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निवेशकों के लिए सरकारी बॉन्ड मार्केट खुलने का मतलब, आपके लिए क्या?

निवेशकों को अब फिक्स्ड डिपॉजिट, इत्यादि के अलावा एक काफी आसन निवेश का रास्ता मिल जाएगा.

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से 5 फरवरी की मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू मीटिंग में एक बड़ा ऐलान किया गया. अब रिटेल निवेशक सीधे सरकारी बॉन्ड्स खरीदने के योग्य हो जाएंगे. RBI छोटे निवेशकों को इसके लिए अपने प्लैटफॉर्म पर सीधी पहुंच देगा. आइए समझते हैं इस घोषणा का महत्व क्या है और आपके लिए क्या बदलने वाला है-

RBI के इस फैसले से सरकार को आने वाले दिनों में बॉन्ड्स की मदद से बड़ी रकम जुटाने में मदद मिलेगी.
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क्या होते हैं सरकारी गिल्ट बांड्स?

  • ऐसे बॉन्ड्स केंद्र अथवा राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न जरूरतों के लिए पैसे जुटाने के लिए जारी किए जाते हैं.
  • सरकारी गिल्ट बॉन्ड्स में निवेश सबसे सुरक्षित और कम खतरे वाला इन्वेस्टमेंट माना जाता है.
  • अन्य कॉर्पोरेट बॉन्ड्स की तरह ही इन बॉन्ड्स की तय अवधि होती है, जिसकी समाप्ति के बाद इंटरेस्ट के साथ बॉन्ड की कीमत धारक को अदा की जाती है.

वर्तमान में क्या हैं ऐसे बॉन्ड्स में निवेश का तरीका?

  • अभी केवल बैंक, इंश्योरंस कंपनी, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक, हाई-नेटवर्थ इंडिविजुअल, प्राइमरी डीलर और म्यूचुअल फंड ऐसे बॉन्ड्स में सीधे निवेश कर सकते हैं.
  • वर्तमान में स्टॉक एक्सचेंज रिटेल निवेशकों के ऑर्डर को इकठ्ठा कर RBI के NDS-OM प्लैटफॉर्म पर एक साथ ऑर्डर करते हैं. इस माध्यम में अभी रिटेल निवेशक नॉन-कॉम्पीटिटिव बिडिंग करते हैं.
  • छोटे निवेशकों के बीच गिल्ट म्यूचुअल फंड के माध्यम से ऐसे बॉन्ड्स में निवेश भी काफी प्रचलित है.

क्या बदलने वाला है अब बॉन्ड बाजार में?

  • RBI की घोषणा के बाद अब इ-कुबेर (e-Kuber) सिस्टम का इस्तेमाल कर रिटेल निवेशक सीधे ऐसे बॉन्ड्स की खरीद-बिक्री कर सकते हैं.
  • यह नया प्लैटफॉर्म स्टॉक एक्सचेंज की तरह ही काम करेगा जहां निवेशक सीधा बॉन्ड खरीद-बेच सकते हैं. इसके सेकेंडरी मार्केट के तौर पर काम करने से भी निवेशकों के लिए तरल (Liquid) बाजार उपलब्ध होगा.

निवेशकों को इस बदलाव से क्या फायदा?

  • निवेशकों को इस बदलाव से अब फिक्स्ड डिपॉजिट, टैक्स-मुक्त बॉन्ड, स्मॉल सेविंग स्कीम के अलावा एक काफी आसन निवेश का रास्ता मिल जाएगा.
  • बॉन्ड्स में निवेश की अच्छी रणनीति से इंटरेस्ट के अलावा कैपिटल गेंस का फायदा भी मिल सकता है.
  • फिक्स्ड डिपॉजिट में अधिकतम 10 वर्षों के लिए निवेश संभव है जबकि सरकारी गिल्ट बॉन्ड्स कभी कभी 15-30 वर्षों जितनी लंबी अवधि के लिए भी होते हैं. इसका फायदा उठाकर निवेशक फिर से इन्वेस्टमेंट के रिस्क से बचकर लंबे समय के लिए प्लानिंग कर सकते हैं. रिटायरमेंट का ख्याल रखकर निवेश करने वाले निवेशकों के लिए यह खासतौर पर अच्छा है.
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निवेश से पहले इन बातों का ध्यान रखें निवेशक

  • ऐसे बॉन्ड्स से मिलने वाला इंटरेस्ट महंगाई, आर्थिक वृद्धि दर, सरकार द्वारा बॉन्ड मार्केट का इस्तेमाल, अंतर्राष्ट्रीय कारकों जैसे काफी चीजों पर निर्भर करता है. इसलिए ऐसे बॉन्ड में निवेश से पहले निवेशकों का इस बाजार की चुनौतियों से परिचित होना बेहतर है.
  • अगर मेच्योरिटी से पहले बाजार में बॉन्ड में व्यापार किया जाता है तो इसपर अतरिक्त कैपिटल गेंस टैक्स भी लगता है. इसके अलावा फिक्स्ड डिपॉजिट, इत्यादि की तरह ही यहां भी इंटरेस्ट पर टैक्स लगाया जाता है.
  • जानकारों के मुताबिक लंबे अवधि को ध्यान में रखकर निवेश करने वाले इन्वेस्टर्स के लिए यह निवेश का एक अच्छा रास्ता है. इसके विपरीत अधिक टैक्स दरों के कारण छोटे निवेशकों को इस बाजार में सोच समझकर पोजीशन लेनी चाहिए.

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