वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम
बजट से पहले इकनॉमी से जुड़े मुद्दों पर क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट डीके जोशी से क्विंट ने खास बातचीत की. मोदी सरकार 2.0 के पहले पूर्ण बजट पर बात करते हुए जोशी ने कहा कि अंतरिम बजट और फाइनल बजट में ज्यादा फर्क नहीं होता है.
डीके जोशी के मुताबिक इस बजट तक इकनॉमी में धीमापन बढ़ा है. इसलिए सरकार नई स्कीम पर फोकस बढ़ा सकती है. जैसे वॉटर रिसोर्सेज, हेल्थ और एजुकेशन में फोकस बढ़ाया जा सकता है. आयुष्मान भारत की तरह एजुकेशन में भी कुछ आ सकता है.
डीके जोशी ने आगे कहा कि लॉन्ग टर्म के कुछ सिग्नल मिल सकते हैं. शॉर्ट टर्म में खर्च करके इकनॉमी को बूस्ट करना इस बजट के लिए मुश्किल होगा.
मैन्यूफैक्चरिंग पर बात करते हुए जोशी ने कहा कि
मैन्यूफैक्चरिंग को रिवाइव करने के लिए सरकार ने मेक इन इंडिया प्रोग्राम बनाया था. उसी पर अमल करने की आवश्यकता है. बजट के पास जो क्षमता होती थी कि टैक्स रेट कम करके थोड़ा बढ़ावा दे सके. लेकिन अब वो अब खत्म हो गई है. अब टैक्स रेट जीएसटी काउंसिल तय करती है.
जोशी के मुताबिक मौजूदा हालात में इज ऑफ डूइंग बिजनेस और इंफ्रास्टक्चर सही करने की जरूरत है.
‘सेविंग्स बढ़ाना इस समय मुश्किल’
निवेश में कमी और बचत पर कम ब्याज पर क्या चिंता का विषय है. इस सवाल का जवाब देते हुए डीके जोशी ने कहा कि
“कम हो रही बचत दर, निवेश में गिरावट, ग्रोथ रेट में गिरावट- इन तीनों को ठीक करना होगा जिससे बचत,निवेश और ग्रोथ बढ़े”.
इस मुद्दे पर आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि सेविंग्स को बढ़ाना इस समय मुश्किल है क्योंकि देश की अधिकांश आबादी युवा है. युवाओं का कंजप्शन पर ज्यादा फोकस है बचत के बजाय. कुछ ज्यादा इंसेंटिव देने से सेविंग्स को बढ़ावा मिल सकता है.
बातचीत में डीके जोशी ने कहा कि फिलहाल चल रहे यूएस-चीन ट्रेड वॉर से दुनिया में अनिश्चितता पैदा होगी. अनिश्चतता से निवेश कम होती है और ग्लोबल ग्रोथ नीचे जाती है. जिससे भारत की निर्यात क्षमता कम होगी.
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