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रूरल डिमांड बढ़ाए सरकार,मिलेगी FMCG कंपनियों को  रफ्तार

एफएमसीजी कंपनियां अपना 35 फीसदी से अधिक सामान ग्रामीण बाजार में बेचती हैं, इसलिए यहां डिमांड बढ़ना जरूरी है

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कंज्यूमर गुड्स कंपनियों की उम्मीदें अब पूरी तरह रूरल मार्केट पर टिकी है. साबुन, तेल, शैंपू, बिस्कुट,नमकीन से लेकर, फ्रिज, टीवी और वॉशिंग मशीन बनाने वाली एएफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियां अपनी निगाहें बजट में ग्रामीण क्षेत्र के लिए की जाने वाली घोषणाओं पर लगाई हुई हैं.

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ग्रामीण सेक्टर में आय बढ़ाने के उठाने होंगे कदम

इन कंपनियों की उम्मीद है कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के कुछ नए ऐलान करेगी. रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाएगी और सब्सिडी में इजाफा करेगी, जिससे ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय और रोजगार में इजाफा होगा. यह बढ़ी हुई आय और रोजगार इन कंपनियों के लिए संजीवनी का काम कर सकता है क्योंकि ग्रामीण सेक्टर अब भी नोटबंदी और जीएसटी की मार से उबरा नहीं है. ग्रामीण इलाकों में एफएमसीजी प्रोडक्ट्स की मांग में कमी आई है. हाल में पार्ले-जी बिस्कुट बनाने वाली कंपनी ने ग्रामीण इलाके में इस बिस्कुट की मांग में कमी दर्ज की है.

मार्केट रिसर्च कंपनी नीलसन के मुताबिक 2019 में एफएमसीजी इंडस्ट्री ने 9.7 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की. लेकिन रूरल मार्केट में इसमें काफी कमी दर्ज की गई. जबकि हकीकत यह है कि एफएमसीजी कंपनियां अपना 35 फीसदी से अधिक सामान ग्रामीण बाजार में बेचती हैं. लेकिन रूरल मार्केट अब मंदा पड़ गया है. कंपनियां सामानों पर ‘एक के साथ एक फ्री’ ऑफर और दाम कम रख कर भी बिक्री बढ़ा नहीं पा रही हैं

छोटी परियोजनाओं के जरिये बढ़े रूरल सेक्टर में इनकम

दरअसल इकनॉमी को रफ्तार देने के लिए सबसे पहले ग्रामीण इलाकों में खर्च करने की जरूरत पड़ेगी. सरकार को किसानों को राहत देने के फैसले से आगे जाकर कदम बढ़ाने होंगे. उन्हें उन भूमिहीन खेत मजदूरों के लिए कोई योजना लानी होगी, जो शहरों में रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में मंदी की वजह से अपने घरों में बैठे हैं. इसके साथ ही छोटी सिंचाई परियोजनाओं और ग्रामीण विकास की छोटी परियोजनाओं पर भी ध्यान देना होगा.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार को बड़ी परियोजनाओं की जगह छोटी परियोजनाओं पर ध्यान देने चाहिए क्योंकि इनकी जटलिताएं कम हैं. अगर यह बजट भारत, गरीबी, गांव और किसान पर फोकस होता है तो एफएमसीजी कंपनियां राहत की सांस लेंगी क्योंकि शहरी उपभोक्ता लगातार अपने कंजप्शन में कटौती कर रहा है.

भारत में ग्रामीण परिवारों में अब फ्रिज, वॉशिंग मशीन स्मार्ट टीवी का खासा इस्तेमाल हो रहा है. टीवी और फ्रिज पर 28 फीसदी का जीएसटी है. हालांकि जीएसटी में कटौती का फैसला जीएसटी काउंसिल लेती है. लेकिन बजट में वित्त मंत्री इन आइटमों पर टैक्स कटौती का संकेत दे सकती हैं.

कुल मिलाकर सरकार को ग्रामीण और अर्द्धशहरी इलाकों में मांग पैदा करने के ऐसा उपाय करने होंगे, जिनसे रोजगार में इजाफा हो. रोजगार में इजाफा डिमांड को और रफ्तार देगा. उपभोक्ता ज्यादा खर्च करेंगे और एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियों का मार्केट और बढ़ेगा. बजट 2020-21 के बजट से रूरल मार्केट को काफी उम्मीद है. अगर ये उम्मीदें पूरी होती है तो बाजार में कारोबार करने वाली कंज्यूमर गुड्स कंपनियां अपनी सेहत ठीक कर लेंगीं.

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