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डिविडेंड टैक्स: गैरों पर करम-अपनों पर सितम, ये ठीक नहीं

इस फैसले में एक पेंच हैं जिसकी वजह से कई निवेशकों को ये फैसला रास नहीं आ रहा

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बजट 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने शेयर बाजार की लंबे वक्त से चली आ रही मांग को पूरा कर दिया. सरकार ने कंपनियों के डिविडेंट पर लगने वाले टैक्स डिविडेंट डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) को हटा लिया. लेकिन इस फैसले में एक पेंच हैं जिसकी वजह से कई निवेशकों को ये फैसला रास नहीं आ रहा. खासतौर पर उनको जो हायर टैक्स स्लैब में आते हैं.

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भले ही केंद्र सरकार ने डीडीटी हटा लिया हो. लेकिन अभी भी डिविडेंड जिनको मिल रहा है उन पर टैक्स लगेगा ही और ये अमीर लोगों पर 43% तक लग सकता है.

हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि- डीडीटी को हटाना एक बड़ा कदम है जो भारत को विदेशी निवेश के लिए आकर्षक जगह बनाएगा. सरकार को डीडीटी में राहत देने से 25,000 करोड़ रेवेन्यू का नुकसान होगा.

घरेलू निवेशकों पर डीडीटी का क्या असर होगा?

डीडीटी का अगल-अलग तरह के निवेशकों पर वास्तव में क्या असर पड़ेगा. इस पर हमने कोटक एसेट मैनेजमेंट के एमडी नीलेश शाह से बात की.

डीडीटी के तहत आने वाले टैक्सपेयर्स में म्यूचुअल फंड्स, इंश्योरेंस, पीएफ फंड्स पर कोई असर नहीं पडे़गा, वो पहले की तरह ही टैक्स एग्जमप्शन कैटेगरी में आएंगे. रिटेल निवेशक जो 18% से कम के ब्रेकेट में आते हैं उनको भी इससे फायदा ही होगा.  कॉरपोरेट जो खुद डीडीटी  देते हैं उनको भी इससे खास फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन सबसे ज्यादा जो वर्ग प्रभावित होगा वो है हाईनेटवर्थ इंडिविजुअल (HNI) और कंपनियों के प्रमोटर मतलब जिनकी ज्यादा हिस्सेदारी है. इन पर पहले डीडीटी के तहत जो 28% टैक्स लगता था अब वो बढ़कर 43% तक हो जाएगा. 
नीलेश शाह, कोटक एसेट मैनेजमेंट

विदेशियों को राहत, स्वदेशी पर बोझ

KRC चोकसी ग्रुप के देवेन चोकसी का कहना है कि अब डीडीटी के तहत जो विदेशी निवेशक टैक्स समझौते के बाहर हैं उनको गलत तरीके से इस टैक्स रेट का ज्यादा फायदा मिलेगा. इसके उलट घरेलू निवेशकों को ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा. सरकार को पिछले सिस्टम को ही आगे बरकरार रखना चाहिए.

आशीष कचोलिया ने ट्वीट कर लिखा है कि विदेशी निवेशकों (FIIs) को नए टैक्स सिस्टम से फायदा होगा. वहीं मुझे डिविडेंट पर 43% टैक्स देना पड़ेगा. सरकार को स्वदेशी निवेशकों से ज्यादा विदेशी निवेशक पसंद हैं. जब ऐसा है तो इकनॉमिक सर्वे में वेल्थ क्रिएशन पर इतनी बड़ी-बड़ी बातें क्यों की गईं. अब कोई प्रमोटर डिविडेंड नहीं देगा. इसलिए सरकार को डिविडेंट पर टैक्स भी नहीं मिलेगा.

ध्यान दीजिएगा आशीष कचोलिया क्या कह रहे हैं. आशीष कह रहे हैं कि चूंकि डिविडेंड देने या नहीं देने के फैसले में प्रमोटर की बड़ी भूमिका होती है, इसलिए संभव है कि वो ज्यादा टैक्स के डर से (चूंकि डिविडेंड पाने वालों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी प्रमोटर की हो सकती है) डिविडेंड देने का फैसला ही न करे.

HNIs पर टैक्स 28% से बढ़कर 43% हो जाएगा

कंपनी को पहले अपने डिविडेंड पर करीब 15% परसेंट टैक्स देना होता था और डिविडेंड लेने वाले शेयरहोल्डर से 10% टैक्स लिया जाता था. इस तरह सेस और सरचार्ज मिलाकर करीब 28% टैक्स लगता था. लेकिन अब हाई टैक्स स्लैब में आने वाले निवेशको को सीधे 43% परसेंट टैक्स देना होगा.

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अब तक क्या था डीडीटी का सिस्टम

अब तक अगर कोई कंपनी अपने शेयरधारकों को डिविडेंड देती थी तो कंपनी पर 15 परसेंट डीडीटी लगता था (सेस और सरचार्ज साथ में जोड़ लें तो 17.64%). साथ ही डिविडेंट जिसको मिल रहा है और डिविडेंट एक फाइनेंशियल ईयर में 10 लाख से ज्यादा का है तो उसको 10 परसेंट एडिशनल डीडीटी देना होगा. इस तरह हाईनेटवर्थ इंडिविजुअल पर करीब 28% टैक्स लगता था. लेकिन डीडीटी में सरकार ने जो बदलाव किए हैं उसके बाद ये 28% से बढ़कर सीधे 43% हो जाएगा.

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