कर्जे में डूबी जेट एयरवेज के लिए एक अच्छी खबर आई है. जेट की पार्टनर एयरलाइन एतिहाद एयरवेज ने इसमें निवेश करने के लिए बोली जमा कराई है. बोली जमा करने की डेडलाइन से कुछ मिनट पहले ही एतिहाद ने निवेश की अपनी इच्छा जताई.
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जेट में 24 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले एतिहाद ने दोबारा निवेश करने की इच्छा जाहिर की है. एतिहाद के प्रवक्ता ने बताया, "एयरलाइन ने कुछ शर्तों के साथ जेट एयरवेज में दोबारा निवेश करने की बोली जमा कराई है. भारत हवाई यात्रा के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है और वो यूएई का आर्थिक सहयोगी भी है."
“एतिहाद मुख्य स्टेकहोल्डर्स से पिछले 15 महीनों से बातचीत कर रहा है, जिससे जेट दोबारा लौट सके.”एतिहाद के प्रवक्ता
हालांकि, प्रवक्ता ने एतिहाद के मुख्य निवेशक बनने से साफ इंकार किया है. "हम अकेले निवेशक नहीं बनेंगे. दूसरे निवेशकों को आना पड़ेगा और जेट का रीकैपिटलाइजेशन करना पड़ेगा."
उपयुक्त बोली के तौर पर सिर्फ एतिहाद ही ऐसा बिडर है जिसकी बोली सिलेक्ट हुई है. नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, TPG कैपिटल और इंडिगो पार्टनर्स दूसरे बिडर थे.
जेट की बर्बादी की पूरी कहानी
- 1993 में 2 विमानों के साथ जेट एयरवेज लॉन्च हुआ
- 2006 में जेट ने 3500 करोड़ रुपये कैश देकर एयर सहारा को खरीदा
- जेट ने बाजार की जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया और भारी भरकम खर्च करती रही
- जेट के पास दूसरी एयरलाइंस के मुकाबले प्रति प्लेन बहुत ज्यादा कर्मचारी थे
- लागत से कम में टिकट बेचने की जेट की कोशिशआत्मघाती साबित हुई
- 2010 से जेट एयरवेज का घाटा लगातार बढ़ता गया
- जेट एयरवेज पर 8,500 करोड़ का कर्ज हो गया
- बढ़ते कर्ज और घाटे के बाद देनदार और पैसा देने से मुकर गए
- 118 के बजाय जेट 7 विमानों से काम चलाने लगी
- कर्मचारियों की सैलरी और ईंधन के लिए भी पैसा नहीं बचा
- निवेशकों और लेंडर्स ने पैसा देने के लिए चेयरमैन गोयल से हटने को कहा
- नरेश गोयल कंपनी से हट गए फिर भी न तो लेंडर्स और न ही किसी निवेशक ने पैसा दिया
- जेट में निवेश करने के लिए एतिहाद एयरवेज, नेशनल इनवेस्टेमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, प्राइवेट इक्विटी फर्म TPG कैपिटल और इंडिगो शॉर्टलिस्ट
- ईंधन तक के लिए पैसा नहीं बचा तो 18 अप्रैल से उड़ानें बंद
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