आसान नहीं होगा जितना बताया जा रहा है.

पूरी पड़ताल यहां देखें

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

5. PFI ने नहीं बनाई मुस्लिम सेना, वायरल फोटो में IUML की यूनिफॉर्म

एक फोटो शेयर कर ये दावा किया जा रहा है कि केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने मुस्लिम आर्मी का गठन किया है. फोटो में कुछ लोग हरे और सफेद रंग की पोशाक में कतार में खड़े दिख रहे हैं.

पोस्ट का अर्काइव यहां देखें

सोर्स : स्क्रीनशॉट/ट्विटर

ये यूनिफॉर्म असल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की यूथ विंग 'मुस्लिम यूथ लीग' की है. मुस्लिम यूथ विंग के जनरल सेक्रेटरी ने क्विंट से बातचीत में ये पुष्टि की है. वहीं PFI के जनरल सेक्रेटरी अनीस अहमद ने भी क्विंट से बातचीत में बताया कि न तो ये यूनिफॉर्म संगठन की है, न ही संगठन ने ‘मुस्लिम आर्मी’ नाम की किसी विंग का गठन किया है.

हमने मुस्लिम यूथ लीग के केरल के स्टेट जनरल सेक्रेटरी पीके फिरोज से संपर्क किया. क्विंट से बातचीत में उन्होंने पुष्टि की कि यूनफॉर्म मुस्लिम यूथ लीग की है.

फोटो में दिख रहे लोग मुस्लिम यूथ लीग के वॉलेंटियर विंग के सदस्य हैं. ये विंग कई तरह की सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेती है.
पी के फिरोज़, स्टेट जनरल सेक्रेटरी, मुस्लिम यूथ लीग

हमने PFI के जनरल सेक्रेटरी अनीस अहमद से संपर्क किया. क्विंट से बातचीत में उन्होंने बताया कि फोटो में दिख रही हरे रंग की यूनिफॉर्म PFI कैडर की नहीं है.

फोटो में जो यूनिफॉर्म दिख रही है, वो PFI की नहीं है. संभवत: ये केरल में होने वाले किसी धार्मिक समारोह की हो सकती है.
अनीस अहमद, जनरल सेक्रेटरी PFI

पूरी पड़ताल यहां देखें

6. 'मक्का' में मिला शिवलिंग? नहीं, काबे के एक कोने की है ये तस्वीर

सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि ये इस्लाम धर्म के धार्मिक स्थल 'मक्का मदीना' में मौजूद शिवलिंग है.

पोस्ट का अर्काइव यहां देखें

सोर्स : स्क्रीनशॉट/ट्विटर

फोटो असल में मक्का मदीना की ही है. लेकिन इसमें शिवलिंग नहीं बल्कि काबे का एक कोना है, जिसे रुक्न-ए-यमानी कहा जाता है.

हमें सऊदी गजट की एक रिपोर्ट में भी एक तस्वीर मिली, जिससे स्पष्ट हो रहा है कि ये तस्वीर शिवलिंग नहीं, काबा के एक कोने की है.

(सोर्स : स्क्रीनशॉट/वेबसाइट

पूरी पड़ताल यहां देखें

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT