कर्ज के बोझ तले दबे सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया में एफडीआई को मंजूरी के बाद केंद्र सरकार ने एयर इंडिया को बेचने की योजना तैयार कर ली है. प्रस्तावित मसौदे के तहत कंपनी को 4 हिस्सों में बांटा जाएगा. नागरिक विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि विनिवेश की यह प्रक्रिया इस साल के आखिर तक पूरी कर ली जाएगी.
इस तरह होंगे 4 हिस्से
रिपोर्ट के मुताबिक एयर इंडिया को जिन चार हिस्सों में बांटा जाएगा, उनमें कोर एयरलाइंस बिजनेस, रीजनल आर्म, ग्राउंड हैंडलिंग और इंजीनियरिंग ऑपरेशंस में बांटा जाएगा. सरकार ने प्रस्तावित विनिवेश योजना के हिस्से के रूप में इनमें से प्रत्येक में कम से कम 51 फीसदी के विनिवेश की पेशकश की है. विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा है कि कोर एयरलाइंस बिजनेस, जिसमें एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस शामिल है, को एक कंपनी के रूप में पेश किया जाएगा.
मसौदे पर मतभेद
पिछले हफ्ते भारत सरकार ने एयर इंडिया में विदेशी निवेशकों को 49 फीसदी की हिस्सेदारी रखने की मंजूरी दी थी. संसद की स्थाई समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में कहा था कि एयर इंडिया में हिस्सेदारी को बेचने का सही समय नहीं है और एयरलाइन को फिर से खड़ा होने के लिए कम से कम पांच साल दिए जाने चाहिए. समिति के कुल 31 सदस्यों में 15 सदस्य बीजेपी के, एक-एक सदस्य सहयोगी तेलगूदेशम पार्टी, अपना दल और आरएलएसपी के, तीन सदस्य कांग्रेस के, तीन सदस्य तृणमूल कांग्रेस के और एक-एक सदस्य सपा, वाईएसआर कांग्रेस, राजद, राकांपा, बीजद, माकपा और अन्नाद्रमुक के हैं. हालांकि समिति में बीजेपी और एनडीए का बहुमत है, जो एयर इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के पक्ष में हैं, लेकिन बाकी पार्टियों के सदस्य इस मसौदे का विरोध कर रहे हैं. संसद की स्थायी समिति में एअर इंडिया के विनिवेश को लेकर अरसे से विवाद चल रहा है.
कर्ज का कितना बोझ
आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 के अंत में एयर इंडिया के ऊपर कुल कर्ज 48,877 करोड़ रुपये था, जिसमें से 17,360 करोड़ रुपये विमान ऋण था और 31,517 करोड़ रुपये पूंजीगत ऋण था. जाहिर है मौजूदा वक्त में कर्ज की ये रकम इससे कहीं ज्यादा बढ़ गयी होगी.
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