सरकार ने स्टार्टअप कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए डिफरेंशियल वोटिंग राइट्स (डीवीआर) वाले शेयरों से जुड़े नियमों में ढील दी है. स्टार्टअप कंपनियों को इससे पूंजी जुटाने के दौरान कंपनी पर नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिल सकती है.
सरकार के इस फैसले के बाद से स्टार्टअप कंपनियों के पास मौका रहेगा कि वो कंपनी में अपना नियंत्रण खोए बिना भी इक्विटी कैपिटल जुटा सकेंगे.
कॉरपोरेट मंत्रालय ने कंपनी एक्ट के तहत कंपनी (शेयर पूंजी एवं डिबेंचर) नियमों में संशोधन किया है.
नियमों में किए गए ये बदलाव
नए नियमों के बाद कंपनियां 74 प्रतिशत तक डीवीआर शेयर रख सकती हैं. इससे पहले ये सीमा 26 प्रतिशत तक थी. कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने कंपनी एक्ट में संशोधन के साथ ही ये बदलाव किए.
इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण बदलाव मंत्रालय ने किया है. मंत्रालय की प्रेस रिलीज के मुताबिक अभी तक डीवीआर वाले शेयर जारी करने के लिए अभी तक जारी 3 साल तक मुनाफा शेयर करने के नियम को भी हटा दिया गया है.
मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी विज्ञप्ति में कहा, "एक अन्य महत्वपूर्ण बदलाव के तहत इन शेयरों को जारी करने के लिये किसी कंपनी के तीन साल तक वितरण योग्य मुनाफा हासिल करने की शर्त को भी हटा दिया गया है. अगर कोई कंपनी डिफरेंशियल वोटिंग राइट्स वाले शेयर जारी करना चाहती है तो इसके लिए उसका कम से कम तीन साल मुनाफे में होना जरूरी होता है. अब इस जरूरत को समाप्त कर दिया गया है.’’
मंत्रालय के मुताबिक, सरकार ने स्टार्टअप कंपनियों की अपील पर ये कदम उठाए हैं. इससे भारतीय कंपनियों और उनके प्रमोटर्स को भी मजबूती मिलेगी, जो अभी तक बड़ी कंपनियों के निशाने पर थे. बड़ी पूंजी वाली कंपनियां नई टेक्नोलॉजी और इनोवेशन वाले स्टार्टअप्स में बड़ा निवेश कर उनका नियंत्रण अपने पास लेती थीं.
डीवीआर शेयर के मामले में अब तक लगाई गई 26 प्रतिशत की रोक को बढ़ाकर 74 प्रतिशत तक कर दिया गया है.
इसके अलावा किसी स्टार्टअप की शुरुआत से उसमें 10 साल तक 10 प्रतिशत तक इक्विटी शेयर रखने वाले प्रमोटरों या निदेशकों को एम्प्लॉयी स्टॉक ऑप्शन (ईएसओपी) भी जारी किया जा सकता है. इससे पहले ये सीमा 5 साल की थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)