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‘विनिवेश नहीं, निजीकरण चाहिए’-बजट पर बसंत माहेश्वरी से खास बातचीत

2019 के इस पूर्णकालिक बजट में क्या सरकार बाजार को खुश कर पाएगी?

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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

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5 जुलाई को मोदी सरकार 2.0 अपना पहला बजट पेश करेगी. 2019 के इस पूर्णकालिक बजट में क्या सरकार बाजार को खुश कर पाएगी? जानने के लिए क्विंट ने निवेश एक्सपर्ट बसंत माहेश्वरी से खास बातचीत की.

बसंत माहेश्वरी के मुताबिक सरकार बजट में मार्केट को खुश करने के लिए 2018 में लगाए गए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) को हटा सकती है और निजीकरण की शुरुआत कर सकती है.

“अगर सरकार निजीकरण करे तो सरकार के पास पैसे आएंगे. सरकार के पास पैसे नहीं हैं और जब तक पैसे नहीं आएंगे, सरकार अर्थव्यवस्था को रफ्तार नहीं दे पाएगी.”
बसंत माहेश्वरी, निवेश एक्सपर्ट

बसंत माहेश्वरी के मुताबिक सरकार को तुरंत दो काम करने चाहिए

  • LTCG हटाना चाहिए
  • बिग बैंग प्राइवेटाइजेशन करना चाहिए

माहेश्वरी का कहना है कि डिसइनवेस्टमेंट यानी एक जेब से पैसे निकालकर दूसरे जेब में नहीं डालना चाहिए. निजीकरण होना चाहिए.

NBFC सेक्टर में फिलहाल नकदी की कमी है. बाजार लिक्विडिटी क्राइसिस से जूझ रहा है. बजट इस संकट से जूझने में कितना सहायक होगा. इस सवाल के जवाब में बसंत माहेश्वरी ने कहा कि,

“NBFC सेक्टर खास तौर पर RBI के अंदर आता है. RBI का कहना है कि वो बैंको को देखती है. NBFC पर वो नजर रख भी सकते हैं और नहीं भी. सरकार अपेक्षा करती है कि इस पर RBI ही कुछ करे. NBFC के साथ ‘सौतेले बच्चे’ सा व्यवहार हो रहा है.”

बसंत माहेश्वरी कहते हैं कि अच्छी NBFC के साथ कोई दिक्कत नहीं है. साल 2000 में सरकार ने यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया से एक्सिस बैंक, एल एंड टी और आईटीसी के शेयर लिए थे जो आज स्पेसीफाइड अंडरटेकिंग ऑफ यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (SUUTI) बन गए हैं. वो इतने सालों में 50 गुना तक बढ़ गए. एक ऐसा कदम चाहिए जहां सरकार आकर साथ दे.

निवेश के लिए बसंत माहेश्वरी की सलाह है कि “ये जरूरी नहीं है कि आप हर सेक्टर में जाकर हाथ मारें. बाजार बुफे सिस्टम की तरह है. हर आइटम खाना जरूरी नहीं है. जिनको पैसे बनाने हैं वो अच्छी कंपनी ढूंढें और शेयर खरीदे. पैसे बन जाएंगे.”

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