अमीरों को अब ज्यादा टैक्स चुकाना होगा. मोदी सरकार ने सालाना 5 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने वालों पर 7 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगा दिया है. मतलब टैक्स और सेस मिलाकर उन्हें 42.7 फीसद टैक्स देना होगा.
अमीरों से टैक्स वसूलने के मामले में भारत अमेरिका से भी आगे निकल गया है. अमेरिका में सुपर-रिच टैक्स 40 फीसदी है.
अमीरों पर बढ़ा टैक्स का बोझ
मोदी सरकार ने अब सालाना 2 से 5 करोड़ रुपये कमाने वालों पर 3 फीसदी अतिरिक्त टैक्स बढ़ाया है. टैक्स और सेस मिलाकर उन्हें अब कुल 39 फीसद टैक्स देना होगा. वहीं सालाना 5 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने पर 7 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगेगा. मतलब टैक्स और सेस मिलाकर उन्हें 42.7 फीसद टैक्स देना होगा.
अगर कोई भी व्यक्ति बैंक से एक साल में एक करोड़ से ज्यादा की रकम निकालता है तो उस पर 2% का TDS लगाया जाएगा. यानी सालाना 1 करोड़ रुपये से ज्यादा निकालने पर 2 लाख रुपये टैक्स में कट जाएंगे.
ज्यादा इनकम वालों पर टैक्स बढ़ाकर सरकार ने गरीब समर्थक की अपनी छवि मजबूत करने की कोशिश की है. अमीरों पर टैक्स बढ़ाने की आलोचना करने वालों का कहना है कि इससे निवेश को भी झटका लगेगा. क्योंकि अमीर टैक्सपेयर का एक बड़ा हिस्सा निवेशक भी है.
अंतरिम बजट में घोषित इनकम टैक्स छूट पर ही बरकरार सरकार
अंतरिम बजट में सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ा कर 50 हजार रुपये कर दिया था. साथ ही इनकम टैक्स की धारा 87 A के तहत इनकम टैक्स छूट ढाई हजार रुपये से बढ़ा कर 12,500 रुपये कर दी थी. यह टैक्स छूट उन लोगों के लिए लागू की गई थी, जिनकी सालाना इनकम पांच लाख रुपये से कम है. इसका मतलब यह है कि टैक्स पेयर पांच लाख रुपये की टैक्स योग्य आय पर पूरी तरह टैक्स छूट का हकदार है. 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए ढाई लाख रुपये तक की आय इनकम टैक्स फ्री है. ढाई से पांच लाख रुपये की आय वालों को पांच फीसदी टैक्स देना पड़ता है. पांच से दस लाख की आय वालों के लिए 20 फीसदी और दस लाख से ऊपर की आय पर इनकम टैक्स 30 फीसदी है.
सरकार पिछली सरकार ने टैक्स फ्री इनकम के स्लैब को 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया था. यानी कि 5 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं भरने का अब नियम है. मतलब अभी स्टैंडर्ड निवेश करने पर 6.5 लाख रुपये की इनकम वालों को टैक्स नहीं देना है.
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